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आज की बचत ही कल की उन्नति की बुनियाद है

समाज के आशा दीप नौनिहालों, आज की उत्तरदाई पीढ़ी के लोग अपनी मेहनत का, अपने परिश्रम का सुखद सुफल आपकी सफलताओं के रूप में, आपकी प्रगति उन्नति के रूप में देखना चाहते हैं। पूरा राष्ट्र और पूरी मानवता आपके रूप में अपनी संभावनाओं और मनोकामनाओं को पूरा होता देखना चाहती है। हमें आपकी योग्यता पर, दक्षता पात्रता पर पूर्ण विश्वास है, क्योंकि आप में जहां धन सिंह कोतवाल, विजय सिंह पथिक और सरदार पटेल का साहस स्वाभिमान जीवंत है, वही आप में मां पन्नाधाय की राष्ट्रभक्ति का त्याग भी मौजूद है। परंतु समय के साथ आपसे कुछ संवाद और विचार विमर्श का मन करता है, इसलिए यहां अपने मन के भावों और अनुभवों को समय की कसौटी के साथ जोड़कर हम साझा करना चाहते हैं।

हौसले जुनून और जज्बातों से उत्साहित नौजवानों वर्तमान युग विज्ञान और आर्थिक उद्यमिता का युग है। दुनिया उनकी मुट्ठी में है जिनमें या तो ज्ञान विज्ञान का तकनीकी कौशल मौजूद है या जो ट्रंप के आर्थिक मॉडल के अनुरूप अपने आर्थिक आधार को मजबूत बनाएं खड़े हैं। आर्थिक स्वावलंबन के लिए पूंजी जरूरी है, उद्योग व्यापार जरूरी है और आय एवं व्यय में संतुलन जरूरी है। सुखद सुरक्षित भविष्य के लिए बचत जरूरी है। सिमित और निश्चित संसाधनों में असीमित आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अनावश्यक खर्चों में कटौती जरूरी है। सोचो, विचार करो और हकीकत स्वीकार करो, हम और आप सीमित संसाधनों वाले लोग हैं, बड़े उद्योगपति, बड़े व्यवसायी या बड़े जमींदार के वारिस नहीं हैं। लेकिन हमारे अरमान और सपने जरूर बड़े हैं। जिन खर्चों में कटौती की जा सकती है वे केवल हमारे संज्ञान में अनाप-शनाप महंगे शादी विवाह के खर्च, छोटे छोटे बहाने लेकर जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ, प्रिय जनों की मृत्यु पर ब्रह्म भोज, आस्था और धर्म के नाम पर कथा जागरण आदि में होने वाले खर्च हैं। बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य प्रद खान पान और आवश्यक पहनावे आदि में कटौती न करें। अच्छी शिक्षा में होने वाले व्यय में कटौती बिल्कुल न करें, क्योंकि अच्छी शिक्षा पर किया गया खर्च, खर्च नहीं बल्कि महत्वपूर्ण निवेश है। घर में जरूरत के अनुरूप सुविधाएं मुहैया कराएँ, विलासिता से बचे, क्योंकि विलासिता आलस्य, अकर्मण्यता और नाहक अहम् पैदा करती है। अन्य समाजों से सीखे वे शादी विवाह में एक ही बड़ा आयोजन करते हैं और वह भी लड़की पक्ष और लड़का पक्ष मिलाकर आधा-आधा खर्च वहन करते हैं। इससे उनके मंतव्य में परिवार और परिजनों का समय बचता है और पैसा भी बचता है, क्योंकि एक ही आयोजन में दोनों पक्ष के सब लोग भागीदार हो गए। वे बाकी आयोजन घर की रसोई से ही पूरे कर लेते हैं, क्योंकि अन्य आयोजनों में वे समाज और परिजनों की भागीदारी बहुत सीमित रखते हैं। आर्थिक चुनौतियों के युग में पैसा बचाएँ, उसे व्यवसाय और व्यापार में निवेश कर अधिक से अधिक धन कमाएँ, इससे आपका जीवन सफल होगा, क्योंकि हमारा समाज ही नहीं पूरा देश और राष्ट्र आज जिस आर्थिक मजबूती पर खड़ा है उसमें हमारी पीढ़ी से पहली पीढ़ी की मेहनत का पसीना और आय एवं व्यय में संतुलन कर बचत का विवेक भी बड़ा कारण है। यह संवाद आपसे केवल अपनत्व के साथ, खून के रिश्तों के साथ परामर्श मात्र है, मानना न मानना आपके विवेक पर निर्भर है। लेकिन हमारा विश्वास है कि आप विवेकशील प्राणी हैं, वर्तमान की जरूरत को समझते हैं, इसलिए आप आय और व्यय के संतुलन के महत्व को समझेंगे और फिजूल खर्ची पर लगाम लगाएंगे।

राजपाल सिंह कसाना

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