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हिंदू महासभा ने दी अपने पूर्व अध्यक्ष डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि , आज का बंगाल और पंजाब भारत को डॉक्टर मुखर्जी की देन : संदीप कालिया

नई दिल्ली । ( सत्यजीत कुमार ) अपने पूर्व अध्यक्ष रहे डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अखिल भारत हिंदू महासभा ने एक विशेष बैठक के माध्यम से उनके जन्मदिवस पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संदीप कालिया ने कहा कि वर्तमान बंगाल और पंजाब का जितना क्षेत्र भारतवर्ष के साथ है यह डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की देशभक्ति और सफल कूटनीति की योजना के फलस्वरूप भारत को मिल पाया था , अन्यथा पाकिस्तान आज की अपेक्षा बहुत बड़ा देश होता जो भारत के लिए और भी अधिक सिरदर्द पैदा करने का कारण बनता ।
श्री कालिया ने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के भीतर देशभक्ति व कूटनीति कूट-कूट कर भरी हुई थी। उनका राष्ट्रवाद आज के शासक वर्ग के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत है । उन्होंने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी वीर सावरकर जी के राष्ट्रवाद से प्रेरित होकर हिंदू महासभा में सम्मिलित हुए थे और इसके चिंतन से सदैव ऊर्जा लेते रहे । उनके आदर्शों पर चलते हुए पार्टी के प्रत्येक कार्यकर्ता को गर्व और गौरव की अनुभूति होती है।

उन्हें पश्चिम बंगाल के हिंदुओं की उपेक्षा सहन नहीं हुई थी। जिस कारण वह वहां की मुस्लिम लीगी सरकार के विरोध में सीना तान कर उठ खड़े हुए थे। जब सरकार ने मिलकर बंगाल के विभाजन की रणनीति बनाई तो उसका भी उन्होंने विरोध किया और बंगाल के बहुत बड़े भाग को भारत के साथ रखने में सफलता प्राप्त की । श्री कालिया ने कहा कि गांधी और पटेल के अनुरोध पर श्री डॉक्टर मुखर्जी भारत के पहले मंत्रिमंडल में सम्मिलित हुए थे परंतु जब समय आया और देखा कि सरकार राष्ट्रवाद की बातों को छोड़कर तुष्टीकरण और दब्बूपन की नीतियों का अवलंबन कर रही है तो उन्होंने सरकार में रहते हुए भी सरकार का विरोध करना आरंभ कर दिया। उन्होंने धारा 370 को हटाने की जोरदार वकालत की । जिससे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से उनके मतभेद गहराते चले गए । क्योंकि नेहरू उक्त धारा को बनाए रखना उचित मानते थे ।

श्री कालिया ने कहा कि डॉक्टर मुखर्जी एक ऐसे वक्ता और नेता थे जिन्होंने इस धारा को पहले दिन से देशघाती बताया । समय ने सिद्ध कर दिया कि यह धारा वास्तव में ही देश के लिए घातक सिद्ध हुई।
उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री ने जब स्वयं को प्रधानमंत्री कहना आरंभ किया तो डॉक्टर मुखर्जी का खून खौल उठा ।उन्होंने देश की संसद में खड़े होकर इस व्यवस्था का विरोध करते हुए कहा था कि दो निशान दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे नहीं चलेंगे ।
आहत डॉक्टर मुखर्जी ने 1952 में जम्मू में एक विशाल रैली की । जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने उपस्थित होकर अपने प्रिय नेता को सुना । 1953 में बिना परमिट जम्मू कश्मीर के लिए उन्होंने प्रस्थान किया । वहां पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 23 जून 1953 को उनकी रहस्यमई मृत्यु हो गई । श्री कालिया ने कहा कि उनकी मृत्यु के रहस्य को आज तक सरकार ने छुपा कर रखा है । ऐसे में हम केंद्र की वर्तमान सरकार से मांग करते हैं कि डॉक्टर मुखर्जी की रहस्यमयी मृत्यु से पर्दा उठना चाहिए ।
श्री कालिया ने कहा कि केंद्र की वर्तमान सरकार ने धारा 370 को हटाकर डॉक्टर मुखर्जी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है । का अखिल भारत हिंदू महासभा पहले दिन से समर्थन करती आई है अब पार्टी मांग करती है कि केंद्र की मोदी सरकार उनकी मृत्यु के रहस्य से भी पर्दा उठा कर देश को इस सत्य से भी अवगत कराये ।

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