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राजनीति

अखिलेश यादव अपने इतिहास को समझें

मुलायम सिंह यादव भारतीय राजनीति के एक धुरंधर खिलाड़ी रहे हैं। यह तो सब समय का फेर और कर्मों का फल है कि आज वह अपने ही दांव पर फंसे खड़े हैं। उनके आगे कुंआ है-तो पीछे खाई है। अब जाएं तो किधर जाएं, ना तो आड़े वक्त में मुस्लिम तुष्टिकरण काम आ रहा है […]

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अन्य

योग का इतिहास….

योग की उत्पत्ति संस्कृत शब्द युजष् से हुई है, जिसका अर्थ जोडऩा है। योग शब्द के दो अर्थ हैं और दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। पहला है. जोड़ और दूसरा है समाधि। जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ते तब तक समाधि तक पहुंचना असंभव होगा। योग का अर्थ परमात्मा से मिलन है। भारत के छह […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

गर्वीला और गौरवशाली इतिहास है अपने आसाम का

आसाम का गौरव अब एक बार पुन: चलते हैं आसाम की ओर। जी हां, यह वह स्थान है जिसके विषय में हम पूर्व में भी बता चुके हैं कि भारत का यह प्रांत एक दिन भी किसी मुस्लिम सुल्तान या बादशाह का गुलाम नही रहा। यह एक इतिहास है और एक ऐसा इतिहास है जिस […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

तब हम बुद्घ के नही युद्घ के उपासक बन इतिहास बना रहे थे

जिस प्रकार कटेहर ने ताजुल मुल्क और उसके सुल्तान को आनंद की नींद नही सोने दिया और लगभग हर वर्ष कटेहर के स्वतंत्रता आंदोलन को दबाने के लिए दिल्ली के सुल्तान को भारी सेना भेज-भेजकर अपनी विवशता का प्रदर्शन करना पड़ा। वही स्थिति दोआब ने भी सुल्तान के लिए बनाये रखी। पिछले पृष्ठों पर भी […]

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राजनीति

चाणक्य व चंद्रगुप्त महान के राष्ट्रीय इतिहास का निर्माण करें-1

(भारत के केन्द्रीय शासन के संचालन हेतु साठ माह के लिए निर्वाचित नरेन्द्र मोदी सरकार के समक्ष प्रस्तुत साठ तथ्यात्मक प्रस्तावों की विचार पेटिका हमारी ओर से पूर्व में प्रकाशित की गयी थी, उसी क्रम में विद्वान लेखक के द्वारा लिखित विचार पेटिका के अग्रिम अंश को हम यहां सुबुद्घ पाठकों और देश के राष्ट्रीय […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

इतिहास के उस कौतूहल से पर्दा उठना ही चाहिए

क्रांतिकारियों को नेहरू कहते थे-विकृत मानसिकता वाला देश के वैभव के लिए अपने वैभव को तिलांजलि देने वाले क्रांतिकारियों को नेहरू जी जैसे लोग ‘विकृत मानसिकता’ वाला कहते रहे, और उन्हें इतिहास में समुचित स्थान नही दिया गया। नेहरू जी की इस मानसिकता पर सावरकर जी ने उन्हें कहा था-”जब हम प्रधानमंत्री श्री नेहरू जी […]

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साक्षात्‍कार

इतिहास सकारात्मक लोगों के रचनात्मक कृत्यों का प्रचारक है

इतिहास सकारात्मक लोगों के रचनात्मक कृत्यों का प्रचारक है:प्रो. राजेन्द्र सिंहजब उन लोगों पर नजर दौड़ाई जाती है जो आजाद भारत में भी किसी कठोर हृदयी तानाशाह की सी गुलामी का अनुभव कर रहे हैं, और उस तानाशाह के क्रूर कारावास में देश के धर्म, संस्कृति और इतिहास को असीम यातनाओं के बीच कैद पड़ा […]

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महत्वपूर्ण लेख

इतिहास के नाम पर विवेकहीनता का प्रसार-भाग दो

गतांक से आगे…. प्रो. राजेन्द्र सिंह बेटे! मुल्क हिंदुस्तान में मुख्तलिफ मजाहब है। अल्लाह का शुक्र है कि उसने हमें मुल्क की बादशाहत दी। हर कौम के मंदिरों और बाबूदगाहों को जो हुकुमत के तहत है, नुकसान न पहुंचाओ। इन शब्दों को बार-बार उद्धृत करके माक्र्सवादी विचारक यह सिद्घ करना चाहते हैं कि बाबर एक […]

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