आपका स्वागत (नहीं) है

सामाजिक व्यवस्था पर एक करारा व्यंग
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– _राजेश बैरागी-_
किसी भी कार्यालय का मुख्य प्रवेश द्वार स्वागत पटल से बाधित होता है। अच्छे खासे सूटेड-बूटेड आदमी से स्वागत पटल पर जैसी पूछताछ होती है वैसी शायद सीबीआई भी नहीं करती। स्वागत करने वाली बाला या बाल आपसे तनिक भी प्रभावित नहीं होते। उन्हें अंदर से संदेश है तो आपका स्वागत और नहीं तो आपकी वापसी तय है।आप जितना चाहें कि आपका स्वागत हो परंतु इसी कार्य के लिए नियुक्त बाला या बाल मजाल है कि अपने कर्तव्य का जरा भी पालन करें।कोरोना काल में स्वागत पटल और मजबूत हुए हैं। वहां अब स्वागत का आधा स भी नहीं बचा है।
स्वागत पटल अवरोधक बन गए हैं। अंदर बैठा अधिकारी कोरोना संक्रमण की आड़ में स्वागत पटल को आगे कर देता है। वहां मुठभेड़ करने वाले बाला और बाल हाथी जैसे गर्दन हिलाकर बताते हैं कि अधिकारी तो नहीं मिलेंगे।आप सोच सकते हैं कि फिर यहां ‘आपका स्वागत है’ क्यों लिखा है। दरअसल किसी भी सरकारी कार्यालय अथवा कॉरपोरेट का स्वागत पटल स्वागत के लिए नहीं बल्कि आगंतुक को उसकी हैसियत बताने के लिए बनाए जाते हैं।भूले भटके यदि कभी किसी स्वागत पटल पर जाना हो तो स्वागत की इच्छा घर छोड़ कर जाना उचित होता है।कोरोना काल कब संपन्न होगा पता नहीं परंतु स्वागत पटल की मजबूती आगे और बढ़ेगी। इसके विपरीत ऊपरवाले से सीधे जुड़े लोग स्वागत पटल को कोई अहमियत नहीं देते। वहां तैनात लोग पूछते और रोकते रह जाते हैं परंतु ऊपरवाले का कृपा पात्र आगे बढ़ जाता है।ऐसे मौकों पर आम जरूरतमंद अपनी समस्या भूलकर अपने वजूद को तलाशने लगता है।( लेखक स्वतंत्र टिप्पणी कार एवं स्तंभकार हैं।)

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