अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव और मानवता का भविष्य

 

<>अमेरिका में इस समय राष्ट्रपति पद के चुनाव चल रहे हैं । उनकी प्राथमिक तैयारी में अमेरिकी प्रशासन जुट चुका है । अगले माह यानि  मार्च से सितंबर के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव होने प्रस्तावित हैं। इस समय भारतीय मूल की निक्की हेली रिपब्लिकन प्राइमरी चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पिछड़ती हुई दिखाई दे रही हैं। ट्रंप को इस समय एक नहीं, तीन भारतवंशी उनके अपने देश अमेरिका में घेरने का प्रयास कर रहे हैं। यही कारण है कि डोनाल्ड ट्रंप की भारत के बारे में जुबान बिगड़ती जा रही है। साउथ कैरोलाइना निक्की हेली का अपना गृह राज्य है। वह इस राज्य की दो बार गवर्नर भी रह चुकी हैं। यहां पर उन्हें डोनाल्ड ट्रंप से पराजित होना पड़ा है। अमेरिका के पांच प्रमुख राज्यों आयोवा, न्यूहैमशायर, नेवादा , यूएस वर्जिन आईलैंड्स और साउथ कैरोलाइना में ट्रंप ने अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया है।    रिपब्लिकन पार्टी के खेमे में ट्रंप को कोई भी मजबूत चुनौती नहीं दे पा रहा है। उनका रथ तेजी से व्हाइट हाउस की ओर दौड़ रहा है। यही कारण है कि चुनाव की इस दौर में वह अपने सबसे निकटतम प्रतिद्वंदी रॉन डेसेंटिस से 46 प्रतिशत के अंतर से आगे चल रहे हैं। यद्यपि भारतीय मूल की निक्की हेली भी बहुत पीछे नहीं हैं। उनके समर्थक और राजनीतिक विश्लेषक अनुमान लगा रहे हैं कि वह भी बहुत जल्द रॉन डेसेंटिस को पीछे छोड़कर रिपब्लिकन पार्टी में सम्मानजनक ढंग से दूसरा स्थान प्राप्त कर सकती हैं। ट्रंप के विरोधी मान रहे थे कि जिस प्रकार उन पर आपराधिक मुकदमे दर्ज कराए गए हैं, उनके चलते उनकी स्थिति डांवाडोल हो जाएगी और वह दूसरी बार देश के राष्ट्रपति नहीं बन पाएंगे। पर उनके आलोचकों और विरोधियों के द्वारा फैलाया गया ऐसा सारा भ्रम इस समय निष्फल होता हुआ दिखाई दे रहा है। ट्रंप के लिए उनके विरोधियों द्वारा बिछाया गया भ्रमजाल ही उनकी लोकप्रियता में और अधिक उछाल लाने में सफल हो गया लगता है। डोनाल्ड ट्रंप के समर्थक मजबूती से उनके साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं । इतना ही नहीं, वह अपने साथ और भी लोगों को लाने में सफल हो रहे हैं। इसको अमेरिका में ट्रंप के बिना ट्रंपवाद का नाम दिया जा रहा है।
डेमोक्रेटिक पार्टी के जो बाइडेन भी अपनी लड़ाई को नई धार देने में लगे हुए हैं। वह डोनाल्ड ट्रंप के बढ़ते हुए रथ को रोकने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। वह नहीं चाहते कि जिस व्यक्ति को उन्होंने व्हाइट हाउस से बाहर का रास्ता दिखाया था, वही उनको व्हाइट हाउस से बाहर करें। उन्होंने अपने आप को इस बात पर केंद्रित रखा है कि जैसे भी हो ट्रंप का मुकाबला मजबूती के साथ किया जाए। निक्की हेली 15 राज्यों में रिपब्लिकन प्राइमरी चुनाव के लिए अपना जोरदार प्रचार कर रही हैं। चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि इस सब के उपरांत भी ऐसा नहीं लगता कि वह डोनाल्ड ट्रंप को चुनाव में पीछे छोड़ने में सफल होंगी। यद्यपि हेली अपने प्रतिद्वंद्वी ट्रंप पर बड़े तीखे प्रहार कर रही हैं। उन्होंने ट्रंप की मानसिक स्थिति पर भी गंभीर प्रश्न चिन्ह लगाए हैं। अमेरिकी नागरिकों ने जिस प्रकार ट्रंप पर लगे आपराधिक आरोपों को नजरअंदाज कर उनका साथ देने का मन बनाया है उससे हेली के सारे आरोप बोगस सिद्ध होते जा रहे हैं। यहां पर यह बात भी विशेष रूप से  उल्लेखनीय है कि रिपब्लिकन पार्टी के इतिहास में कभी किसी महिला प्रत्याशी ने प्रेसीडेंशियल प्राइमरी जितने में सफलता प्राप्त नहीं की है। इसका कारण यह है कि रिपब्लिकन पार्टी रूढ़िवादी कट्टर दक्षिणपंथी और श्वेत नस्ल की समर्थक रही है। निक्की हेली मूल रूप से भारतवंशी हैं और अश्वेत भी हैं। वह भारत के साथ मधुर संबंध बनाने की समर्थक रही हैं। वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में भारत अमेरिका किस प्रकार संसार को सक्षम नेतृत्व दे सकते हैं ? इसकी पैरोकार के रूप में हेली को लोग अच्छे से जानते हैं। उनके विरोधी डोनाल्ड ट्रंप उनकी गाड़ी के पहिए को पंचर करने की पूरी तैयारी कर रहे हैं।
अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन की नीतियों की भी डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थकों के द्वारा तीखी आलोचना की जा रही है। इसके जवाब में जो बाइडेन के समर्थक डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल की नीतियों को अपने निशाने पर ले रहे हैं। रिपब्लिकन पार्टी अपने चुनाव प्रचार को धार देते हुए दक्षिणी राज्यों की सीमा से घुसपैठ के मुद्दे को विशेष हवा दे रही है। इसके साथ-साथ वह संघीय सरकार का बजट ग़लत दिशा में ले जाकर ख़ास तौर से जलवायु परिवर्तन और मूलभूत ढांचे के क्षेत्र में ख़र्च करने और’ वोकवाद’ जैसे मुद्दों पर बाइडेन प्रशासन को घेर रही है। वहीं, जो बाइडेन ने अपने अभियान को अपने पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप की गलत नीतियों के संदर्भ में प्रस्तुत करते हुए लोगों को समझाने का प्रयास किया है कि हमने अर्थव्यवस्था को मज़बूती देने और लोकतंत्र को स्थापित करने का ऐतिहासिक और उल्लेखनीय कार्य किया है। उनका मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप के समय में लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ खिलवाड़ किया गया , जिससे लोगों के मौलिक अधिकारों को भी प्रभावित किया गया, लेकिन उन्होंने अपने शासनकाल में वास्तविक धरातल पर लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित करने का कार्य किया है। उनका मानना है कि उनके शासनकाल में कामकाजी वर्ग पर विशेष बल दिया गया है और वैश्विक मंचों पर अमेरिका ने नए मित्र बनाकर नए साझेदारों का विश्वास जीतने का भी सफल और सार्थक प्रयास किया है। जबकि डोनाल्ड ट्रंप के समय में बने बनाए मित्र भी टूट रहे थे।
इस सब के उपरांत भी अमेरिका के मतदाताओं में इस बात को लेकर गहरी निराशा दिखाई दे रही है कि उन्हें जो बाइडेन और डोनाल्ड ट्रंप के रूप में दो ऐसे प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रपति पद के लिए लड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं जिनकी अवस्था इस समय राजनीति से सेवानिवृत होने की हो चुकी है। दोनों की छवि भी बहुत अधिक प्रभावकारी नहीं है। यह अलग बात है कि जब आगे कोई मजबूत प्रतिद्वंद्वी ना हो तो ऐसे में डोनाल्ड ट्रंप को इसका लाभ मिल रहा है।

