अमृत महोत्सव
देवभूमि भारत से हो रही सद्भाव की वृष्टि
कायम सर्वत्र अमन, है वतन की दृष्टि
आस्था के बाड़ा में खिल रहा संस्कार सुमन
नव सुरभि से प्रफुल्लित तन-मन
कण-कण से निकल रहा अमर संदेश रव
सचमुच यही भारत का अमृत महोत्सव।
निरंतर बह रही प्यार की हवा
समस्त रोग की एक मात्र दवा
सुलगना बन्द हुई असंतोष की आग
रग-रग में अनुराग ही अनुराग
इस धरती से निकल रहा यह मृदु रव
सचमुच यही भारत का अमृत महोत्सव।
गाँधी सशक्त सेनानी, प्रयुक्त अमोघ शस्त्र
शासन ने टेका घुटना, हो पस्त संत्रस्त
रक्तरहित क्रांति, सफल संदेश
छोड़ भारत, अंग्रेज वापस स्वदेश
नवनीड़ से हो रहा खगों का कलरव
सचमुच यही भारत का अमृत महोत्सव।
साथ हमारे राघव, साथ माधव
कतई टिक सकता नहीं कोई दानव
रहे इतिमिनान हो शतायु
रक्षार्थ सजग सतर्क जटायु
रग-रग में अभिव्यंजित यह जयघोष रव
सचमुच यही भारत का अमृत महोत्सव।
अवनि से अम्बर तक विज्ञान का चमत्कार
विहँस रहे वैज्ञानिक, देख सपना साकार
हरी-भरी धरती फल-फूल बिखेर रहे रंग
अवलोक खूबसूरत नजारा कृषक हैं दंग
मर्म से निकल रहा संतुष्टि का रव
सचमुच यही भारत का अमृत महोत्सव ।
विस्थापित हो रहे स्थापित, कश्मीर की आवाज
सफल अभियान हमारी सेना जांबाज
भयरहित कश्मीरी पंडित हुए स्वछंद
अनुकूल हवा बह रही मन्द-मन्द
रावी, झेलम, शतलज से निकल रहा यह रव
सचमुच यही भारत का अमृत महोत्सव ।
भारत की पहचान, अनजान भी मेहमान
भिन्न-भिन्न धर्मावलम्बी, समस्त एक समान
देशानुरागी के कंठ से निकल रहा कर्णप्रिय रव
सचमुच यही भारत का अमृत महोत्सव।
भारत एक शिक्षालय
मन्दिर, मस्जिद, गिरिजाघर का देवालय
ले जाता भव सिन्धुपार
खोल मोक्ष का द्वार
ज्ञानमण्डल में गूंज रहा यह रव
सचमुच यही भारत का अमृत महोत्सव।
-डॉ अजय प्रकाश सिंह
अध्यक्ष, अंग्रेजी – विभाग
राधा-शांता महाविद्यालय तिलौथू, रोहतास, बिहार मो० -8789563081

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