शख्सियत और शोहरत (यश) के संदर्भ में

बिखरे मोती

शख्सियत और शोहरत ,
बड़े नसीब से मिलती है।
यह वह नयाब दौलत है,
जो खुदा के करीब से मिलती है॥1980॥
तेरी कृपा से उगें,
मन में सत्संकल्प ।
दृढ़ होवै संकल्प तो,
कोई नहीं विकल्प॥ 1981॥

तेरे ध्यान में प्रभु!
रहूं सदा में लीन
तुम बिन चित्त तडपै मेरा,
जैसे जल बिन मीन ॥1982॥

प्रभु – प्यास लगै चित्त में ,
तो समझ हरी -संकेत ।
साधारण घटना नहीं,
चेत्त सके तो चेत्त॥ 1983॥

मानव -तन संसार में,
ईश्वरीय उपहार ।
धर्म का हेतु है राही,
करले लोकोपकार॥1984॥

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