राजभवन भारत का , कालीन चीन की

*राजभवन भारत का ,कालीन चीन की*
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उत्तर पूर्व राज्य सिक्किम के राज्यपाल महामहिम श्रीमान गंगा प्रसाद जी उनके कार्यालय ने यह फोटो आज ही अपने फेसबुक पेज पर डाली है|

सिक्किम राज भवन की ही फोटो है|

गौर से आप देखिए राजभवन के इस अतिथि कक्ष में फर्श पर डाली हुई कालीन को|

कालीन चाइनीज है आप कहेंगे आपको कैसे पता?

कालीन पर चीन में उल्लेखनीय माने जाने वाले काल्पनिक स्नेक लाइक जलचर नभचर सरीसृप ड्रैगन की फोटो अंकित है|

चीन की 140 करोड़ की आबादी में से 120 करोड से अधिक आबादी हान लोगों की है…. यह चीन ही नहीं दुनिया का सबसे बड़ा एथेनिक ग्रुप है|

हान लोग पूरे दिन भर में जब तक इस कल्पनिक जानवर के किससे ना सुन ले उनको नूडल हजम नहीं होता|

चीनी पॉटरी व कालीन के ऊपर ड्रैगन अंकित होता है| अधिकतर, चीन से आयातित 90 फ़ीसदी कालीन ऐसी ही होती है |

चीन की पहुंच हमारे राज भवनों तक है बात सात सज्जा की ही क्यों ना हो|

राजभवन में भदोही, उत्तर प्रदेश में निर्मित कालीन भी डाली जा सकती थी| 18 वीं शताब्दी तक भदोही के कालीन पूरी दुनिया में निर्यात की जाती थी| आज भी इनका कोई विकल्प नहीं है टिकाऊ ,गुणवत्ता के मामले में|

अपनी समृद्ध गौरवशाली परंपराओं विश्व में स्थापित रहे उत्पादों को प्रचार प्रसारित ना कर चीन जैसे विस्तार वादी देश के उत्पादों को राजभवन में में स्थान देना क्या उचित है |

चीन सिक्किम पर भी अपना दावा पेश करता है | दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी कंचनजंगा सिक्किम भारत में ही है |कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान भी है जो Bio biodiversity के मामले में दुनिया में अनूठा है|

कुछ अति उत्साही लोग कहेंगे ड्रैगन को पैरों तले रौंदा जा रहा है |China पर फर्क नहीं पड़ता चीन कम्युनिस्ट देश है वहां ड्रैगन पूजनीय नहीं केवल मनोरंजन की विषय वस्तु है|

क्या स्वदेशी का आग्रह राष्ट्रवाद का प्रदर्शन केवल आम भारतीय के लिए है राज भवनों के लिए छूट है|

सिक्किम राज भवन में कालीन तो भदोही उत्तर प्रदेश निर्मित डाली जा सकती थी| इस पर तो डब्ल्यूटीओ का कोई अंतरराष्ट्रीय संधि नहीं है|

*आर्य सागर खारी*✍✍✍

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