मुसलमान कुरान के बारे में हमेशा यही दावा करते हैं की कुरान किसी व्यक्ति या व्यक्तिओं की रचना नहीं बल्कि आसमानी किताब है जो अल्लाह ने नाजिल है अर्थात ऊपर से उतारी है इस बात से ऐसा लगता है कि अल्लाह धरती से काफी ऊपर किसी जगह रहता है लेकिन ऐसा समझना अवैज्ञानिक और मूर्खता है क्योंकि पृथ्वी के हर स्थान पर लोग रहते हैं ,और व्यक्ति जहाँ भी खड़ा हो उसे नीचे और उसके सर के ऊपर आसमान होता इस तरह हर जगह आसमान है फिर कुरान कौन से आसमान से उतरी थी ? मक्का के आसमान से ,या पाकिस्तान के आसमान से ?देखिये
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आज दुनिया में जिहादी आतंकी गिरोह जोभी हत्याएं और अन्य अपराध कर रहे हैं ,उसे जायज ठहरने के लिए कुरान की कोई न कोई आयात पेश कर देते हैं . लोग आज कुरान को आतंकवाद की पाठ्यपुस्तक (Manual of Terrorism ) कहते हैं . फिर भी मुसलमान कुरान को अल्लाह द्वारा आसमान से उतारी गयी किताब बताते हैं , अरबी में ऊपर से नीचे उतरने को ” नाजिल – ” होना या अवतरण कहा जाता है , कुरान कैसे उतरी उतरी , पहले कब उतरी ? कुरान पहले लाने वाला कौन था ?और कुरान क्यों उतारी गयी ? और आसमान से उतरी कुरान का पहला अध्याय कहाँ है , इस लेख में इसी रहस्य का भंडाफोड़ किया जा रहा है ,
इस्लामी मान्यता के अनुसार सन 610 में मुहम्मद साहब मक्का स्थित एक पहाड़ी की गुफा में बैठे थे ,तो उनके पास एक अज्ञात व्यक्ति कुछ लिखा हुआ सन्देश लेकर आया , और कहा मैं जिब्राईल हूँ , आप इस सन्देश को पढ़िए , इस पर मुहम्मद साहब ने कहा ” मैं इसे नहीं पढ़ सकता , लेकिन सबसे बड़े आश्चर्य की बात है कि इस घटना के करीब ढाई सौ साल बाद जिन दो हदीसकारों इसे दर्ज किया है , उनके कथन में परस्पर विरोध है .

1-कुरान की पहली आयत लाने वाला नामूस था ?

इस्लामी इतिहास के अनुसार कुरान की सबसे पहली सूरा सन 610 ईस्वी में रमजान महीने में उतरी थी , जिसका वर्त्तमान कुरान में 96 वां क्रम है , इस सूरा का नाम ” अल अलक – سورة العلق “है . इस सूरा की पहली आयत का पहला शब्द ” इकराअ – اقْرَأْ ” है , जिसका अर्थ है ” पढ़ो -Read ” इस से साबित होता है कि गुफा में किसी ने मुहम्मद साहब को लिखित रूप में यह सूरा देकर कहा कि इसे पढ़ो ,लेकिन मुहम्मद साहब उसे नहीं पढ़ पाये , इस सूरा की पहली आयत यह है ”

“اقْرَأْ بِاسْمِ رَبِّكَ الَّذِي خَلَقَ ” 96:1

इस घटना के 260 साल बाद यानी सन 870 में इमाम बुखारी ने कुरान की इस सूरा को लाने वाला एक” नामूस -“यानी समाज का एक मुखिया बताया है , हदीस इस प्रकार है

“मुहम्मद साहब ने गुफा से निकल कर यह बात घर में बतायी तो वहां मौजूद वर्कआ बिन नौफिल ने पूछा ,

हे भतीजे तुम ने वहां क्या देखा , वहां क्या हुआ था , तो मुहमद ने सारी बात बतायी , तब नौफिल ने कहा वह व्यक्ति वही नामूस होगा जो मूसा को मिला था ”

“Waraqah said: “O my nephew! What did you see?” When Muhammad told him what had happened to him, Waraqah replied: “This is Namus met to Moses

” فَقَالَ وَرَقَةُ هَذَا النَّامُوسُ الَّذِي أَنْزَلَ اللَّهُ عَلَى مُوسَى، ”

Reference : Sahih al-Bukhari 3392
In-book reference : Book 60, Hadith 66
USC-MSA web (English) referenc: Vol. 4, Book 55, Hadith 605
https://sunnah.com/bukhari:3392

नोट -इस हदीस में कुरान की पहली आयत लाने वाले को फरिश्ता नहीं “नामूस – ناموس ” कहा गया है.अरबी के इस शब्द का अर्थ law”, “custom” or “honor होता है . ग्रीक भाषा में इसे ” नोमोस -νόμος) ” कहते हैं .

2-फरिश्ता था ?

लेकिन जब सन 875 में इमाम मुस्लिम बिन हज्जाज ने अपनी हदीस की किताब सही मुस्लिम में इसी घटना का उल्लेख किया तो कुरान की पहली सरा लाने वाला नामूस की जगह फरिश्ता लिख दिया

“गारे हीरा से लौट कर मुहम्मद साहब ने खदीजा से कहा कि वहां एक फरिश्ते ने मुझ से कहा “पढ़ो “जिसका मैंने उत्तर दिया “पढ़ नहीं सकता ”

“then return to Khadija He told in the cave of Hira’. There came to him the angel and said: Read , to which he replied: I am not lettered”

” ثُمَّ يَرْجِعُ إِلَى خَدِيجَةَ فَيَتَزَوَّدُ لِمِثْلِهَا حَتَّى فَجِئَهُ الْحَقُّ وَهُوَ فِي غَارِ حِرَاءٍ فَجَاءَهُ الْمَلَكُ فَقَالَ اقْرَأْ ‏.‏ قَالَ ‏”‏ مَا أَنَا بِقَارِئٍ ”

Reference : Sahih Muslim 160a
In-book reference : Book 1, Hadith 308
USC-MSA web (English) reference : Book 1, Hadith 301

https://sunnah.com/muslim:160a

इस से साबित होता है कि कुरान की पहली सूरा बन जाने के 265 साल बाद मुस्लमान इमाम ने कुरान को ऊपर आसमान से उतरी किताब साबित करने के लिए कुरान लाने वाले को फरिश्ता बता दिया था ,

3-कुरान की पहली सूरा लिखित रूप में थी

इन दौनों हदीसों से साफ़ साबित होता है कि कुरान की पहली सूरा लिखित रूप में मुहमद साहब को दी गयी थी , जिसे वह नहीं पढ़ पाये थे ,क्योंकि अरबी में किसी लिखित पत्र , या पुस्तक को पढने को ” किरअ -قرأ “( to read ) कहते हैं , और पढ़ी हुई बात को बोलकर कहने को “तिलावत -تلاوة ” ( to Recite ) कहते हैं.

4-कुरान की पहली सूरा कहाँ है ?

इस कुरान के बारे में अल्लाह ने यह गारंटी दी है

“बेशक यह याददिहानी (reminder ) हमने ही उतारी है , और बेशक हम ही इसके रक्षक ( Guardian ) हैं ” सूरा -अल हिज्र 15:9

5-मुसलामानों से सवाल

इसलिए जो लोग यह दावा करते हैं कि कुरान आसमान से उतरी हुई अल्लाह की ऐसी किताब है जो जिब्राईल के हाथों मुहम्मद साहब को दी गयी थी ,और 23 साल तक ऐसा ही होता रहा . तो दवा करने वाले कुरान की पहली सूरा लोगों क्यों नहीं दिखा देते , जो लिखित रूप में थी , इस से सबको पता हो जाता कि अल्लाह की राइटिंग कैसी थी ? और वह सूरा किस चीज या कागज पर लिखी थी ? वाह कागज कहाँ बना था ? और अगर वह सूरा खो गयी है तो अल्लाह ने उसकी हिफाजत क्यों नहीं की ?हमें पूरा विश्वास है इन सवालों का जवाब कोई नहीं दे सकता .
क्योंकि अगर कुरान ईश्वर की किताब होती तो उसमे मानवता विरोधी ऐसी
बातें नहीं होतीं
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बृज नंदन शर्मा

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