बहुत कुछ कहता है

ये सन्नाटा हमारे लिए

– डॉ. दीपक आचार्य

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इतने दिनों के शोरगुल और आवाजाही के दौर-दर-दौर चलने के बाद इस समय ऊपर से सब तरफ लग रहा है कि कितना सन्नाटा पसरा हुआ है हर कहीं। सन्नाटे के पीछे छिपी आवाजों पर चर्चा को छोड़ कर हम इस गहन शांति की ही बात करें तो लगता है जैसे ये सन्नाटा हमारे लिए ही है। बहुत कुछ कहने लगा है यह सन्नाटा।

सन्नाटा अपने आप में आत्मचिंतन का दुर्लभ समय होता है जब हम सभी लोग बाहरी शोरगुल से एकदम अलग होकर तसल्ली के साथ अपना निर्णय गढ़ने के लिए खूब सोचते-विचारते हैं और अपने, क्षेत्र तथा समाज के हिताहित को ध्यान में रखकर फैसला लेते हैं। लोकतंत्र में अपना वोट ही सब कुछ होता है जिसके माध्यम से हम अपनी तथा क्षेत्र की तकदीर गढ़ने के सामथ्र्य का भरपूर उपयोग करते हैं और अपनी सशक्त भागीदारी का निर्वाह करते हुए अच्छे नागरिक का फर्ज अदा करते हैं। इस फर्जं को अदा करने का समय अब आ गया है।

शोरगुल विहीन आज का दिन हम सभी के लिए पूरी शांति, धैर्य और गंभीरता के साथ अपने बारे में सोचने, समझने का दिन है जिसका क्रियान्वयन हमें कल करना है। इस सन्नाटे में छिपा हुआ है पूरा का पूरा भविष्य…. हमारा, उनका, हम सभी का। इस गहन शांति और गांभीर्य भरे माहौल के बीच ही आत्मचिंतन का कोई बीज प्रस्फुटित होने वाला है।

सन्नाटे का भरपूर उपयोग करें अपने लिए। सारे दुराग्रहों, पूर्वाग्रहों और धारणाओं से परे हटकर अपने लिए सोचने का यह अमूल्य वक्त है। न किसी के दबाव या प्रलोभन में आएं, न औरों की कोई बात मानें। जो कुछ करना है हमें ही करना है और हमारा निर्णय ही अंतिम है। सब कुछ अंतर आत्मा की आवाज से करना चाहिए, इसी को अभिव्यक्त करता है दिन। अपनी आत्मा जो निर्णय करे, उस पर अमल करें।

लोकतंत्र में अपनी आस्था और भागीदारी दर्शाने का सर्वश्रेष्ठ सरल एवं सहज मार्ग है अपने मताधिकार का प्रयोग। अच्छा मतदाता लोकतंत्र की बुनियाद होता है और हमें इसी बात को ध्यान में रखकर मतदान करना होगा।  हम सभी स्वतंत्र हैं। परिवेश में सभी तरह की हवाएं चलती रहती हैं मगर हम अपने निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं, हमें न किसी बंधन में बाँधा जा सकता है, न किसी प्रलोभन में मोहग्रस्त किया जा सकता है।

सृष्टि की सर्वोत्तम कृति के रूप में मनुष्य को विवेक, बुद्धि और आत्मचिंतन से हर प्रकार का निर्णय करने का कौशल दिया हुआ है, बस इसी का हमें स्वस्थ मन से उपयोग करना है। हम जो करेंगे, वह पूरी तरह गोपनीय ही है। जिसे जो करना है वह करे, लेकिन मतदान जरूर करें। मतदान हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था का मूलाधार है और हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस बुनियाद को मजबूती देने में पूरी आत्मीयता के साथ आगे आएं।

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