मेंटल महेश्वरी की संस्कृत के बारे में मानसिकता

* चिंता और चिंतन का विषय*
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ये तथाकथित मोटिवेशनल स्पीकर वास्तविकता में मेंटल स्पीकर संदीप माहेश्वरी है, संस्कृत भाषा को अपनी मोटिवेशन क्लास में यूज़ लेस भाषा बताता है, कहता है संस्कृत भाषा relevant प्रसांगिक नहीं है संस्कृत के ग्रंथों का हिंदी अंग्रेजी में अनुवाद हो चुका है| यह कोई भाषाविद नहीं है एक फोटोग्राफर रहा है अपने कैरियर में|

किसी भाषा के अनुवाद होने से ही यह उसके अस्तित्व को समाप्त मान रहा है|

हताश निराश बेरोजगार अवसादी युवाओं की भीड़ के मन से खेल कर ऐसे चालबाज वाकपटुता से मोटिवेशनल स्पीकर बन जाते हैं यह धंधा अब जोरों पर है भारत में|

इस मुर्ख को यह नहीं पता संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति का आधार है| दुनिया के चारों भाषा परिवार indo-european ,तिब्बती बर्मी ,चाइनीस सभी की जननी है संस्कृत| संस्कृत मनुष्य कृत भाषा नहीं है ईश्वरीय भाषा है इसके नियम ईश्वर ने वेदों में प्रयोग किए हैं| पाणिनि पतंजलि जैसे ऋषि यों ने तो अष्टाध्याई महाभाष्य के माध्यम से संस्कृत व्याकरण के उन नियम को सुरक्षित रखा है…| जितने प्राचीन सूर्य चांद तारे यह सृष्टि है संस्कृत भी उतनी ही प्राचीन भाषा है| दुनिया की अन्य भाषाएं आई गई लुप्त हो गई संस्कृत भाषा आज भी कायम है…| हर कोई मूर्ख संस्कृत का अध्ययन नहीं कर सकता श्रेष्ठ को पाने पहचानने वाले बहुत कम ही होते हैं|

ज्ञान विज्ञान कंप्यूटर साइंस की सर्वाधिक उपयुक्त भाषा संस्कृत है नासा इस पर दशकों पहले मुहर लगा चुका है|

अधिक को थोड़े में समझाने लिखने का कौशल केवल संस्कृत भाषा में ही है| संदीप महेश्वरी जैसे मूर्ख सात जन्म में भी संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता व्यापकता सार्वभौमिकता को नहीं समझ सकते|

आर्य सागर खारी ✍✍✍

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