क्या बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भाजपा का राष्ट्रीय विकल्प बन पाएंगी —————-श्याम सुन्दर पोद्दार

ममता बनर्जी ने  विधान सभा का चुनाव 
जीतने के लिये हर तरह के हथकंडे अपनाये। अपनी टांग तोड़ने का नाटक किया,अजय मुखर्जी की बँगला कांग्रेस की तरह अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस से बंगाल तृणमूल कांग्रेस बना दिया। बंगाल की बेटी बनाम बहिरागत एजेंडा बनाया । मुस्लिम वोट कांग्रेस से छीनने के लिये ‘मोदी गुजराती गुंडा -अमित शाह गुजराती गुंडा’-  का नारा मुस्लिम बहुल इलाक़े में दिया। लोक सभा चुनाव में ममता को १ करोड़ ५० लाख मुस्लिम वोट मिले थे व ९७ लाख हिन्दु वोट मिले थे । कुल २ करोड़ ४७ लाख वोट मिले। भाजपा को २ करोड़ ३० लाख हिन्दु वोट मिले। कांग्रेस मुस्लिम बहुल मालदा व मुर्शिदाबाद ज़िले की २ लोकसभा सीट  जीतने में सफल रही।
भाजपा ने १८ लोकसभा सीट जीतीं। भाजपा से १७ लाख अधिक वोट जीतने के चलते ममता २२ लोकसभा सीट जीतने में कामयाब रही। पर  उसे   पिछली  लोकसभा में मिली ३४सीट में १२सीट भाजपा को खोनी पड़ी। भाजपा के पास ८७ हज़ार बूथ में मात्र २० हज़ार बूथ में एजेंट देने लायक़ ताक़त थी। पर भाजपा २१ प्रतिशत बूथ में एजेंट देने की सीमित ताक़त होने के बावजूद ४३ प्रतिशत लोकसभा की सीट जीतने में कामयाब रही। पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हो गया। उसे लोकसभा चुनाव में सफलता के हिसाब से यदि बिधान सभा चुनाव परिणाम आते तो ९ विधायक कांग्रेस के विजयी होते। कांग्रेस को ज़ीरो सीट मिलना ममता को २१० सीटों पर ले गया। भाजपा को लोकसभा चुनाव में २ करोड़ ३० लाख वोट मिले थे। उसके बहिरागत मोदी व बंगाल की बेटी की लड़ाई का स्वरूप देने के बावजूद ममता बनर्जी भाजपा का रत्ती भर वोट कम नही कर सकी। उसे लोकसभा चुनाव में २ करोड़ ३० लाख वोट मिला विधान सभा चुनाव में भी २ करोड़ ३० लाख वोट मिले। ममता हिन्दु  बहुसंख्यक समाज से ९७ लाख वोट लोकसभा चुनाव में मिले थे । उसने बंगाल की बेटी के स्लोगन के बावजूद रत्ती भर हिन्दु वोट बढा नही सकी। ममता का २ करोड़ ४७ लाख वोट ४० लाख बढ़कर २ करोड़ ८७ लाख हुवा।
  ये ४०लाख वोट कांग्रेस को मिलने वाले मुस्लिम वोट ममता को मिल जाने से बढ़े। क्या एक व्यक्ति विधान सभा चुनाव जीतने के लिए अजय मुखर्जी की तरह बंगाल की बेटी व बंगाल के लिए नरेन्द्र मोदी बहिरागत है? वह लोकसभा चुनाव मे कभी भी राष्ट्रीय छवि बना सकता है ? बंगाल की बेटी को बंगाल की बहुसंख्यक हिन्दु जनता ने नन्दीग्राम में हरा दिया। बंगाल के इतिहास में एक नया इतिहास बना, हारा हुवा व्यक्ति चोर दरवाज़े से विधायक बन मुख्यमंत्री बना। विधान सभा चुनाव परिणाम के हिसाब से भाजपा की सीट १८ से घट कर ८ हो जाती है,  कांग्रेस २ से घट कर  ज़ीरो हो जाती है। ममता २२ से बढ़कर ३४ हो जाती है।
२०१६ के बिधानसभा चुनाव में भाजपा को १० प्रतिशत वोट मिले थे। जबकि २०१४ के लोकसभा चुनाव में भाजपा को १७ प्रतिशत वोट  मिले थे। भाजपा को २०१९ के लोकसभा चुनाव में २ करोड़ ३० लाख वोट मिले थे। २०२१ के  बिधान सभा चुनाव में भाजपा के वोट सहयोगी सदस्य के वोट मिलाने पर २ करोड़ ३० लाख मिले। २०१६ की तरह १७ प्रतिशत से घट कर १० प्रतिशत नही हुवे। २०१४ के लोकसभा चुनाव में  भाजपा को २ लोकसभा सीट मिली थी। वह बिधान सभा चुनाव में ज़ीरो हो गयी। वैसे ही २०२१ के बिधानसभा चुनाव में १८ से घट कर ८ हो गयी।
      भाजपा को १ करोड़  वोट CPM से लोकसभा चुनाव में मिले ३७ लाख ममता से मिले। नये ३९ लाख वोटर भाजपा को मिले। ममता की १२सीट लोकसभा चुनाव में भाजपा में चली गई। २०२४ के लोकसभा चुनाव में CPM के बचे हुवे ६० लाख वोटर में ३० लाख वोटर यदि भाजपा में चले गये अतीत के १ करोड़ CPM के वोट भाजपा में गये थे। यदि ममता से अतीत की तरह ३७ लाख वोट भाजपा में चले गये व अतीत की तरह नये  ३९ लाख वोटर भाजपा में चले गये ( जिसकी सम्भावना प्रबल है) तो ममता अतीत की तरह २०२४ में कम से कम १२सीट भी खो सकती है। तब वह २२ से १० पर आ जाती है। ममता की नग्न मुस्लिम तुष्टिकरण राजनीति के चलते २०१९ व २०२१ में देखने को मिल रहा है कि ममता को १ भी नया हिन्दु वोट नही मिल रहा है। मुस्लिम नग्न राजनीति का उसे लाभ मिला २०१९ में। कांग्रेस से ३७ लाख वोट ममता को मिले व २०२१ में ४० लाख बचे हुवे कांग्रेस वोट उसे मिले। आज १०० प्रतिशत मुस्लिम वोट पर ममता का अधिकार है। भाजपा को अभी तक हिन्दु समाज का ५५ प्रतिशत ही वोट मिला। ६० लाख CPM को मिलता है, ९७ लाख ममता को। भाजपा को अपने वोट बडाने में अतीत की तरह अभी बहुत गुंजाइस  है CPM व ममता से उसे भविष्य में अच्छे ख़ासे वोट मिलेंगे जैसे अतीत में मिले थे।
                  ममता के कहने से क्या होता है कि UPA  ख़त्म। शरद पवार,स्टालिन,हेमंत सोरेन,लालू यादव कांग्रेस से सम्बंध नही तोड़ सकते । उनकी स्थानीय सरकार कांग्रेस पर निर्भर करती है। अखिलेश पहले भी कांग्रेस से अलग थे, आज भी अलग है। एकमात्र ग़ैर भाजपा पार्टी में वे ममता के साथ जा सकते है। सिर्फ़ अखिलेश को लेकर चलने से भाजपा का विकल्प  ममता नही बन सकती । कांग्रेस के नेतृत्व वाला UPA ही भाजपा का विकल्प बना रहेगा।                                 ममता ने कहा था मै कलकत्ता को लंदन बनाऊँगी। लन्दन बनाना तो दूर पिछले १० वर्ष के राज्य व कलकत्ता कारपोरेशन में एक छत्र राज्य होने के बाद भी  देश के  ५६ शहरों में निम्नतम शहर में  कलकत्ता आ गया है।                          
     २०२१ के चुनाव के बाद ३ दिन तक मुसलमानो को खुली छूट थी कि वे हिंदुओं की हत्या करें। उनकी स्त्रियों के साथ कुकर्म करें। जब चोथे दिन हिन्दुसमाज ने जवाबी हमला मुसलमानो पर करना आरम्भ किया तो मुस्लिम अत्याचार बंद हो गया।अब कोर्ट के आदेश पर खूनी व बलात्कारी गिरफ़्तार हो रहे हैं CBI द्वारा। अन्यथा ममता ने ममता के लिये दूध देनेवाली गाय मुस्लिम समाज को छुठ दे रखी थी कि हिन्दुओं को मारो,उनकी हत्या करो उनकी औरतों का बलात्कार करो।                                                                   ममता १० वर्ष से कोशीस कर रही है राज्य में बड़े शिल्पपति उद्योग लगाये। भारत के उद्योगपतियों को पागल कुत्ते ने काटा है जो राज्य प्रशासन द्वारा संग्रक्षित  सिंडिकेट राज्य  के राज्य में उद्योग लगाये जहां प्रशासन मुस्लिम संप्रदायिकता से ग्रस्त है वहा कारखाना लगाये। ममता के लिये इन दोनो से मुक्त क़ानून का प्रशासन देना असम्भव है।

Comment: