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हर राष्ट्रभक्त का सपना है कि भारत 1857 के जैसा अखंड बने

“महात्मा गांधी जी की हिंदू-मुस्लिम एकता की विधि दूषित थी और उक्त लक्ष्य के विरुद्ध बैठी थी । उसका परिणाम 1946 – 47 के प्रचंड हत्याकांडों में प्रकट हुआ और अंत में देश – विभाजन हुआ , जिसके दु:खद परिणाम होने की संभावना तब तक बनी रहेगी , जब तक यह विभाजन स्थिर रहेगा।”
—- गुरुदत्त (उपन्यासकार)उपरोक्त अकाट्य कथन के पीछे के मर्म को हम समझे कि विभाजन को समाप्त कर देना चाहिए ।
आज के संदर्भ में यही हो सकता है कि पाकिस्तान को खत्म करने के लिए पहले उसके टुकड़े – टुकड़े कर दिए जाएं । पाकिस्तान के चार प्रांत हैं पंजाब , खैबर पख्तूनख्वा , सिंध और बलूचिस्तान । इसमें से बलूचिस्तान , सिंध और खैबर पख्तूनख्वा पाकिस्तान से आजादी चाहते हैं और वे लोग आजादी की लड़ाई लड़ भी रहे हैं । हम लोगों को इन्हें अपना नैतिक समर्थन तो देना ही चाहिए और अगर कुछ और भी सहयोग करके इन्हें आजाद करवाने का काम करें तो इस प्रकार यह तीनों प्रांत पाकिस्तान से अलग हो जाएंगे । फिर बचा पाकिस्तान पंजाब प्रांत ही रह जाएगा ।
आवश्यकता है कि बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा को आजाद करा दिया जाए । यह दोनों ही प्रांत पाकिस्तान से आजाद होना चाहते हैं और अपनी आजादी की लड़ाई एक लंबे अरसे से लड़ भी रहे हैं ।
बलूचिस्तान तो स्वतंत्र देश बहुत पहले से था इसको अंग्रेजों ने अपने अधीन किया था , सन 1800 से 1947 के मध्य काल तक । 11 अगस्त 1947 को यह ब्रिटिश अधीनता से आजाद हुआ ।

11 अगस्त के दिन को बलोच लोग अपना स्वतंत्रता दिवस अब भी मनाते हैं । आजाद होने के मात्र 8 महीने बाद ही पाकिस्तान ने जिसका जन्म 14 अगस्त 1947 को हुआ था ,उसने जन्म होने के कुछ माह पश्चात ही सैन्य बल का प्रयोग कर हमेशा से स्वतंत्र रहे देश बलूचिस्तान को 27 मार्च 1948 के दिन दफन कर लिया ।
27 मार्च के दिन को बलोच भाई बहन काला दिन मानते हैं और इसीलिए इस दिन को वे ब्लैक डे के रूप में मनाते हैं । वहां के लोग तब से अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं । विगत 5 वर्षों से इनकी लड़ाई चरम पर है ।

इन दिनों तो बहुत ज्यादा तेजी से वे लोग अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहे हैं । लगभग प्रतिदिन 5 से 6 पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतारने का काम कर रहे हैं । जिस प्रकार भारत को स्वतंत्र कराने के लिए हम लोगों के अनेक क्रांतिकारियों ने अपना बलिदान दिया था उसी प्रकार आज बलूचिस्तान में हजारों लोग अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहे है और प्रतिदिन पाकिस्तानी सैनिकों को मौत के घाट उतार रहे हैं और कहीं-कहीं पर उनका अपना भी बलिदान हो रहा है । ऐसा प्रतीत होता है कि यह देश पाकिस्तान से स्वयं को बहुत जल्द आजाद करा कर ही रहेगा ।
आज की परिस्थिति में पाकिस्तान का लगभग 45% भूभाग बलूचिस्तान है । बलूचिस्तान अपने आप को आजाद करा लेता है तो इस प्रकार पाकिस्तान अभी जो है वह बलूचिस्तान के आजाद होने से केवल आधा ही रह जाएगा । खैबर पख्तूनख्वा के लोग 1947 में पाकिस्तान निर्मिती के समय से ही दुखी हैं ।
उनकी भाषा पश्तो है । उन लोगों को पख्तून कहा जाता है । खैबर पख्तूनख्वा फिलहाल पाकिस्तान का एक प्रांत है । इसकी राजधानी पेशावर है । इन लोगों को पाकिस्तान बनने के समय से ही पंजाबी मूल के मुसलमानों ने दबा कर रखा है । यह अंदर अंदर घुट रहे हैं ।
अब इनका भी आक्रोश बलूचिस्तान के लोगों को आजादी के लिए लड़ते देखकर हिलोरे मारने लगा है । यह लोग स्वार्थी पंजाबी मुसलमानों के साथ रहने को तैयार नहीं है । इन लोगों ने अपनी आजादी की लड़ाई को प्रारंभ कर दिया है ।जब यह पाकिस्तानी हुकूमत के साथ रहना ही नहीं चाहते हैं तो जबरदस्ती इनको रखना दुष्कर है । इस प्रकार यह आजाद होकर रहेगा । मानवता के नाते ही सही इनको आजाद होने में सहायक बनना ही चाहिए ।