यहां पर यह बात भी उल्लेखनीय है कि अमेरिका की राजनीति में सदा दो पार्टियों का ही वर्चस्व स्थापित रहा है। हाथी के चुनाव चिन्ह वाली रिपब्लिकन और गधे के चुनाव चिन्ह वाली डेमोक्रेटिक पार्टी ही अमेरिका के मतदाताओं को प्रभावित करती रही हैं। निक्की हेली का डोनाल्ड ट्रंप की पार्टी में रहकर ही उन्हें टक्कर देना सचमुच बहुत ही रोचक है।  हम सबको अमेरिका के इन चुनावों के संदर्भ में परमपिता परमेश्वर से यही प्रार्थना करनी चाहिए कि वहां जो भी व्यक्ति व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में प्रवेश करने में सफल हो वह मानवतावादी सोच रखने वाला हो और दुनिया को आतंकवाद या भयानक परमाणु युद्धों जैसे खतरों से बचाने में उसकी गहरी रुचि हो। सारे विश्व के कल्याण की कामना उसके मानस में रची बसी हो और भारत के वैज्ञानिक वैदिक दृष्टिकोण को विश्व समस्याओं के समाधान के लिए वह उपयोगी मानता हो।

डॉ राकेश कुमार आर्य

(लेखक सुप्रसिद्ध इतिहासकार और भारत को समझो अभियान समिति के राष्ट्रीय प्रणेता है।)

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