जब मानव मांस का शौकीन था ब्रिटिश राज घराना

लंदन। अपनी भव्य दावतों और स्वादिष्ट व्यंजनों के शौक के लिए मशहूर ब्रिटेन का शाही घराना कभी मानव मांस खाने का भी शौकीन रहा है। एक किताब में इस बात का खुलासा किया गया है। ममीज, कैनिबाल्स एंड वैम्पायर किताब में खुलासा किया गया है कि ब्रिटेन के शाही घराने के लोग सम्भवत 18वीं सदी के अंत तक मानव शरीर के हिस्से सुरुचिपूर्ण ढंग से खाते थे।समाचार पत्र डेली मेल के मुताबिक किताब के लेखक रिचर्ड सग का कहना है कि न केवल शाही घराने के लोग बल्कि यूरोप के अमीर लोग भी मानव मांस के शौकीन थे वैसे यह शाही घराना आधुनिक दुनिया के बर्बर नरभक्षियों की निंदा करता है लेकिन वे मानव के शरीर में मौजूद वसा, मांस, हड्डियां, खून, दिमाग और त्वचा का भोजन के रूप में इस्तेमाल करते रहे हैं। मानव शरीर के अंगों का उपचार में भी इस्तेमाल किया जाता था। इसके लिए मानव मांस, हड्डियों या खून का इस्तेमाल किया जाता था। रिचर्ड सग कहते हैं, हमने साहित्य और इतिहास में पढ़ा है कि जेम्स प्रथम लाश से बनी दवा नहीं लेते थे, चाल्र्स द्वितीय खुद लाश से दवा बनाते थे और चाल्र्स प्रथम भी लाश से बनी दवा लेते थे। उन्होंने कहा कि महारानी विक्टोरिया के समय में यह प्रथा गरीब लोगों के बीच बनी रही। सचमुच वक्त का दौर आदमी से कैसे-कैसे रूप बदलवा देता है। जो कभी खुद किसी बुराई में फंसे होते हैं, वक्त आने पर उस बुराई का वही लोग विरोध करने लगते हैं, यही बात ब्रिटिश राज घराने पर लागू होती है।

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