तब्लीगी जमात की करतूतों के खिलाफ धर्मगुरुओं को आगे आना चाहिए

अजय कुमार

तबलीगी जमात की आपराधिक लापरवाही के कारण पूरे देश में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, कोरोना के जितने नए मामले सामने आ रहे हैं उसमें से 90 प्रतिशत मामले तबलीगी जमात के चलते ही बढ़े हैं।
किसी धर्म और उसके मानने वालों की सोच कभी इतनी संकुचित नहीं हो सकती है कि वह मानवता को ही शर्मशार करने लगे, लेकिन जब कुछ लोग धर्म की आड़ में या धर्म के ठेकेदार बनकर सही को गलत और गलत को सही साबित करने में लग जाते हैं तो इससे अन्य लोगों को तो बाद में नुकसान होता है, इससे पहले ऐसा करने वालों को नतीजे भुगतने पड़ जाते हैं। ऐसा ही कोरोना महामारी के समय भी देखने को मिल रहा है, जिस जमात के लोग कहते फिर रहे थे कि कोरोना मुसलमानों का कुछ नहीं बिगाड़ेगा, यह काफिरों के लिए है, वही लोग इस समय सबसे अधिक कोरोना पीड़ित हो रहे हैं। यह स्वयं तो पीड़ित हो ही रहे हैं अपने साथ−साथ पूरे समाज के लिए खतरा बने हुए हैं, ऐसे लोग जब कभी धर्म के नाम पर मानवता को शर्मशार करने लगें तो ऐसे धर्म या पंथ के धार्मिक गुरुओं, बुद्धिजीवियों का यह कर्तव्य हो जाता है कि वह ऐसी खतरनाक मानसिकता वाली शक्तियों का डट कर मुकाबला करें। अगर ऐसा नहीं होता है तो इसका खामियाजा पूरे देश को भुगतना पड़ता है, जैसा कि कोरोना के बढ़ते मामलों में देखने को भी मिल रहा है। बात तबलीगी जमात की हो रही है जो देश और समाज के लिए बड़ा खतरा बन गया है।
तबलीगी जमात की आपराधिक लापरवाही के कारण पूरे देश में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है, कोरोना के जितने नए मामले सामने आ रहे हैं उसमें से 90 प्रतिशत मामले तबलीगी जमात के चलते ही बढ़े हैं। इस बात के प्रमाण भी मौजूद हैं। इस तथ्य के सामने आने के बाद उम्मीद यह की जा रही थी कि तबलीगी जमात का बचाव करने वालों की आंखें खुल जाएंगी और वह तबलीगी जमात की खुल कर निंदा करेंगे, लेकिन देश का यह दुर्भाग्य है कि अभी भी तबलीगी जमात का पक्ष लेने वालों को कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। यह लोग सब कुछ जानबूझ कर भी इस जमात की तरफदारी करने में लगे हैं। यही वजह है कि तबलीगी जमात से जुड़े संदिग्ध कोरोना मरीज और अधिक हठधर्मी कर रहे हैं। पुलिस से मारपीट, लॉकडाउन का उल्लंघन, स्वास्थ्यकर्मियों से सहयोग करने में आनाकानी। तबलीगी जमात से जुड़े और कोरोना पीड़ित महिला डाक्टरों−नर्सों के साथ अश्लील हरकतें कर रहे हैं, जो लोग अपने घर की बहू−बेटियों को बुर्कें में रखते हैं, वह बाहर इस तरह का व्यवहार करते हैं तो यह एक प्रकार से राष्ट्रद्रोह ही है। तबलीगी जमात के लोगों की हठधर्मी के चलते उत्तर प्रदेश में भी कोरोना के मामले काफी बढ़ गए हैं। यह सच है कि योगी सरकार पूरी तरह से ऐसे लोगों पर लगाम लगाए हुए हैं जो देशद्रोही हरकतें कर रहें हैं, लेकिन कोरोना पीड़ितों की संख्या तो बढ़ ही रही है।
गौरतलब है कि यूपी में अभी तब तबलीगी जमात के 152 लोगों की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ चुकी है। यूपी सरकार ने 1499 ऐसे लोगों को चिन्हित किया है जो या तो तबलीगी जमात से जुड़े हुए थे या फिर इनके सम्पर्क में आए थे, जो करीब डेढ़ हजार लोग चिंन्हित किए गए हैं उसमें 301 मेरठ के, 281 बरेली के, 67 कानपुर के, 232 वाराणसी के, 108 लखनऊ के, 147 आगरा के, 56 प्रयागराज के, 213 गोरखपुर के, 24 लखनऊ के और 70 गौतमबुद्ध नगर के हैं। तबलीगी जमात के 152 लोग कोविड−19 संक्रमित मिले हैं, जो चिन्ता का विषय है। योगी सरकार द्वारा ऐसे लोग जहां भी चाहे धर्म स्थल या घर में रह रहे हैं, वहां व्यापक रूप से प्रभावी कार्रवाई की जा रही है।
बहरहाल, यह राहत की बात है कि तबलीगी जमात की गैर−जिम्मेदाराना हरकत के बाद भी कोरोना संकट काबू में बताया जा रहा है, लेकिन अगले कुछ दिन काफी महत्वपूर्ण रहने वाले हैं। मोदी और योगी सरकार को इस बात का अच्छी तरह से अहसास है कि यह समय सतत चौकसी बरतने और कोरोना के संदिग्ध मरीजों की तलाश करने का अभियान तेज करने का है। क्योंकि दुनिया के तमाम देशों और खासकर इटली, स्पेन, अमेरिका, ब्रिटेन आदि में हालात जिस तरह बेकाबू होते जा रहे हैं उसका सबक यही है कि जिंदगी बचाने की इस जंग में सब कुछ झोंक दिया जाए। लोगों के बीच यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि कोरोना की जंग आसान हो गई है। आज का सच तो यही है कि कोरोना के खिलाफ युद्ध स्तर पर लड़ाई अभी जारी है जिसे तबलीगी जमात ने और कठिन बना दिया है। शायद इसी कारण मोदी सरकार द्वारा सभी राज्यों से जिला स्तर पर कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने की रणनीति तैयार करने को कहा गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह रणनीति कारगर साबित हो। इसी के साथ यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में स्वास्थ्य तंत्र संसाधनों के अभाव का सामना न करने पाए। क्योंकि भारत एक विकासशील देश है, अपने यहां की स्वास्थ्य सेवाएं उस स्तर की नहीं हैं जैसी अमेरिका, चीन, इटली, जर्मनी, फ्रांस या जापान जैसे देशों की है। जब उक्त देश समुचित सुविधाओं के बाद भी कोरोना महामारी का मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं तब अगर भारत में हालात बिगड़ गए तो मामला हाथ से निकल सकता है। भारत तो वैसे ही ग्रामीण बाहुल्यता वाला देश है, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति काफी दयनीय है।

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