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हमारे कुल, गोत्र – वंश की परंपरा में झलकता है इतिहास : डॉ आर्य

महाशय बृजलाल आर्य की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम हुआ संपन्न

फरीदाबाद। यहां स्थित ग्राम नीमका में आर्य समाज के विद्वान और एक समर्पित व्यक्तित्व के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त स्वर्गीय मo बृजलाल आर्य की पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष यज्ञ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पूर्व उप जिलाधिकारी रहे इंदर सिंह आर्य ने कहा कि हमें वेद की आज्ञा का पालन करते हुए परिवार को आदर्श भावना के साथ संचालित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वेद का आदेश है कि पुत्र को पिता का अनुव्रती और माता के समान हृदय वाला होना चाहिए। पति-पत्नी को एक दूसरे के प्रति सद्भाव पूर्ण मिठास भरे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। तभी घर में शांति स्थापित हो सकती है।

विशिष्ट वक्ता के रूप में उपस्थित रहे सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता डॉ राकेश कुमार आर्य ने इस अवसर पर कहा कि भारत के लोगों को इस समय आर्यावर्त को सही स्वरूप में समझने और स्थापित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हिंदू राष्ट्र से बढ़कर हमें अपने लिए आर्यावर्त के मानचित्र को समझना चाहिए। अपने समाज के भीतर हमें नई चेतना जागृत करने के लिए अपने मतभेदों को पाटकर हाथ में हाथ डालकर आगे बढ़ने का संकल्प लेना चाहिए। डॉ आर्य ने कहा कि हमें वेद के अनुव्रती शब्द का अर्थ समझना चाहिए। यह हमारी कई प्रकार की परंपराओं को स्पष्ट करता है । अनुव्रती का अभिप्राय है कि हम अपने पूर्वजों के व्रतों का पालन करने के प्रति समर्पित हैं ,यही हमारी ज्ञान परंपरा में सर्वत्र झलकता है। हम अपने कुल ,वंश, गोत्र आदि का नाम किसी अपने विशेष व्यक्तित्व को समर्पित करके चलते हैं। यह ऐसा व्यक्तित्व होता है जिसने किसी कालखंड में धर्म , संस्कृति और राष्ट्र के लिए विशेष और अनुपम कार्य किया होता है। उसके व्यक्तित्व की उस विशेषता को हम अपने कुल, वंश, गोत्र के द्वारा जीवित रखने का प्रयास करते हैं। साथ ही उसकी परंपरा को भी आगे बढ़ाने के लिए कार्य करते रहते हैं। इस प्रकार कुल , वंश और गोत्र की हमारी परंपरा हमारे अतीत की एक शानदार उपलब्धि होती है।

इसी श्रृंखला में आर्य युवा विचारक और विद्वान ब्रह्मचारी आर्य सागर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत के सामने वर्तमान में जिस प्रकार की चुनौतियां खड़ी हैं उनका हल तलाशने का समय आ गया है । उन्होंने कहा कि यदि हम समय रहते सचेत नहीं हुए तो सनातन को मिटाने में हमारे विरोधी सफल हो जाएंगे । उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भारत की न्यायपालिका जिस प्रकार भारत के युवाओं का चारित्रिक पतन करने के लिए पश्चिमी संस्कृति के व्यसनात्मक विचारों को भारत में परोसने का काम कर रही है, वह बहुत ही चिंताजनक है । जिसके लिए हमारे युवाओं को आगे आना होगा । उन्होंने कहा कि हमें आर्य समाज को कुछ परंपरागत बातों से अलग हटाकर इसके वैचारिक आंदोलन को मजबूती देनी होगी। तभी हम भारत को मिटाने के चल रहे षडयंत्रों पर विजय प्राप्त कर पाएंगे। जबकि देव मुनि जी महाराज ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत को मजबूत बनाने के लिए हमें महाशय बृजलाल आर्य जी जैसे विद्वानों और ऊर्जावान व्यक्तित्व के जीवन से प्रेरणा लेनी होगी। जिन्होंने अपने समय में आर्य समाज के लिए अद्भुत और रचनात्मक कार्य किये। उन्हीं की परंपरा को आज बढ़ाने का हम संकल्प लेते हैं।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे आर्य वेगराज नगर ने कहा कि महाशय बृजलाल आर्य जी का जीवन वेद और वैदिक संस्कृति के लिए समर्पित रहा। जिन्होंने गांव गांव जाकर यज्ञ रचाये और लोगों को स्वामी दयानंद जी महाराज के कार्य को आगे बढ़ाने की शिक्षा देकर आर्य समाज के साथ जोड़ने में सफलता प्राप्त की। इस अवसर पर पंडित धर्मवीर सात्विक द्वारा भजन प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम में यज्ञ का संचालन समर वीर सिंह आर्य द्वारा किया गया। इस अवसर पर भरत सिंह आर्य ,यशपाल सिंह आर्य, ओमप्रकाश आर्य,धर्मपाल आर्य, विजय नागर, सत्य मुनि जी, उधम सिंह आर्य, ईश्वर सिंह आर्य, ऋषिपाल भाटी ,जयराज भाटी, हीरा सिंह आर्य, राजकुमार आर्य , आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के उप प्रधान महावीर सिंह आर्य सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे। इस अवसर पर श्री महावीर सिंह आर्य ने स्वलिखित सत्य पथ नामक पुस्तक कई विद्वानों को समर्पित की।

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