पुस्तक समीक्षा : ‘खुल जा सिम सिम’

मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञानवर्धक करना साहित्य का विशेष गुण होता है। इसी को साहित्य का उद्देश्य भी कहा जा सकता है।

‘खुल जा सिम सिम’ नामक पुस्तक में विदुषी लेखिका डॉ बानो सरताज ने साहित्य की इसी विशेषता को प्रकट करने का सराहनीय और सफल प्रयास किया है।
अपनी बात में वह अपने पुस्तक लेखन के उद्देश्य को प्रकट करते हुए कहती हैं कि -“बच्चे उतनी ही तेजी से नया ज्ञान सीखते हैं जितनी तेजी से भूखे कबूतर दाना चुगते हैं तो बच्चों को नया और महत्वपूर्ण ज्ञान देना बाल साहित्यकार का काम है। यदि कुतूहल से बड़ा कोई गुरु नहीं तो कुतूहल को शांत करने का महान कार्य बाल साहित्यकार को करना चाहिए, और बच्चों को साहित्य द्वारा मनोरंजन उपलब्ध कराना बाल साहित्यकार का सबसे महत्वपूर्ण काम, सबसे महत्वपूर्ण दायित्व और सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है।”
सीधे बच्चों से संवाद स्थापित करते हुए डॉक्टर बानो सरताज कहती हैं कि प्यारे बच्चो ! अली बाबा और 40 चोरों की कहानी आप सबने पढ़ी होगी। जिन बच्चों ने नहीं पढ़ी वह अवश्य कहीं से प्राप्त करके पढ़ें। इस कहानी का हीरो अलीबाबा संयोग से चालीस चोरों के खजाने तक पहुंच जाता है। खुल जा सिम सिम कहकर गुफा का द्वार खुलता है तो हीरे, मोती, मणि माणिक ,सोने, चांदी के सिक्के और गहनों के ढेर दिखाई देते हैं।
हमने अपनी इस पुस्तक में अलग-अलग विषयों की जानकारी आपके लिए एकत्र की है। हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा के अनुसार मस्तिष्क पर बहुत जोर न पड़े आप बोर भी ना हो , पर ज्ञान का ज्ञान मिल जाए और मनोरंजन भी हो जाए – यही हमारे बाल साहित्य लेखन का उद्देश्य है।
कम में बच्चे मनोरंजन करते-करते ज्ञानवर्धक करने की प्रक्रिया को न केवल सहजता से स्वीकार कर लेते हैं बल्कि इससे उनका बौद्धिक विकास भी द्रुतगति से होता है। इसके लिए लेखिका बधाई की पात्र हैं कि उन्होंने बाल पाठकों के कोमल मन में अपनी बात को उतारने के लिए भाषा की सरलता और सहजता पर भी पूरा ध्यान रखा है। जिससे पुस्तक बहुत ही उपयोगी बन गई है लेखिका द्वारा अभी तक लगभग 37 पुस्तकें प्रकाशित कराई जा चुकी हैं । जिनसे बच्चों का विशेष लाभ हुआ है।
इस पुस्तक की पृष्ठ संख्या 92 है। पुस्तक के प्रकाशक साहित्यागार ,धामाणी मार्केट की गली, चौड़ा रास्ता जयपुर है।
पुस्तक प्राप्ति के लिए आप 0141 -2310785, 4022382 पर संपर्क कर सकते हैं ।
पुस्तक का मूल्य ₹200 हैं।

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

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