सोशल मीडिया पर बढ़ते अश्लील और भौंडेपन पर रोक लगनी चाहिए

🙏बुरा मानो या भला🙏

 

————मनोज चतुर्वेदी

विद्वानों का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति को बर्बाद करना हो तो उसकी औलाद को बिगाड़ दो, यदि समाज को बिगाड़ना हो तो महिलाओं को बिगाड़ दो और अगर किसी देश को बर्बाद करना हो तो उसकी संस्कृति और सभ्यता को नष्ट कर दो।

एक समय था जब घर की बहू-बेटियों के नाचने-गाने को बहुत बुरा माना जाता था। यह उस वक़्त की बात है जब समाज में नाचने और गाने का काम भांड और तवायफों का हुआ करता था और रईसजादे और खानदानी नवाब लोग कोठों पर नाच-गाना देखने जाते थे. बाद में आम आदमी नौटँकियों आदि में भाँडों और नचनियों का नाच गाना देखकर दिल बहलाते थे। उसके बाद फिल्मों का दौर आया जिसमें क्लासिल और वेस्टर्न शैली पर नृत्य हुआ करते थे, जो अपने आप में एक कला थी। शास्त्रीय संगीत और नृत्यकला का दौर अब ख़त्म सा हो गया है और नाचने-गाने के नाम पर अश्लीलता और भौंडेपन का खुलेआम प्रदर्शन हो रहा है।

सोशल मीडिया पर जिस प्रकार से यूट्यूब और टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर बेहूदगी और अश्लीलता परोसी जा रही है, वह सचमुच बेहद भयावह है। जिस प्रकार से सभ्य और भले घरों की युवतियां और महिलाएं इन प्लेटफॉर्म पर खुलेआम अश्लीलता, भौंडापन और फूहड़ता दिखा रही हैं वह किसी भी रूप में हमारे देश की संस्कृति और सभ्यता के लिए उचित नहीं माना जा सकता।

आधुनिकता की अंधी दौड़ और नारी स्वतंत्रता की आड़ में जिस प्रकार से बहन-बेटियों को “कुछ” भी करने की आज़ादी दी जा रही है वह हमारी सभ्यता और संस्कृति दोनों के लिए घातक है।
आधुनिकता के नाम पर जिस नग्नता और अश्लीलता को परोसा जा रहा है वह किसी भी रूप में उचित नहीं ठहराया जा सकता है।

इस देश की सबसे बड़ी विडंबना यह है कि माता सीता के इस देश में सुपर्णनखाओं को रोल मॉडल यानी आदर्श माना जाने लगा है। सड़कों और गलियों में फूहड़ और अश्लील गानों पर उत्तेजक और भद्दे ईशारे करके नाचने-गाने वालियों की बगल में बैठकर हमारे देश के नेता और कर्णधार फोटो खिंचवाने में अपनी शान समझते हैं। इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है।

इस देश/समाज और अपने परिवारों की संस्कृति, सभ्यता और संस्कारों को बचाने के लिए समाज के सभी सभ्य और जागरूक लोगों को आगे आना होगा और सार्थक और सकारात्मक प्रयास करने होंगे। इसके लिए भारत सरकार को भी कुछ कड़े कदम उठाने होंगे। ताकि भारतीय संस्कृति और सभ्यता दोनों सुरक्षित रहें।

🖋️ मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)

 

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