पुस्तक समीक्षा :  भारतवर्ष का अतीत वर्तमान और भविष्य


”भारतवर्ष का अतीत वर्तमान और भविष्य”-  नामक यह पुस्तक आर्य समाज के प्रसिद्ध विद्वान श्री मोहन देव जी द्वारा दो खंडों में लिखी गई है। विद्वान लेखक ने प्रथम भाग में वैदिक संस्कृति, भारतवर्ष का गौरव, क्या आर्य विदेशी थे ? , आर्यों का 15 लाख वर्ष का इतिहास , वेद और विज्ञान, सृष्टि विज्ञान, विदेशी आक्रमण, पराधीनता के कारण जैसे विषयों पर विद्वतापूर्ण प्रकाश डाला है।
लेखक ने द्वितीय खंड में महर्षि दयानंद और आर्य समाज, कांग्रेस की विचारधारा, स्वामी श्रद्धानंद की हत्या, देश विभाजन, गांधीजी की मनोवृति, मैकाले की शिक्षा नीति, वर्तमान पार्टी तंत्र, प्रजातंत्र का स्वरूप, धर्म -राज्य और राष्ट्र, हिंदू के अस्तित्व का प्रश्न जैसे गंभीर विषयों को स्पष्ट करने का सार्थक प्रयास किया है।
  जिन पाठकों को आर्य / हिंदू जाति के विषय में गंभीर जानकारी लेनी है और भारतवर्ष में वामपंथियों और कांग्रेसियों के द्वारा रचे गए षड्यंत्र के अंतर्गत किस प्रकार भारतीय इतिहास को विकृत किया गया है ? – इसके विषय में संपूर्ण मार्गदर्शन प्राप्त करना है उनके लिए विद्वान लेखक की ये दोनों पुस्तकें बहुत ही महत्वपूर्ण सिद्ध होंगी।
प्रथम पुस्तक में वेद के प्रति देशी विदेशी विद्वानों के विचार, दाराशिकोह का वेद को ईश्वरीय ज्ञान मानना, अरब देश के विद्वान लवी द्वारा वेदों का गुणगान, सिकंदर का आक्रमण, मैक्स मूलर के पत्र जैसे कई महत्वपूर्ण विषयों को प्रस्तुत कर पुस्तक को उपयोगी बनाने का हर संभव प्रयास किया गया है।
इसके अतिरिक्त अन्य कई प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई हैं जो अन्यत्र दुर्लभ है।
इसी प्रकार दूसरे खंड में विद्वान लेखक ने भारत के साथ भेदभाव और धोखाधड़ी, अंग्रेजों की पहली योजना कांग्रेस की स्थापना सुरक्षा द्वार, राष्ट्रवाद के पुरोधा महर्षि दयानंद , भारत की राज्य व्यवस्था का स्वरूप, राजा की उत्पत्ति, राष्ट्रीयता पर प्रश्नचिन्ह, चीन का आक्रमण , संविधान बनाम जम्मू कश्मीर, घाटी फिर लहराए पाकिस्तान के झंडे, हिंदू के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न, अभी भी समय है ,जैसे विषयों को बहुत ही विवेचनात्मक किंतु सरल शैली में प्रस्तुत किया गया है।
जिन पाठकों को भारत के गौरवपूर्ण अतीत के विषय में विशेष जानकारी लेनी है और विदेशी आक्रमणकारियों और षड्यंत्रकारियों द्वारा भारत के विरुद्ध रचे गए भयानक षड़यंत्रों के विषय में भरपूर ज्ञान अर्जित करना है उनके लिए ये दोनों पुस्तकें बहुत ही लाभकारी सिद्ध हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त भारत के वर्तमान के विषय में भी पुस्तकों ने कई महत्वपूर्ण जानकारी देकर भविष्य के लिए कई प्रश्न चिन्हों को जन्म दिया है ? जिन पर शोधपरक सामग्री प्रस्तुत करके पुस्तकों को और भी अधिक उपयोगी बना दिया गया है।
  पुस्तकों के दोनों भाग पाठकों को झकझोरते हैं और अपने देश, समाज ,संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए सोचने व कुछ करने की प्रेरणा देते हैं। जिसके लिए विद्वान लेखक बधाई और अभिनंदन के पात्र हैं।
लेखक एवं प्रकाशक मोहन देव जी हैं । विद्वान लेखक विद्यावाचस्पति, आयुर्वेद रत्न, साहित्य रत्न ( संस्कृत ) पूर्व मंत्री अखिल भारतीय आर्य सभा, पूर्व महामंत्री अखिल भारतीय राजार्य सभा रहे हैं। जिनका पता चिचाना, भरतपुर राजस्थान है। पुस्तक प्राप्ति के लिए 9887 2725 97 मोबाइल पर संपर्क किया जा सकता है ।  दोनों खंडों का अलग-अलग मूल्य का मूल्य ₹150 है।  प्रथम खंड की पृष्ठ संख्या 200 है, जबकि दूसरे खंड की पृष्ठ संख्या 240 है।

समीक्षक : डॉ राकेश कुमार आर्य

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