एन एन वोहरा समिति के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका हुई स्वीकार तो राजनीतिज्ञों , माफिया लोगों एवं अफसरशाही के अंतर संबंधों पर कसेगी लगाम

……………………………….
राकेश छोकर / नई दिल्ली
……………………………..
राजनीतिज्ञों, माफिया एवं अफसरशाही के बीच के अंतर संबंधों को लेकर बहुत वर्षों से कड़े कानून बनाने संबंधित चर्चाएं जोरों पर रही है, लेकिन इस संबंध में एन एन वोहरा समिति गठित किए जाने के बाद, अभी तक कोई भी यथोचित प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है।
इस संबंध को जांचने के लिए एन एन वोहरा की अध्यक्षता में बहुत वर्ष पहले एक समिति गठित की गई थी , और वह रिपोर्ट भारत सरकार को को सौंप दी गई थी।लेकिन उस रिपोर्ट को आज तक भारत की जनता के हित में प्रकाशित या प्रसारित नहीं किया गया। अभी हाल में प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के आत्महत्या अथवा हत्या के संदर्भ में माफिया, राजनीतिज्ञ एवं अफसरशाही के संबंध प्राकट्य हुए हैं। जिसकी वजह से एन एन वोहरा समिति की रिपोर्ट को लेकर फिर से आवाज उठने लगी है।

इस संबंध में वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं संस्थापक महासचिव हेरिटेज फाउंडेशन प्रभु नारायण ने एन एन वोहरा समिति के रिपोर्ट को प्रकाशित एवं प्रसारित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है । उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को निवेदन प्रेषित किया है कि एन एन वोहरा समिति के संदर्भ में जनहित याचिका को लोकहित में स्वीकार किया जाए।
इस बाबत प्रभु नारायण का कहना है कि कोई प्रसिद्धि के लिए ऐसा नहीं कर रहा हूँ बल्कि दो दशक से ज्यादा समय से यह कार्य कर रहा हूं।भारतीय संविधान में जिन्होंने लोकपाल, लोकायुक्त एवं पंथनिरपेक्ष शब्द दिया है और जो सुप्रीम कोर्ट बार काउंसिल के संस्थापक अध्यक्ष एवं दो दशक तक रहने वाले अध्यक्ष भी रहे हैं, प्रसिद्ध न्यायविद रहे डॉक्टर लक्ष्मीमलसिंघवी के साथ साथ में नजदीक से कार्य किया हैं। उनके द्वारा स्थापित संस्था का महासचिव भी रहा हूं । भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रमेश चंद लाहोटी के साथ भी जुड़ा रहा हूं । मैं एक ईमानदार याचिका दाखिल करता हूं ,इस संदर्भ में जो भी आवश्यक दस्तावेज की आवश्यकता होगी ,वह हम माननीय न्यायालय के सामने प्रस्तुत करेंगे । प्रभु नारायण का कहना है यह भारत की जनता पर एक कलंक है कि माफियाओं ,राजनीतिज्ञों एवं अफसरों के बीच अंतर संबंधों को लेकर जो रिपोर्ट तैयार की गई थी ,वह आज तक जनमानस के समक्ष नहीं रखा गया है , यह लोकतंत्र पर एक गंभीर कलंक है ।
उन्होंने न्यायालय से निवेदन किया है कि इस “जनहित याचिका “को स्वीकार किया जाए। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अभी-अभी एक दिशा निर्देश जारी किया है, कि जो अपराधी प्रवृत्ति के राजनीतिज्ञ हैं ,वे राजनीति में कैसे आए हैं, और क्यों आए हैं ? इस संदर्भ में सोशल मीडिया पर लोग उनके विरुद्ध कंपेन चला सकते हैं ।यह एक एक मील का पत्थर साबित होगा एवं उपरोक्त “जनहित याचिका” इस दिशा में एक बड़ा कदम माना जायेगा।

Comment: