आख़िर वजह क्या होती है जो प्रतिभा (टैलेंट) की बलि चढ़ा दी जाती है? अगर सूक्ष्म दृष्टि से देखें तो इसकी शुरुआत जीवन में कुछ कृतघ्न रिश्तेदार और तथाकथित हमारे समाज से ही हो जाती है। जहां एक ओर माँ -बाप अपनी संतान को जन्म देते हैं ये सोच कर कि हमारा बच्चा योग्य ,प्रतिभाशाली बने जो समाज और देश के काम आए । लेकिन इसी समाज और देश के कुछ क्रूर और निर्मम लोग उस प्रतिभाशाली बच्चे की बलि ले लेते हैं ।इस बलि के पीछे एक नहीं अनेक कारण होते हैं ।
सबसे पहला और महत्वपूर्ण कारण है द्वेष या ईर्ष्या , जिसे साधारण भाषा में इसे जलन कहते हैं । यहीं से प्रतिभा की बलि लेने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।ईर्ष्या एक ऐसा शत्रु है जो अगर पैदा हो गया अंत करके ही दम लेता है ।किसी प्रतिभा के दमन में इसका सर्वप्रथम योगदान होता है ।भारतीय समाज में परिवार और रिश्तेदारों से ही इस कार्य की शुरुआत हो जाती है ।ख़ास कर पारिवारिक रिश्तेदार की भूमिका अहम होती है ।अगर आप एक कदम आगे बढ़ते हैं तो वो आपको चार कदम पीछे की ओर धक्का देने के लिए तत्पर रहते हैं । अगर आप इनकी मनोकामनाओं की समय -समय पूर्ति करते रहेंगे तब जाकर ये रिश्तेदार आपको चार कदम की जगह तीन या दो कदम पीछे की ओर खींचेंगे।
अगर आप अपने इन रिश्तेदारों से बचते-बचाते निकल गए तो फिर अब आपको असली रणभूमि मिलेगी ।इस रणभूमि में एक नहीं बल्कि अनेक कारकों से आपका सामना होगा। इसमें सबसे अहम् बिन्दु है गला काट प्रतियोगिता । इस गलाकाट प्रतियोगिता में अगर आप सफल हो गए तो आपसे ज़्यादा भाग्यवान कोई और हो नहीं सकता ।पहली लड़ाई तो केवल रिश्तेदार से थी अब जाति, धर्म,सम्प्रदाय,दोस्त, रिश्तेदार , भाई- भतीजावाद और माहौल सबसे होती है ।इन सबों से आपको तारतम्यता बैठानी पड़ती है ।अगर यहाँ पर आपसे कोई भी भूल होती है तो आपके तथाकथित हिमायती रिश्तेदार और दोस्त सर्वप्रथम आपको डुबाने के लिए तैयार मिलेंगे ।
ख़ासकर वैसे प्रतिभावान जो हमेशा विशेष संरक्षण में संरक्षित रहे होते है…उनके लिए इस रणभूमि में जिन्दा रह पाना अत्यंत मुश्किल कार्य है…..उन्हें साज़िशन चक्रव्यूह बनाकर उसमें फंसा कर (मार )बलि दिया जाता है … क्योंकि प्रतिभावान की प्रतिभा से चारों तरफ़ खलबली मची होती है.. उनके तथाकथित रिश्तेदार से लेकर बाहरी लोग तक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उन्हें बर्बाद करने की कोशिश में लगे रहते हैं..इसलिए ऐसे प्रतिभावान को विशेष संरक्षण की ज़रूरत होती है .. नहीं तो एक विश्मयकारी घटना जो सुशांत सिंह राजपूत के साथ घटित हुई वही होती है ।एक महान कलाकार, एक विशिष्ट दिमाग़ का रहस्यमयी तरीक़े से अंत हो गया..अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत ।

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