रक्त-रंजित मुद्रा की चकाचौंध-2

Blood-Donation_0मुजफ्फर हुसैन
गतांक से आगे…….
लेकिन उसके लिए कुछ कड़े नियम थे। जब हमारा देश गुलाम था, उस समय अनेक रियासतों में तो कुछ दिन और महीने तय थे, जिनमें पशुओं के वध पर सख्त पाबंदी थी। लेकिन आजादी के बाद इस प्रकार के कानून नही रहे। लोकतंत्र और स्वतंत्रता का लाभ उठाकर भारत में सीमित मांस का व्यापार देखते ही देखते वैश्विक हो गया। भारतीय पशुओं के मांस को इसलिए पसंद किया जाने लगा, क्योंकि यहां का पशु प्राकृतिक वातावरण में पलता है। वह जंगल में विचरता है और प्राकृतिक रूप से उगी वनस्पति को चरता है, इसलिए अत्यंत स्वस्थ होता है। ये दो गुण होने के कारण उसका मांस पौष्टिïक और स्वादिष्टï होता है। इसका प्रचार तेजी से हुआ और सारी दुनिया में भारतीय पशु के मांस की मांग बढऩे लगी।
अरब देशों के पास खनिज तेज का पैसा आने के कारण उन्हें मांस की पूर्ति के लिए भारत के व्यापारी आगे आए। भारत सरकार को इस रक्त रंजित सौदे में विदेशी मुद्रा की वर्षा होती दिखाई पडऩे लगी। नतीजा यह हुआ कि दूध की नदियों वाला देश मांस की मंडी बन गया। अरबस्तान के लोगों का मुख्य धर्म इसलाम है, इसलिए उनके खान पान का ध्यान रखते हुए असंख्य वैध-अवैध कत्लखाने भी खुलने लगे और समय समय पर उन्हें आधुनिक यंत्रों से सुसज्जित भी किया जाने लगा। इन कत्लखानों की मालकियत में बहुसंख्यक समाज ही भागीदार रहा, लेकिन पशुओं के ढोने से लगाकर काटने और फिर उनके सभी अवयवों को एकत्रित करने में अल्पसंख्यक समुदाय का वह वर्ग जो पुश्तैनी तौर पर यह व्यवसाय कर रहा है, उनकी संख्या अधिकतम रही। इस व्यवसाय को किसी भी कारण से बंद न किया जाए, इसलिए अल्पसंख्यक समाज के उद्योग और उनसे जुड़े काम को प्रचारित कर खून के सौदागर अपने स्वार्थ की पूर्ति करते रहे। यह रीति नीति आज भी जारी है। इसलिए जब मांस के निर्यात पर पाबंदी लगाने की आवाज उठती है तब अल्पसंख्यकों को सामने करके स्वयं को बचा लिया जाता है। अल्पसंख्यकों में एक विशेष वर्ग यह समझ बैठा कि मांस के व्यापार से ही उनमें खुशहाली आई है। यह उनका और उन्हें समर्थन देने वाले राजनीतिक दलों का भ्रम है। कानूनी रूप से किसी मामले को कमजोर कर देने का सबसे बड़ा मार्ग यह अपना लिया गया कि उसे विवादास्पद बना दो। यह विवाद कभी दलित और गैर दलित तो कभी अल्पसंख्यक और गैर अल्पसंख्यक में परिवर्तित करने का प्रयास किया जाता है। कुल मिलाकर उक्त मुद्दे को वोट बैंक में बदलकर सत्ता प्राप्ति का हथियार बना लिया जाता है।
क्रमश:

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