वैचारिक क्रांति के माध्यम से हो संस्कारित युवाओं का निर्माण: धनपति महतो

सिल्ली 61 विधान सभा क्षेत्र झारखंड के रहने वाले और भारतीय जनता पार्टी की सक्रिय राजनीति करते हुए मिशन न्यू इडिया नरेन्द्र मोदी विचार मंच के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष धनपति महतो एक युवा नेता है जोकि देश व समाज में वैचारिक क्रांति के माध्यम से परिवर्तन लाने के समर्थक हैं उनका मानना है कि देश और समाज को नई दिशा देने के लिए बौद्धिक आंदोलन खड़ा किया जाना समय की आवश्यकता है। उनसे पिछले दिनों ‘उगता भारत’ के सहसंपादक श्रीनिवास आर्य से हुई बातचीत के कुछ अंश यहां पर प्रस्तुत किए जा रहे हैं :–

प्रश्न : महतो जी ! इस समय देश की स्थिति बड़ी नाजुक बनी हुई है , इस पर आपका क्या चिंतन है ?

उत्तरव: देखिए ! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का सक्षम नेतृत्व इन विषम परिस्थितियों में मिलना देश के लिए सौभाग्य की बात है । मुझे पूरा विश्वास है कि उनके नेतृत्व में देश इन विषम परिस्थितियों पर काबू पाएगा और हम विजयी होकर बाहर निकलेंगे । कोरोना के मामले में सारे देश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का साथ दिया है और उनकी बात को माना है । साथ ही यह भी स्वीकार किया है कि श्री मोदी ही इस विषम स्थिति में देश का नेतृत्व कर सकते हैं।

प्रश्न : लेकिन तबलीगी जमात के लोगों ने तो प्रधानमंत्री मोदी की बात को नहीं माना ?

उत्तर: जी , तबलीगी जमात के लोगों ने निश्चित रूप से कोरोना को फैलाने में अपनी अज्ञानता और हठधर्मिता का परिचय दिया है । परंतु इसके आधार पर किसी वर्ग विशेष को दोषी ठहराना उचित नहीं होगा । देश के हर समुदाय , संप्रदाय , मजहब और वर्ग के लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आस्था व्यक्त करते हुए शांति पूर्वक लॉक डाउन को सफल करने में अपना सहयोग दिया है । इस समय हमें इसी सकारात्मक दृष्टिकोण को देश की मुख्यधारा मानते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

प्रश्न : आप अपने प्रदेश के बारे में क्या कहना चाहेंगे?

उत्तर: देखिए ! झारखंड इस समय अपने विकास की प्रथम अवस्था में है । प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न होने के उपरांत भी यहां पर कुछ समाज विरोधी लोगों ने अपना दबदबा बनाया । जिससे परिस्थितियां खराब होती चली गई । हमारा प्रयास रहेगा कि झारखंड देश के उन अग्रिम प्रदेशों में पहुंचे जो विकास में आगे होने का दम भरते हैं । मेरा मानना है कि आर्थिक रूप से सक्षम और संपन्न इस प्रदेश की वन संपदा का और वह औषधियों का प्रयोग देश को स्वस्थ रखने में किया जाए और यहां पर जितने वन मिलते हैं उनसे औषधियां बनाने का काम लोगों को दिया जाए तो आयुर्वेद देश की मुख्य चिकित्सा प्रणाली बनकर न केवल देश को स्वस्थ रखेगा बल्कि उससे प्रदेश के लोगों को एक बेहतर रोजगार भी मिलेगा।

प्रश्न :- आप युवा हैं , देश के युवाओं के भीतर वैचारिक परिवर्तन लाकर वे राष्ट्र की मुख्यधारा में कैसे जुड़ सकते हैं अर्थात उनकी बौद्धिक क्षमताओं का देश के लिए कैसे अधिक से अधिक लाभ लिया जाए , इस पर आप क्या कहना चाहेंगे ?

उत्तर : – मेरा मानना है कि इस समय देश के युवाओं को सांस्कृतिक वैचारिक क्रांति के माध्यम से देश की मुख्यधारा से जोड़ने की आवश्यकता है । यद्यपि देश का अधिकांश युवा राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़कर कार्य कर रहा है परंतु मेरा यहां पर कहना यह है कि जब तक हम अपने वेदों के बारे में , उपनिषदों , पुराणों और गीता , महाभारत , रामायण आदि ग्रंथों के बारे में सही जानकारी अपने युवाओं को उपलब्ध नहीं कराएंगे तब तक वह भारत और भारतीयता को समझने में असफल रहेंगे । वर्तमान शिक्षा प्रणाली हमारे युवाओं को भारत की आत्मा से नहीं जोड़ पाई है । जिससे हमारे कई युवाओं में भटकाव की स्थिति पैदा हो जाती है। वे कई चीजों को लेकर यूरोप की ओर देखते हैं , जबकि हमारी अपनी वैदिक संस्कृति ज्ञान विज्ञान से भरी हुई संस्कृति है । हमारा प्रयास होना चाहिए कि अपने युवाओं को हम अपनी संस्कृति के साथ जोड़ें , धर्म की वैज्ञानिक अवस्था के साथ जोड़ें और उन्हें वर्तमान संसार की गति के साथ दौड़ने के लिए प्रेरित करें। इसके लिए इतिहास का तथ्यात्मक लेखन समय की आवश्यकता है । जिसको हमें अपने विद्यालयों में लागू करना चाहिए ।साथ ही मैं यह भी कहना चाहूंगा कि हमारी शिक्षा रोजगार परक न होकर संस्कारपरक होनी चाहिए।

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