लद्दाख से प्रधानमंत्री मोदी ने चीन को दिया महत्वपूर्ण संदेश : शत्रु समझ गया है कि भारत न तो झुकेगा और न दबेगा

नवीन नवाज, श्रीनगर। प्रधानमंत्री मोदी ने अचानक लद्दाख में जाकर जिस प्रकार सैनिकों को संबोधित किया है उससे शत्रु को पता चल गया है कि 2020 का भारत एक नया और जोशीला भारत है , जो अपनी संप्रभुता , राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए लड़ना भी जानता है और शत्रु के सामने आकर खड़ा होना भी जानता है । प्रधानमंत्री श्री मोदी ने चीन को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए न तो किसी के सामने झुकेगा और न हीं किसी से दबेगा । एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए वह कुछ भी करने के लिए स्वतंत्र है । प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को न केवल चीन ने बल्कि दुनिया के अन्य देशों ने भी बड़े ध्यान से सुना है ।बदलते हुए भारत का भाषण देकर प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की एक बेहतरीन इमेज दुनिया के सामने पेश करने में सफलता प्राप्त की है।

चीन ही नहीं मोदी पूरी दुनिया को बताने में सफल रहे कि भारत अब किसी भी घात पर पीछे नहीं हटेगा। वह प्रतिघात से बचेगा लेकिन हर हमले का करारा जवाब देने से उसे कोई नहीं रोक सकता। ऐसे में चीन के साथ ही पाकिस्तान भी गिलगिट-बाल्टिस्तान की स्थिती बदलने की साजिश रच रहा है। प्रधानमंत्री ने लद्दाख जाकर दोनों मुल्कों को साफ संदेश दिया है कि वह अपनी हद में रहें।
जुलाई 3 को लेह में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने लिखा था कि-
जिनके सिंहनाद से सहमी
धरती रही अभी तक डोल,
कलम, आज उनकी जय बोल।
मैं आज अपनी वाणी से आपकी जय बोलता हूं।
उन्होंने कहा कि आज लद्दाख के लोग हर स्तर पर चाहे वो सेना हो या सामान्य नागरिक के कर्तव्य हों, राष्ट्र को सशक्त करने के लिए अद्भुत योगदान दे रहें हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे यहां कहा जाता है, वीर भोग्य वसुंधरा। यानी वीर अपने शस्त्र की ताकत से ही मातृभूमि की रक्षा करते हैं। ये धरती वीर भोग्या है। इसकी रक्षा-सुरक्षा को हमारा सामर्थ्य और संकल्प हिमालय जैसा ऊंचा है। ये सामर्थ्य और संकल्प में आज आपकी आंखों पर, चेहरे पर देख सकता हूं।
मोदी द्वारा लेह में सैनिकों के बीच राष्ट्रकवि रामधारी दिनकर की कविता का पाठ करने पर लोगों आशंका व्यक्त कर रहे थे कि आखिर किस कारण मोदी कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा का स्वांग कर रहे हैं? लेकिन वास्तविकता यह है कि मोदी ने दिनकर के माध्यम से जवाहर लाल नेहरू से लेकर वर्तमान कांग्रेस तक चीन के मुद्दे पर राष्ट्र को धोखे में रखने की चालों का रहस्योघाटन किया है।
चीन से हारने पर चहुँ ओर नेहरू और कांग्रेस की आलोचना होने पर राष्ट्रकवि दिनकर ने कविता के माध्यम से अपना दर्द व्यक्त किया था।
आज हम दिल्ली के रामलीला मैदान में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की उपस्थिति में लता मंगेश्कर द्वारा गाया कवि प्रदीप रचित गीत “ऐ मेरे वतन के लोगों….” को सुनते समय आँखों में आंसू ले आते हैं, यदि गीत के शब्दों में छिपे सन्देश को देखें तो बहुत कुछ वर्णित कर रहे हैं। यह गीत इतना अधिक भाव विभोर था कि नेहरू गीतकार कवि प्रदीप को उपस्थित न देख उन्हें इतने राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत गीत की बधाई देने स्वयं मुंबई तत्कालीन बम्बई गए थे।
सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञ सेवानिवृत्त मेजर जनरल दिलावर सिंह कहते हैं कि अगर आप प्रधानमंत्री के दौरे को ध्यान से देखें। उन्होंने जिस तरह से भगवान कृष्ण का जिक्र किया है, उससे पता चलता है कि चीन के साथ वह हर मोर्चे पर लड़ने की तैयारी कर चुके हैं। उनका इशारा साफ है कि पाकिस्तान उड़ी, बालाकोट देख चुका है, इससे चीन को सबक लेना चाहिए। अन्यथा, गलवन में जो हुआ है, उसे भारतीय जवान तिब्बत से आगे चीन में दोहराने से नहीं चूकेंगे। उन्होंने कहा कि चीन ने प्रधानमंत्री के संदेश को समझ भी लिया है। यही कारण है कि वह तनाव कम करने की बात कर रहा है। यह वही चीन है जो पूर्वोत्‍तर में अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम में किसी राष्ट्रीय नेता के दौरे पर शोर मचाता है।

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