पीओके और सिंध को भारत में मिलाया जाए ।
पीओके (पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर)मतलब पाक अधिकृत कश्मीर जिसे पाकिस्तान अक्टूबर 1947 में अचानक कश्मीर पर हमला करके एक बड़ा भूभाग अपने कब्जे में करने में सफल रहा । उस समय भारत की तदर्थ सरकार के प्रधानमंत्री नेहरु जी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया । सरदार बल्लभ भाई पटेल के कारण बाकी क्षेत्र पाकिस्तान में जाने से बचा । इस प्रकार लगभग आधा कश्मीर भारत में है और शेष आधा पाकिस्तान में जिसे पाकिस्तानी आजाद कश्मीर कहते हैं और हम लोग पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) कहते हैं ।
इसको तो उसी समय अक्टूबर 1947 में ही सरदार वल्लभ भाई पटेल के द्वारा भेजी गई सेना के द्वारा वापस कश्मीर में मिला लिया गया होता । यह तो नेहरु जी की अदूरदर्शिता के कारण युद्ध विराम की घोषणा के साथ रह गया ।
इस प्रकार नेहरू जी ने आधे कश्मीर जिसे अब हम लोग पीओके कहते हैं , उसे पाकिस्तान की झोली में डालने का काम किया । आज इसी पीओके को भारत में मिलाने का काम होने जा रहा है ।
सिंध के बारे में जानना अत्यंत ही आवश्यक है । जिस प्रकार खैबर पख्तूनख्वा के लोग पाकिस्तान बनने के समय से ही पंजाबी मुसलमानों के स्वार्थी होने के कारण इन लोगों से अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं , उसी प्रकार सिंध के लोग भी पाकिस्तानी पंजाबी मुसलमानों से दुखी हैं और वे भी अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं । आज इनकी लड़ाई काफी तेजी पर है । यह लोग पाकिस्तानी हुक्मरानों से अपने आप को आजाद करवाना चाहते हैं ।
भारत को चाहिए कि जिस प्रकार 1971 में इंदिरा जी ने पूर्वी पाकिस्तान के लोगों को सैन्य सहायता देकर आजाद करवाकर बांग्लादेश बनवाने का काम किया , उसी प्रकार वर्तमान भारत सरकार सिंध के लोगो को सैन्य सहायता देकर आजाद करवाने का काम करें और सिंध को भारत में मिलाने का भी काम करें ।
सिंध का भारत में विलय होना आवश्यक है । तभी अपनी राष्ट्रगान की पंक्ति पंजाब सिंध गुजरात मराठा …. यह साकार हो सकेगी । हुतात्मा पंडित नथुराम गोडसे जी की अस्थियां जो आज भी पुणे में रखी हुई हैं , वह हुतात्मा पंडित नाथूराम गोडसे जी की वसीयत के अनुसार इंतजार कर रही हैं कि कब सिंधु नदी भारत की पताका के नीचे से बहे तब उनकी अस्थियों को सिंधु में प्रवाहित किया जाए । इस प्रकार सिंध का भारत में विलय बहुत ही आवश्यक हो जाता है और यह काम वर्तमान भारत सरकार को अवश्य करना चाहिए ।
बचा पाकिस्तान (पंजाब प्रांत) अपना नामकरण स्वतः ही पंजाबिस्थान कर लेगा । इस प्रकार पाकिस्तान जिसका जन्म हुआ था वह मृत्यु को प्राप्त होगा मतलब पाकिस्तान सर्वदा के लिए समाप्त हो जाएगा । इसके बाद की योजना यह हो सकती है कि नए बने ये छोटे – छोटे देश बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा और पंजाबिस्थान खुद आकर कह सकते हैं कि हम भारत की नीतियों में आस्था प्रकट करते हैं । अतः हमें भारत में विलीन होने का अवसर दिया जाए । इस प्रकार भारत का पश्चिमी क्षेत्र अपना अनुसरण करने लगेगा और यह 1857 के अखण्ड भारत निर्माण की ओर एक अच्छा कदम होगा ।
कालांतर में तिब्बत , नेपाल और भूटान भी इन नए बने छोटे-छोटे देशों के भारत में विलय के पश्चात इसी आधार पर सोचने को बाध्य होंगे और यह निश्चित है कि वे भारत में अपने आप को विलय करना चाहेंगे ।
इसी तर्ज पर बर्मा और श्रीलंका भी भारत के साथ आ सकते है ।
इस प्रकार यह 1857 के अखंड भारत का सपना साकार हो सकेगा । अभी पृष्ठभूमि बनी है तो एक न एक दिन यह अवश्य पूरी भी होगी । चाहे इसमें 25 – 50 साल लगे लेकिन यह होना ही है ।धर्म चंद्र पोद्दार
झारखंड प्रदेश अध्यक्ष
अखिल भारत हिंदू महासभा
मो न 9934167977

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