मजहबी शिक्षा पर कबूतर की तरह आँख मूँद लेना विनाशकारी है

– दिव्य अग्रवाल

मदरसों की भूमिका पर सदैव प्रश्न उठते रहे हैं। देश के अंदर व सीमा पर शिक्षा के नाम पर असंख्य मदरसे खुल चुके है। जिसमे अरबी व उर्दू भाषा का उपयोग होता है । सीमा पार से आने जाने में भी इन मदरसों का समुचित उपयोग होता है ।अरबी भाषा की शिक्षा होने पर जांच एजेंसियां भी समझ नहीं पाती की इन मदरसों में क्या वार्तालाप हो रही है । इसी कारण गैर इस्लामिक धर्मों के प्रति कितनी कट्टरता व विषपूर्ण शिक्षा इन मदरसों में दी जाती है । यह भी साधारण समाज समझ नहीं पाता है । मदरसों में विदेशी अरबी भाषा का प्रचलन क्यों है यह भी बड़ा प्रश्न है वर्ष २०१६ में कभी शिवसेना ने अपने मुख पत्र सामना के माध्यम से ब्रिटेन के नियमो व् अपने नागरिको की सुरक्षा हेतु लिए गए निर्णय का संज्ञान लेते हुए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से कहा था की जिस तरह ब्रिटेन यह मानता है, इस्लामिक चरमपंथी , अनपढ़ महिलाओ व् बच्चो को मजहबी भाषा की शिक्षा देकर इस्लामिक आतंकवाद को बढ़ावा दे सकते है । उसी प्रकार भारत को भी इस सम्बन्ध में कठोर निर्णय लेने होंगे पर आज यह भी आस्चर्यजनक है की हिन्दू राष्ट्र की राजनीति करने वाली शिव सेना के महराष्ट्र में पुलिस अधिकारी ईद मानते हुए मोमिनो को अपने हाथो से भोजन फल आदि परोसकर रोजा इफ्तयारी करवा रहे हैं । दूसरी तरफ मुस्लिम नेता ओवैसी साहब भी मुसलमानो के समक्ष भावनात्मक होकर कह रहे है ।खरगोन में मुसलमानो के घर बुलडोजर चला दिया गया । अल्लाह इसके लिए माफ़ नहीं करेगा ।ओवैसी यहाँ ही नहीं रुके अपितु इस्लामिक पुस्तक की एक आयत का हवाला देते हुए उन्होंने कहा की अल्लाह का कहर एक दिन जरूर बरपेगा । अतः सामाजिक दृष्टि से यह कहा भी जाता है की यदि कुछ गलत होता है तो कुदरत अवश्य दंडित करती है । पर यहाँ यह प्रश्न भी उठता है की जिस पुस्तक की आयत का जिक्र ओवैसी जी ने कहा है । क्या उसमे दूसरे धर्म के लोगों पर पत्थर फेकना , पेट्रोल बम फेंकना , गोली चलाना यह सब जायज है । वो कौन सी आयत है, हदीसे है, जिनमे गैरइस्लामिक औरतो के साथ बर्बरता , काफिरो या गैरइस्लामिक लोगों की हत्या , माल ए गनीमत में दुसरो का सब कुछ हथिया लेना जैसे आदेश दिए गए है । यह कैसा दोहरा मापदंड है जिसमे उस हिंदुत्व को आक्रामक घोषित करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है । जिस हिंदुत्व में जल , वायु, वृक्ष, भूमि, अग्नि , आकाश , मानव , पशु सबमे ईश्वर का रूप मानकर सबको पूजा जाता है । जबकि उस कट्टरपंथी विचारधारा को शांतिप्रिय बताया जा रहा है, जिसमें दिन के पांच समय यह सिखाया जाता है की एक अल्लाह के अतिरिक्त कुछ भी पूजनीय नहीं है । जो अल्लाह को मानने वाले है वो अपना है बाकी सब दुश्मन है । इन दोनों विचारधारा में समाज को स्वयं निर्णय लेना होगा की क्या सत्य है , क्या असत्य है , क्या मानवीयता है , क्या अमानवीयता है , क्या धर्म है , क्या अधर्म है विशुद्ध रूप से मानवता को समर्पित होने के पश्चात भी , जब कुछ मजहबी , कट्टरपंथी लोग धर्म के नाम पर सभ्य समाज को समाप्त करने पर आतुर होंगे । तब निश्चित ही सभ्य समाज को आत्म रक्षार्थ हेतु महान धर्मयोद्धा योगिराज महाराज भगवान् श्रीकृष्ण जी द्वारा रचित श्रीमद्भागवत गीता जी का अनुसरण करके ही सम्पूर्ण मानवता की रक्षा करनी होगी ।

सादर धन्यवाद

दिव्य अग्रवाल
लेखक व विचारक
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गाजियाबाद

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