गृह निर्माण के लिए आवश्यक जानकारियां

ऋषिराज नागर( एडवोकेट)

हमारे सभी के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब हम अपने लिए नया घर बनाते हैं। आइए, आज गृह निर्माण के समय आवश्यक सावधानियों और तैयारियों के बारे में विचार करते हैं। अपने घर बनाने की तैयारी करते हैं तो सर्वप्रथम आवश्यकता के अनुसार प्लाट (भूमि) का क्षेत्रफल कागजात में नोट करके सर्वप्रथम नक्शा तैयार कराया जाता है। नक्शा बनवाने के समय हम यह अवश्य देखें कि घर का मुख्य द्वार पूरब की दिशा में हो तो सर्वोत्तम है। यदि ऐसा संभव नहीं है तो फिर उत्तर या पश्चिमी दिशा में मुख्य द्वार रखा जा सकता है। अंतिम विकल्प के रूप में दक्षिण दिशा में घर का मुख्य द्वार रखा जाता है। इसका एक ही कारण है कि दक्षिणी दिशा में सूरज अधिक देर रहकर घर के भीतर गर्मी फेंकता है। हमारा देश गर्म देश की जलवायु वाला देश है। इसलिए दक्षिण दिशा से लोग बचते हैं।
सहूलियत तथा मौसम के हिसाब से घर का मुख्यद्वार पूर्व- दिशा या उत्तर- दिशा की ओर, अच्छा रहता है। क्योंकि सर्दी तथा बरसात के मौसम में हवाऐं अधिकतर पश्चिम दिशा से चलती है जो की सर्दी और गर्मी व बरसात के मौसम में घर के तापमान को प्रभावित करती हैं । घर का मुंह यदि पश्चिम की तरफ रखा जाता है तो सर्दी में घर के अंदर सर्दी और गर्मी में गर्मी अधिक रहेगी । पूर्व की ओर घर का मुख्य द्वार होने से ठन्डी हवाओं से रक्षा होती है और सदी में सूर्य की धूप भी सुबह आ जाती है। इसी प्रकार उत्तर दिशा की ओर मुख्य द्वार करके जब घर बनता है तो दोपहर बाद घर में छाया आती है। क्योंकि सूर्य की धूप घर के अन्दर नहीं पहुच सकती है, जिससे दोपहर बाद घर का तापमान नहीं बढ़ता है।
घर, का, नक्शा बनने के बाद उसकी निर्माण-सामग्री का Estimate (खर्चों का आँकना) समझ बूझकर तय करके घर बनाने की रूपरेखा को तैयार किया जाता है। वैसे घर निर्माण कार्यक्रम सर्दी के मौसम जैसे जनवरी से मार्च अथवा अक्टूबर से दिसम्बर के माह मे ठीक रहता है, इस समय गर्मी कम रहती है और वर्षा भी कम प्रभावित करती है। गर्मी के मौसम में मकान की दीवारों और छतों की तराई ज्यादा करनी पडती है। पानी की मात्रा ज्यादा इस्तेमाल करनी होती है। लेबर तथा मिस्त्री का काम भी (कार्यक्षमता) कम होती है। निर्माण कार्य के लिए किसी उत्तम मुहूर्त के चक्कर में पड़ने की आवश्यकता नहीं है । क्योंकि परमपिता परमेश्वर की सृष्टि में सब दिन समान होते हैं। किसी भी दिन किसी भी समय से यह कार्य आरंभ किया जा सकता है। हां, इतना अवश्य देखना चाहिए कि घर परिवार में उस समय शांति हो तथा मौसम प्रतिकूल ना हो। जब घर/ बैंक में रुपया पैसा सुलभ हो तो पंडित/ज्योतिष की जरूरत नहीं रहती है। सम्मान देने के लिए अपने से बड़े व्यक्ति या घर परिवार के जयेष्ठ और श्रेष्ठ / व्यक्ति से नीव में शुरू में ईट लगते हैं।
किसी प्रकार के पाखंड को अपनाकर की जाने वाली पूजा की भी इस समय कोई आवश्यकता नहीं होती है। हां इतना किया जा सकता है कि परमपिता परमेश्वर को स्मरण कर और उससे अपने संकल्प की पूर्ति के लिए प्रार्थना कर प्रथम पांच ईटों को रखा जाए।
निर्माण सामग्री से पूर्व जमीन का भराव अच्छा व करीब 1 साल या 6 माह पूर्व कर ले।

