अनुराग ठाकुर की मेहनत से भाजपा को मिली डीडीसी चुनावों में बड़ी सफलता

 

ललित गर्ग

डीडीसी चुनावों में भाजपा के अच्छे प्रदर्शन के पीछे थी अनुराग ठाकुर की कुशल रणनीति
इन चुनावों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर घाटी के लोगों ने यही साबित किया कि उनका भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पूरा भरोसा है, इस तरह का माहौल बनाने में अनुराग ठाकुर की भूमिका उल्लेखनीय रही है। वे इससे पहले लेह हिल काउंसिल चुनाव में दायित्व निभा चुके हैं।

जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद के चुनाव नतीजों में भारतीय जनता पार्टी ने न केवल शानदार जीत हासिल की बल्कि घाटी के लोगों का पार्टी में विश्वास बढ़-चढ़कर सामने आया, इसका श्रेय भाजपा के युवा नेता, केंद्रीय वित्त एवं कंपनी मामलों के राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर की दूरगामी सोच, परिपक्व राजनीति, आक्रामक तेवर एवं राष्ट्रवादी विचारधारा को जाता है। इसमें दो राय नहीं कि इन चुनावों में चुनाव प्रभारी की भूमिका में उन्होंने अपने तूफानी चुनाव प्रचार एवं भाषणों से प्रांत के लोगों का दिल जीता। ठाकुर अपनी इस नयी भूमिका में केवल सफल ही नहीं हुए बल्कि उन्होंने अपने नेताओं में भी जोश भर दिया। जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य में सफल पारी खेल कर उन्होंने जहां प्रांत में लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत किया वहीं लोगों के रुख को भांपकर गुपकार गठबंधन वाले दलों और खासकर इस गठजोड़ की अगुआई कर रहे नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के मनसूंबों पर पानी फेर दिया क्योंकि कश्मीर घाटी में ठीक-ठाक मतदान हुआ था, जहां के बारे में इन दलों ने माहौल बनाया था कि अनुच्छेद 370 और 35-ए खत्म किए जाने के कारण लोग इन चुनावों से दूर रहना पसंद कर सकते हैं। ऐसा कुछ नहीं हुआ।

इन चुनावों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेकर घाटी के लोगों ने यही साबित किया कि उनका भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पूरा भरोसा है, इस तरह का माहौल बनाने में ठाकुर की भूमिका उल्लेखनीय रही है। वे इससे पहले लेह हिल काउंसिल चुनाव में दायित्व निभा चुके हैं एवं बिहार चुनाव में भी अपनी भूमिका अदा की। अनुराग ठाकुर के तेजी से बढ़ते कद ने ना सिर्फ उनके राजनैतिक सहयोगियों को आश्चर्यचकित कर दिया है बल्कि पार्टी में उनके कद एवं पद को और ऊंची छलांग देने की संभावनाओं को पंख दे दिये हैं। उनमें ऐसी क्षमताएं एवं राजनीतिक कौशल है कि वे हर दायित्व को बखूबी निभा सकते हैं। अनुराग ठाकुर ने विवादों की बाजीगरी को हमेशा जारी रखा है और जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद के चुनाव में उनकी यह करिश्माई बाजीगरी कारगर बनकर सामने आयी। ठाकुर न सिर्फ राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं बल्कि बेहद लोकप्रिय भी हैं। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में पदाधिकारी के तौर, हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के तौर पर, हिमाचल के सांसद के तौर पर या फिर केंद्र सरकार में मंत्री के तौर पर हर भूमिका में उन्होंने विवादों की आंच को अवसर में तब्दील करते हुए सकारात्मक वातावरण निर्मित किया।

अनुराग ठाकुर की शख्सियत के दो अलग पहलू हैं जो अलग-अलग एकदम साफ नजर आते हैं। इनमें पहला है 12 साल में तेजी से उठता उनका राजनीतिक सफर का ग्राफ। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव जीतने के बाद उन्होंने अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री प्रेमकुमार धूमल की राजनीतिक विरासत को ना सिर्फ संभाला, बल्कि पावर पॉलिटिक्स के इस खेल में वे इस कदर माहिर बन गये कि एक के बाद एक लगातार चार लोकसभा चुनाव जीत लिए। गौरतलब है कि हमीरपुर संसदीय सीट कभी उनके पिता धूमल की कर्मभूमि थी।

अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीर में आतंकवाद मुक्त प्रांत बनाने एवं लोकतांत्रिक प्रक्रिया को स्थापित करने शुरुआत की थी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसे और आगे ले आए हैं। धारा 35-ए, अनुच्छेद 370 आदि के समापन एवं हाल ही में जिला विकास परिषद के चुनावों में उल्लेखनीय जनभागीदारी के बाद अब जम्मू-कश्मीर नए युग में प्रवेश कर चुका है। वहां सब सामान्य हो रहा है। इन नयी फिजाओं एवं लोकतांत्रिक हवाओं को तीव्र गति देने के लिये अनुराग ठाकुर की सक्रियता ने नये पदचिन्ह स्थापित किये हैं। उन्होंने विकास, आतंकवाद से मुक्ति एवं शांति के लिये मतदान करने का आह्वान किया, जिसका व्यापक असर हुआ। राज्य में शिक्षा, रोजगार और विकास के नाम पर मतदान हुआ। अनुराग ठाकुर ने रोशनी घोटाले के मुद्दे को भी प्रभावी ढंग से उठाया। कश्मीरी युवाओं को मुख्यधारा में लाने के ठाकुर के प्रयासों का अनूठा प्रभाव बना, क्योंकि वहां के युवा बारूद की भाषा और राज्य के संसाधनों पर कुछ परिवारों के एकाधिकार से तंग आ चुके थे।

हो सकता है कि गुपकार गठबंधन के नेता नए सिरे से अनुच्छेद 370 की वापसी की अपनी मांग पर जोर दें, लेकिन ठाकुर जैसे नेता उनकी कुचालों को नाकाम करने के लिये एक सफल योद्धा की भांति मोर्चे पर डटे हैं। इसलिये गुपकार गठबंधन के नेता इस जमीनी हकीकत से दो-चार हो जायें कि ऐसा कभी नहीं होने वाला। इसलिए नहीं होने वाला, क्योंकि यह अस्थायी अनुच्छेद विभाजनकारी होने के साथ ही राष्ट्रीय एकता में बाधक भी था। इसके अतिरिक्त यह अलगाववाद को हवा देने के साथ-साथ कश्मीरियत को नष्ट-भ्रष्ट करने का भी काम कर रहा था। गुपकार गठबंधन को इसकी भी अनदेखी नहीं करनी चाहिए कि उसके तमाम नकारात्मक प्रचार के बाद भी घाटी में भाजपा अपनी जड़ें जमाने में सफल रही। गुपकार गठबंधन के खिलाफ भाजपा की लड़ाई एवं घाटी में लोकतंत्र को बहाल करने के काम को जिस कुशलता, कर्मठता एवं सूझबूझ से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अनुराग ठाकुर ने अंजाम दिया, उसे राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर सराहा जा रहा है। घाटी के मोर्चे पर अपनी अनूठी पकड़ एवं कौशल के कारण अनुराग का मूल्यांकन समयोचित है, उनके काम एवं राजनीतिक चरित्र ऐसे रहे हैं कि उन पर जनता का विश्वास अटल है। वे अपनी हर जिम्मेदारियों को निभाने में सक्षम भी हैं और कर्मठ भी हैं।

अनुराग ठाकुर भारतीय राजनीति के जुझारू एवं जीवट वाले युवानेता हैं, यह सच है कि वे हिमाचल के हैं यह भी सच है कि वे भारतीय जनता पार्टी के हैं किन्तु इससे भी बड़ा सच यह है कि वे राष्ट्र के हैं, युवानायक हैं एवं देश की वर्तमान राजनीति में वे अब एक दुर्लभ व्यक्तित्व हैं। वे तो कर्मयोगी हैं, देश की सेवा के लिये सदैव तत्पर रहते हैं, किसी पद पर रहें या नहीं, हर स्थिति में उनकी सक्रियता एवं जिजीविषा रहती है, एक राष्ट्रवादी सोच की राजनीति उनके इर्दगिर्द गतिमान रहती है। वे सिद्धांतों एवं आदर्शों पर जीने वाले व्यक्तियों की श्रृंखला के प्रतीक हैं। उनके जीवन से जुड़ी विधायक धारणा, आक्रामक तेवर और यथार्थपरक सोच ऐसे शक्तिशाली हथियार हैं जिसका वार कभी खाली नहीं गया।

अनुराग ठाकुर इन दिनों वित्तराज्य मंत्री हैं और उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान अस्त-व्यस्त हो गयी अर्थव्यवस्था को अनूठे तरीके से संभालते हुए सर्वोच्च नेतृत्व का विश्वास जीता है। वे नरेन्द्र मोदी सरकार में एक सशक्त एवं कद्दावर मंत्री हैं। कई नए अभिनव दृष्टिकोण, राजनैतिक सोच और मोदी की कई आर्थिक योजनाओं को प्रभावी प्रस्तुति दी तथा विभिन्न विकास, आर्थिक परियोजनाओं के माध्यम से लाखों लोगों के जीवन में सुधार किया, उनमें आशा का संचार किया। वे भाजपा के एक रत्न हैं। उनका सम्पूर्ण जीवन अभ्यास की प्रयोगशाला है। उनके मन में यह बात घर कर गयी थी कि अभ्यास, प्रयोग एवं संवेदना के बिना किसी भी काम में सफलता नहीं मिलेगी। उन्होंने अभ्यास किया, दृष्टि साफ होती गयी और विवेक जाग गया। उन्होंने हमेशा अच्छे मकसद के लिए काम किया, तारीफ पाने के लिए नहीं। खुद को जाहिर करने के लिए जीवन जी रहे हैं, दूसरों को खुश करने के लिए नहीं। उनके जीवन की कोशिश है कि लोग उनके होने को महसूस ना करें बल्कि उनके काम को महसूस करें। उन्होंने अपने जीवन को हर पल एक नया आयाम दिया और जनता के दिलों पर छाये रहे। उनका व्यक्तित्व एक ऐसा आदर्श राजनीतिक व्यक्तित्व है जिन्हें जोश, सेवा और सुधारवाद का अक्षय कोष कहा जा सकता है। आपके जीवन की खिड़कियाँ राष्ट्र एवं समाज को नई दृष्टि देने के लिए सदैव खुली रहती हैं। इन्हीं खुली खिड़कियों से आती ताजी हवा के झोंकों का अहसास भारत की जनता कर रही है, उन्हें जो भी दायित्व दिया गया है, वे उस पर खरे उतरेंगे, इसमें कोई सन्देह नहीं है।

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