राष्ट्रीय प्रेस महासंघ के प्रथम अधिवेशन में वक्ताओं ने रखे अपने अपने विचार, कहा : पत्रकारिता के माध्यम से देश में वैचारिक क्रांति की है आवश्यकता

राष्ट्रीय प्रेस महासंघ के प्रथम अधिवेशन में वक्ताओं ने रखे अपने विचार

कहा : पत्रकारिता के माध्यम से देश में वैचारिक क्रांति की है आवश्यकता

नई दिल्ली । ( विशेष संवाददाता ) राष्ट्रीय प्रेस महासंघ के प्रथम अधिवेशन में वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि इस समय देश में वैचारिक क्रांति की आवश्यकता है । जिसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अर्थात प्रेस ही पूर्ण कर सकती है ।

अधिवेशन में उपस्थित रहे वीर सावरकर फाउंडेशन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं विशिष्ट वक्ता श्री धर्मचंद पोद्दार ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को भारतीयता के गौरव बोध से भरने के लिए दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ किया जाना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जिन मुसलमानों ने 1945 के चुनाव में मुस्लिम लीग का समर्थन इसलिए किया था कि वह अलग देश चाहते हैं । उन्हें उनका मनपसंद देश पाकिस्तान मिल गया और अपनी 23% आबादी से अधिक अर्थात 30% भाग वह भारत का अलग लेकर चले गए । परंतु इसके उपरांत भी देश तोड़ने की गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाता है । जिसे अब सहन नहीं किया जा सकता ।

इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित बाबा नंद किशोर मिश्र ने कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध वर्तमान केंद्र सरकार जिस प्रकार कार्यवाही कर रही है उसका हम पूर्णतया समर्थन करते हैं। जिसके लिए राष्ट्रीय सोच को विकसित करने में राष्ट्रीय प्रेस महासंघ एक अच्छी भूमिका निभा रहा है ।

कार्यक्रम में विनोद सर्वोदय ने बोलते हुए कहा कि इस समय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुनर्जागरण का काल है जिसके लिए हमें एकजुट होकर कार्य करने की आवश्यकता है ।

विशिष्ट वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए भारत स्वाभिमान ट्रस्ट पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी श्री दयाशंकर आर्य ने कहा कि महर्षि दयानंद के चिंतन से ही भारत की वर्तमान सभी समस्याओं का निस्तारण किया जाना संभव है । उन्होंने कहा कि आर्य समाज और स्वामी दयानन्द जी का चिंतन पूर्णतया राष्ट्रवादी है । इसी चिंतन को पत्रकारिता के माध्यम से प्रस्तुत करने की आवश्यकता है ।

कार्यक्रम का शुभारंभ राकेश कुमार आर्य बागपत द्वारा कराया गया ।उन्होंने राष्ट्रीय प्रेस महासंघ के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला और यह स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय प्रेस महासभा महासंघ के उद्देश्यों को पूर्ण करने में उगता भारत समाचार पत्र किस प्रकार अपनी अहम भूमिका निभा रहा है।

इंद्रप्रस्थ दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ करने और पुराने किले में महाभारत कालीन स्मृतियों को सजीवता प्रदान करने के डॉक्टर आर्य के प्रस्ताव पर कार्यवाही करने का आश्वासन देते हुए डॉक्टर ओम प्रकाश पांडे ने कहा कि वह इस प्रस्ताव को संबंधित मंत्रालय एवं अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत करेंगे और प्रधानमंत्री श्री मोदी तक भी इस अच्छे प्रस्ताव को पहुंचाने में सहायता करेंगे।

इस अवसर पर विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ विजय कुमार महानिदेशक सांख्यिकी विभाग भारत सरकार ने भी अपने विचार व्यक्त किए और आज के संदर्भ में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से ओतप्रोत पत्रकारिता को विकसित करने की भावना पर बल दिया। एक गंभीर चिंतक की भांति अपने विचार प्रस्तुत करते हुए श्री मोहनलाल ने पत्रकारिता की जिम्मेदारियों की सीमा रेखा खींचते हुए कहा कि सत्य का अनुसंधान की आवश्यक नहीं है अपितु उसका प्रचार-प्रसार भी आवश्यक है । इस अवसर पर युवा समाजसेवी राजकुमार यादव ने भी अपना कविता पाठ कर उपस्थित लोगों का मन मोह लिया। जबकि युवा समाजसेवी सूर्यांश यादव के सामाजिक कार्यों की सभी लोगों ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की । राष्ट्रीय प्रेस महासंघ की ओर से इस अवसर पर अनेकों समाजसेवियों का सम्मान भी किया गया।

इस अवसर पर राष्ट्रीय प्रेस महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमित कुमार , उमाकांत गिरी , कोषाध्यक्ष श्रीनिवास आर्य , महासचिव संजय प्रजापति सहित वेद वसु आर्य , एल एस तिवारी , नीरपाल भाटी , अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री एस डी विजयन , झारखंड प्रदेश से श्री धनपति सिंह , किसान महासंघ के नेता डॉक्टर नरेंद्र कुमार तंवर , श्री राकेश कुमार छोकर , आर्य निर्मात्री सभा से बासदेव आर्य फरीदाबाद , प्रभु लाल मुंबई , उड़ीसा प्रतिनिधि श्री विकास मोहंता , बिहार प्रतिनिधि श्री नवल किशोर मिश्र तथा राष्ट्रीय प्रेस महासभा के सैकड़ों पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित थे ।

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