(1) निर्माण कार्य करने वाला राज मिस्त्री ‘अनुभवी होना जरुरी है अथवा अपना निजी अनभव भी काम आता है। राजमिस्त्री से बीच-बीच में सलाह मशविरा जरूरी है। उसके कार्य को देखते रहना चाहिए।

(2) ईटें जब जनवरी फरवरी में रेट कम रहता है, उसी समय ईंटें देख-2 कर मंगा ली जायें तो अच्छा है। नीव में लाल पेटी तथा बाकी निर्माण में अव्वल ईट अच्छी रहती है। ईंटे इमानदार अथवा लाला बनिया के, भटटे से ठीक रहती हैं, क्योंकि वह व्यापारी होता है और अपना व्यवहार, ठीक रखता है।

(3) रोडी एवं बदरपुर बड़े स्टाकिस्ट से लेना फायदेमन्द होता है, क्योंकि उसके पास माल की क्वालिटी तथा मात्रा ठीक ही मिलती है।

(4)- विन्डो या गेट नक्शे के साइज से बनते है उसमें लकड़ी की जानकारी करके तथा फुट लकड़ी का हिसाब लगाकर कार्य पूछ-ताछ करके ही ठीक रहता है वैसे आजकल विंडो एवं दरवाजे साउन के अनुसार स्टील व एलमुनियम, लोहे के भी बनते हैं, उसकी भी जांच पड़ताल करके बनवाना होता है। स्टील में दीमक भी नही लगती है।
(5)- सीमेन्ट अच्छी कम्पनी का होना चाहिए बरसात के मौसम मे सीमेन्ट थोडा-2 करके मगाना चाहिए। सीमेन्ट को तिरपाल प्लाटिक की पिन्नी से ढककर / सम्भालकर रखना होता है, नहीं तो सीलन से सीमेंट में डली बन सकती हैं।

(6) लोहा – सरिया कम्पनी का होना चाहिए इसके रेट निर्धारित रहते हैं। पूछ-ताछ कर माल तोलकर समझदारी से देखकर लेना होता है। कांटा भी जांच लें ।क्योंकि पेमेन्ट तो हमें ही करना है,कहीं ठगे ना जाये, सब सोच समझकर तोल देखकर खरीदारी करे । अपने साथ एक आदमी अपना विश्वास पात्र रखें, तो अच्छा होगा।मकान बनवाते समय ध्यान रखें कि जहां पर निर्माण होता है वहां पहले जमीन में गड्ढा तो नहीं था, मकान भूकम्परोधी होना जरूरी है। मकान में चोखटों से नीचे एवं ऊपर लोहे-सरिया का बीम जरूर डलवाना चाहिए।
मकान की चौखट दरवाजे गांव में हमेशा ऊंची रखनी चाहिए शहर में/कस्बा में मकान सड़क से ऊंचा रखना होता है। इसके लिये मिट्टी का भराव अर्थ फिलिंग करानी जरूरी है। भराव पहले ही या नींव भरकर करें ।मकान निर्माण के समय पानी की निकासी आदि एवं छत के पानी व घर से पानी की निकासी को शुरू में सोचना समझना अनिवार्य है।
मकान में लकड़ी के काम में भी विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। आजकल लोग टाइल्स का प्रयोग भी भरपूर मात्रा में कर रहे हैं। उनमें भी बहुत अधिक ठगी चलती है। उस समय किसी अनुभवी और जानकार को लेकर खरीदारी करवानी चाहिए।

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