विश्व संस्कृत दिवस_____ *संस्कृत से ही संस्कृति बनती है*।

संस्कृत ईश्वरीय, देव वाणी है, संसार की सबसे प्राचीन समृद्ध वैज्ञानिक भाषा है ।नित वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को वर्ष 1969 से अपने देश में संस्कृत दिवस व संस्कृत सप्ताह का आयोजन हो रहा है…. संस्कृत सप्ताह संस्कृत दिवस से 3 दिन पूर्व 3 दिन पश्चात तक मनाया जाता है…. किसी भी भाषा का मूल्यांकन उसके बोलने समझने लिखने वाले वर्ग की अधिकता से नहीं उसकी अपार शब्द राशि व्यवस्थित क्रमबद्ध वैज्ञानिक व्याकरण से होनी चाहिए संस्कृत इस पैमाने पर सर्वोत्कृष्ट भाषा है। संस्कृत दिवस पर हमें कम से कम इतना तो संकल्प लेना ही चाहिए भले ही हम दुर्भाग्य से संस्कृत भाषा का शास्त्रीय पाणिनीय व्याकरण की रीती से अध्ययन करें ना करें लेकिन किंचित सौभाग्य से अपने बच्चों को संस्कृत सप्ताह में कम से कम दैनिक रोजमर्रा की प्रयोग की वस्तुओं फल सब्जी वस्त्र जीव जंतु आदि के नाम संस्कृत में कंठस्थ कराएं साथ ही साथ वेद उपनिषद रामायण महाभारत मनुस्मृति विदुर चाणक्य नीति के प्रेरक श्लोक अर्थ सहित कंठस्थ करावे क्योंकि वेद ज्ञान विज्ञान के आदि स्रोत हैं और वेद को जानने की कुंजी संस्कृत भाषा है।

इस दुष प्रायोजित दुष्ट धारणा को दिमाग में स्थान ही ना दें कि संस्कृत भाषा केवल विशिष्ट वर्ग पंडित पुरोहितों की भाषा है । वैदिक संस्कृत ईश्वर के द्वारा निर्मित ईश्वर की प्रत्येक संतान मानव मात्र की भाषा है जो उसने सृष्टि के आदि में आदि गुरु के रूप में मनुष्य को पढाई और समझायी। महर्षि दयानंद सरस्वती ‘ऋग्वेदआदिभाष्य भूमिका’ ग्रंथ में लिखते हैं संस्कृत भाषा को जानने समझने के लिए दुनिया के किसी भी मनुष्य को समान मानसिक परिश्रम करना पड़ता है ,चाहे कोई एशियन हो या यूरोपियन या अफ्रीकन नागरिक अर्थात संस्कृत देश विशेष स्थान विशेष में रहने वाले मनुष्यों की भाषा नहीं है यह सर्वव्यापी सार्वभौमिक भाषा है…. आज दुनिया के शीर्ष भाषाविद इस तथ्य पर एक मत है कि संसार में प्रचलित आज अन्य भाषाएं संस्कृत भाषा का ही अपभ्रंश है… अर्थात विकृत लिपिय लेखन विकृत पाठ उच्चारण मात्र है।

आप सभी को संस्कृत दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

आर्य सागर खारी ✍✍✍

Comment: