शहर में झील या झील में शहर ?

वर्तमान व्यवस्था पर एक करारा व्यंग्य
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गुडगांव या गुरुग्राम में जलभराव की ऐसी अनेकों तस्वीर है जो सोशल मीडिया पर छाई हुई है |

आज विश्व फोटोग्राफी दिवस भी है प्रभु की कृपा से कितना उत्तम दृश्य मिला है कैमरे में कैद करने के लिए | पूरा गुरुग्राम पानी में डूब गया| यह तो सभी को मालूम है जलभराव बरसात के कारण हुआ लेकिन मूल प्रश्न यह उठता है जलभराव प्राकृतिक था या अप्राकृतिक?

किसी शहर के आंशिक हिस्से में होने वाला जलभराव उस शहर के उस हिस्से के नियोजन सिविल आर्किटेक्चर स्ट्रक्चर की डिजाइन ड्राइंग में खामी के कारण हो सकता है| मामला जब बरसात में पूरे शहर का ही जलमग्न होने का है तो इसका कुछ और ही संकेत है|

अर्थात गुरुग्राम में बरसात होने वाला जलभराव प्राकृतिक है| पूरा गुरुग्राम low lying एरिया में बसा हुआ है| आज का गुरुग्राम कभी 1000 किलोमीटर में फैली हुई दिल्ली की नजफगढ़ झील का हिस्सा था| नजफगढ़ झील जो यमुना के बाद दिल्ली में मीठे जल का दूसरा सबसे बड़ा भंडार था| जयपुर अलवर तक का बरसाती नदियों का पानी रेवाड़ी रोहतक से होते हुए इस झील में में आता था दक्षिणी राजस्थान अरावली की छोटी नदियां गुड़गांव में के रास्ते ही इस झील में समा जाती थी|

जब नजफगढ़ झील में क्षमता से अधिक पानी हो जाता साथ हो ईश्वर की व्यवस्था से बनी हुई साहिबी नदी नजफगढ़ झील के पानी को यमुना नदी में प्रवाहित कर देती थी| आज इस भूतल पर साहिबी नदी का कहीं अता-पता नहीं है नजफगढ़ झील तो गंदे बदबूदार नजफगढ़ नाले के रूप में आज भी विद्यमान है| जिसको एनजीटी की फटकार के बावजूद दिल्ली सरकार झील मानने को तैयार नहीं है उसे केवल नाला ही मानती है|

नजफगढ़ झील में ही गुड़गांव सेक्टर 107 ,108 पालम एयरपोर्ट दिल्ली आदि बसा दिए गए| प्राकृतिक जल तंत्र कभी फेल नहीं होता गुरुग्राम में जो पानी आ रहा है वह उसी प्राचीन जल तंत्र का हिस्सा है…… निष्कर्ष यही निकलता है गुरुग्राम यह जलभराव स्वाभाविक प्राकृतिक प्रकृति के हित में है लेकिन गुरुग्राम शहर ही अप्राकृतिक अस्वाभाविक है |

आर्य सागर खारी ✍✍✍

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