*बगलामुखी माता एक पाखंड*

लेखक > डा० डी० के० गर्ग की कलम से* … 🖊️ 🖋️

पौराणिक मान्यता : मध्य प्रदेश में एक मंदिर है जो बगलामुखी माता के नाम से है , कहते है की ये दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या हैं। इन्हें माता पीताम्बरा भी कहते हैं। ये माता नवयौवना हैं और पीले रंग की सा‌‌डी धारण करती हैं । सोने के सिंहासन पर विराजती हैं ।
इसके तीन नेत्र और चार हाथ हैं । सिर पर सोने का मुकुट है । स्वर्ण आभूषणों से अलंकृत हैं।इसके दाहिने हाथ में एक गदा जिसके साथ वह एक राक्षस धड़क रहा है, जबकि उसके बाएं हाथ के साथ अपनी जीभ बाहर खींच रखती है।
मान्यता है की सम्पूर्ण सृष्टि में जो भी तरंग है वो इन्हीं की वजह से है। यह भगवती पार्वती का उग्र स्वरूप है। ये भोग और मोक्ष दोनों प्रदान करने वाली देवी है |सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति मिल कर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती ।किसी छोटे कार्य के लिए १०००० तथा असाध्य से लगने वाले कार्य के लिए एक लाख मंत्र का जाप करना चाहिए। बगलामुखी के भक्त हमेशा परम आनंद का अनुभव करते हैं।
भगवती बगलामुखी के प्रदुभार्व की पौराणिक कथा : बगलामुखी जयंती हर वर्ष वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है इस दिन देवी बगलामुखी अवतरित हुई थी।
पंडित बताते है की एक बार सतयुग में सम्पूर्ण जगत को नष्ट करने वाला भयंकर तूफान आया। प्राणियो के जीवन पर संकट को देख कर भगवान विष्णु चिंतित हो गये। वे सौराष्ट्र देश में हरिद्रा सरोवर के समीप जाकर भगवती को प्रसन्न करने के लिये तप करने लगे। श्रीविद्या ने उस सरोवर से बगलामुखी रूप में प्रकट होकर उन्हें दर्शन दिया तथा विध्वंसकारी तूफान का तुरंत स्तम्भन कर दिया।

ऐसा प्रचार किया जाता है की बांग्लामुखी साधना से शत्रु का शीघ्र नाश होता है,दुश्मनी खत्म होती है,शत्रुभय समाप्त होता है,झूठे आरोप समाप्त होते हैं और
सभी प्रकार की इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
बगुलामुखी मंत्र के नुकसान भी बताए है यदि ये मंत्र साधना वहा के किसी पंडित की निगरानी में नही कराई जाए तो ,ये नियम है कि इस साधना में भोजन से लेकर पहनावे तक सब कुछ पीला ही होना चाहिए। किसी भी प्रकार का गलत उद्देश्य नहीं होना चाहिए अन्यथा ये मंत्र स्वयं के लिए हानिकारक सिद्ध होगा और विपत्ति आने की संभावना भी रहेगी।
मान्यता का विश्लेषण : माता का जो शरीर बताय गया है की तीन आंखें है और जीभ बहार निकली हुई है आदि ये किसी मनुष्य के लक्षण नहीं है और ना ही विशेष मानव के , ये तो किसी की शारीरिक विकृति के लक्षण है ,ऐसा व्यक्ति जन्म के बाद जीवित ही नहीं रह सकता। ये एक काल्पनिक प्रतिमा है जो पत्थर की है । एक जगह स्थिर है और पंडित इसको सजाता है और सुरक्षा के लिए ताला भी लगता हैं।
इस तरह के आडंबर की मूर्तियां भारत के अनेकों राज्यो में तरह तरह की गप्प कथाओं के साथ मिलेंगी।
इसका कोई प्रामाणिक इतिहास नही मिलेगा। ये कोरा अंधविश्वास है की एक बार भयंकर तूफान आया तो विष्णु को चिंता हुई और श्रृष्टि के रचियता विष्णु ने तपस्या की तो श्रीविद्या ने बंगलामुखी के रूप ने दर्शन दिए।
प्रश्न है की इसके बाद देवी पत्थर की हो गई और अभी तक कैद में है?

मित्रो ,तूफान तो आज भी आते है,लाखो बेघर हो जाते है ,ये सभी प्राकृतिक आपदाएं है ,हमेशा से है और रहेंगी।
इस मंदिर का पाखंड खोलने के लिए और मूर्ति की बेबसी समझाने के लिए नीचे लिखा एक उदाहरण ही काफी है :
बगलामुखी मंदिर का पाखंड : समाचार पत्र दैनिक भास्कर के अनुसार २०२० में यहाँ के पाखंडी गुरु प्रशांत का अपने पांव धुलवाता वीडियो वायरल हुआ।
प्रशांत पर आरोप है कि वह भोले-भाले भक्तों को अपने मोहजाल में फंसाता, उनसे लूट-खसोट करता। श्रावण महीने की चौदस को वह भक्तों को नर्मदा किनारे ले जाता। वहां वह महिलाओं से अपने पांव धुलवाता। इस कार्य में दूध का भी इस्तेमाल होता था।
दूध से पांव धुलवाने के बाद उसको प्रसाद के रूप में लोगों को पिलाता था। उस पर लाखों की धोखाधड़ी का आरोप है, पुलिस के डर से अंडरग्राउंड हो गया है ।
वह अपने पास रुद्राक्ष की माला भी रखता था ,फिर उसे सिद्ध माला बताकर रईस भक्तों को बेचकर लाखों रुपए वसूल लेता था।
इस धूर्त के खिलाफ व्यापारी ने वारसिया पुलिस में 21.80 लाख रुपए की धोखाधड़ी की शिकायत की है। इसके बाद बगलामुखी मंदिर में रहने वाला युवक पिछले 3 साल से रहस्यमय तरीके से गुम होने की शिकायत युवक की मां ने शिकायत की है। यह शिकायत प्रशांत उपाध्याय, किरण बेन गुरुमुख और कोमल उर्फ पिंकी गुरुमुख भाई के खिलाफ की गई है।
अग्रिम जमानत रद्द होने के बाद प्रशांत पुलिस के डर से अंडरग्राउंड हो गया है।
जो लोग अंधविश्वासी है और ईश्वर पर विश्वास नहीं करते वो इस तरह के जंजाल में फसते रहते है और यहाँ के ठग पण्डे उनसे धन लूटते रहते है। इस क्षेत्र की दुकाने इसी तरह के आडम्बर के आधार पर चल रही है और इस क्षेत्र में अपराध की स्थिति अन्य शहरों से ज्यादा है।
यदि ये सच होता और इस मंदिर में पूजा से कोर्ट केस जीत जाते तो राम मंदिर का केस, कृष्ण मंदिर का केस, शिव मंदिर का केस कोर्ट के बजाय वैसे ही समाप्त हो जाता। चीन से युद्ध जीतने के लिए राफेल के बजाय मोदी जी यहाँ आकर पूजा कर लेते तो जमीं मिल जाती। ये सब बिना प्रमाण की गप्प कहानिया है जो हिन्दू समाज को मानसिक रूप से खोखला और मुर्ख सिद्ध कर रही है।
ये मंदिर शमशान से घिरा है जहां मिर्च डालकर यज्ञ होता है, तंत्र साधना के नाम पर पर्यावरण दूषित किया जाता है क्योंकि यज्ञ का वास्तविक उद्देश्य तो पर्यावरण में घी और पौष्टिक वनस्पति द्वारा सुगंध फैलाना है।
यहाँ पूजा मात्र से कोई चुनाव यहाँ आकर नहीं जीत सकता, ये मेरा दवा है।
कोर्ट केस जीतने के लिए वकील और फैक्ट अच्छे होने चाहिए और जज को समझ आना चाहिए, मंदिर कुछ नहीं करेगा।
इन बकवास मान्यताओं पर अपना समय बर्बाद करना अनुचित है। लक्ष्मी, वैष्णवी, दुर्गा आदि के भावार्थ पहले ही स्पष्ट कर चुका हूँ ।
मेरा विनम्र आग्रह है की धर्म,कर्म के विषय को गंभीरता से ले और स्वाध्याय करे,सत्य की खोज करे,महर्षि दयानन्द द्वारा लिखित सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक किसी भी आर्य समाज मंदिर से मिल जाएगी, कृप्या इसे एक बार अवश्य पढ़ें। लेखक > डा० डी० के० गर्ग की कलम से … 🖊️ 🖋️

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