गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे का आत्मघाती गोल

हरिहर शर्मा
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तानी दुष्प्रचार को लाभ पहुंचाने बाले भारत के गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के बयान की जितनी निंदा की जाये कम है । एक और जब देश सीमा पर जवानों के सर काटने की घटना पर गुस्से से उबल रहा हो, ऐसे समय में देश का गृह मंत्री भारत के बहुसंख्यक समाज को ही आतंकी बताये, इससे अधिक दुर्भाग्य पूर्ण क्या होगा ? हिन्दू आतंकवाद याकि भगवा आतंकवाद कहना, और उसे प्रमाणिकता का पुट देने के लिए यह कहना कि उनके पास इसके पुख्ता सबूत हैं, एक प्रकार से पाकिस्तान की मुंह माँगी मुराद पूरी करने जैसा ही है । और उसने गृह मंत्री के बयान का पूरा फ़ायदा उठाना प्रारंभ भी कर दिया ।
तालिबान के प्रवक्ता ने, गृहमंत्री शिंदे द्वारा दिए हिन्दू आतंकवाद संबंधी बयान का हवाला देते हुए अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र से मांग की है कि चूंकि भारत इन्हीं हिन्दू आतंकवादियों की मदद से कश्मीर में अपना आतंक, कब्ज़ा और कुचक्र फैलाए हुए है, इसलिए या तो अमेरिका, कश्मीर मुद्दे पर भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करे, अन्यथा हम भारत पर हमला करेंगे।
रही सही कसर पूरी कर दी कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के बयान ने । उन्होंने कुख्यात आतंकी सरगना को साहब का आदर पूर्ण संवोधन दिया ।
देशभक्तों को आतंकी कहकर कटघरे में खड़ा करना और आतंकवादियों को आदर देना, वोट की खातिर, कुर्सी की खातिर किसी भी हद तक गिर जाने के राजनेताओं की मानसिकता का नंगा प्रदर्शन है । कुछ घटनाओं को लेकर किसी राष्ट्रभक्त संगठन को तथा समूचे समाज को कठघरे में खड़ा करना निश्चय ही निंदनीय है । अभिषेक मनु सिंघवी तथा नारायण दत्त तिवारी को आधार बनाकर क्या यह कहा जा सकता है कि-मेरी जानकारी के अनुसार कांग्रेस नाम का संगठन डाकुओं और बलात्कारियों की पार्टी है, हमारे पास इसकी पक्की सूचना है और कांग्रेस में इसके लिए बाकायदा प्रशिक्षण शिविर भी चलाए जाते हैं
या यह कहा जाए कि- 26/11 मुम्बई हमले में कांग्रेस का भी हाथ था, मास्टर माइंड लश्कर नहीं बल्कि कांग्रेस सहयोगी रही । षड्यंत्र के तहत मीडिया के द्वारा सीधा प्रसारण कराया गया । जिस प्रकार अभिषेक मनु सिंघवी के कृत्यों के लिए समूची कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, उसी प्रकार कतिपय उदाहरणों से रा.स्व.संघ अथवा भाजपा को निशाना बनाना समझ से परे है ।

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