राष्ट्रबोध और संस्कृतिबोध कराने वाले इतिहास का अध्ययन कराना समय की आवश्यकता : डॉ आर्य

ललितपुर। आज योग भवन कंपनी बाग ललितपुर में भारतीय इतिहास के कुछ अनछुए पृष्ठों पर भारत के इतिहास का पुनर्लेखन क्यों आवश्यक है ? विषय पर महर्षि दयानंद सरस्वती शोध संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में एक विचार संगोष्ठी का महत्वपूर्ण आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में सुप्रसिद्ध इतिहासकार एवं लेखक डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि भारत के संस्कृति गौरव को समझने के लिए और आज की युवा पीढ़ी में राष्ट्रबोध, संस्कृति बोध, स्वबोध, धर्मबोध कराने के लिए भारतीय इतिहास का पुनर्लेखन आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि अपने देश के वीर वीरांगनाओं के इतिहास के साथ किए गए अन्याय पूर्ण अभिशाप को धोने का समय आ गया है। भारत के इतिहास को समझने के लिए भारत को समझना आवश्यक है। इसी उम्मीद के साथ हमने भारत को समझो अभियान चलाया है।
डॉक्टर आर्य ने कहा कि आज का भारत कभी जंबूद्वीप के नाम से जाना जाता था । जिसमें संपूर्ण यूरोप और एशिया सम्मिलित हुआ करता था। राजा वीर विक्रमादित्य का शासन संपूर्ण यूरोप और एशिया पर हुआ करता था। जिनके नाम से विक्रमी संवत आज तक चल रहा है। बाद में उनका नाम प्रतापी राजाओं के लिए एक उपाधि के रूप में प्रयोग किया जाने लगा। उन्होंने कहा कि मौर्य साम्राज्य कभी 7200000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर फैला हुआ था। इसी प्रकार गुप्त साम्राज्य भी 3500000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर फैला हुआ था। परंतु भारत के इस गौरवशाली इतिहास को आज की युवा पीढ़ी को नहीं पढ़ाया जाता । इतिहास को निराशाजनक ढंग से प्रस्तुत करते हुए विदेशी आक्रमणकारियों के झूठे इतिहास को महिमामंडित कर हमारी पीढ़ी को बिगाड़ा जा रहा है।
इतिहासकार डॉ आर्य ने कहा कि भारत के ऋषि मुनियों के द्वारा किए गए अनुसंधानों को भी उपेक्षित किया गया है। इसी प्रकार उन्होंने गौ रक्षा के संदर्भ में बोलते हुए कहा कि भारत को सही रूप से समझने के लिए गाय को अर्थव्यवस्था का केंद्र बनाना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड के इतिहास के गौरवपूर्ण पृष्ठों को इतिहास से मिटा कर रानी लक्ष्मीबाई, छत्रसाल, रानी सारंधा ,चंपत राय आदि के इतिहास को भी विलुप्त कर दिया गया है।
डॉ कार्य ने कहा कि आज समय की आवश्यकता है कि हमें अपने इतिहास के विलुप्त अध्यायों को जोड़कर युवा पीढ़ी को एक स्वर्णिम और उज्जवल भविष्य के भारत का निर्माण करने के लिए कार्य करना चाहिए। इसी से भारत के उज्जवल भविष्य का निर्माण किया जा सकता है। इस कार्यक्रम में उगता भारत समाचार पत्र के संपादक श्रीनिवास आर्य रविंदर आर्य अजय आर्य सहित गंधर्व सिंह लोधी और धर्मेंद्र गोस्वामी मुनि पुरुषोत्तम वनप्लस जी पुष्पेंद्र राजा बुंदेला सहित कई गणमान्य लोगों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का सफल संचालन कार्यक्रम के संयोजक कार्यरत शिक्षकों द्वारा किया गया कार्यक्रम में श्रीमती सुमन लता सैन, अदिति आर्या, आराधना सहित महिला शक्ति की भी विशेष उपस्थिति रही।
इस अवसर पर श्री लखन लाल आर्य द्वारा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का नाम लक्ष्मणपुर करने ,जनसंख्या नियंत्रण पर कठोर कानून लाने, समान नागरिक संहिता लागू कराने, बटेश्वर के मंदिरों का जीर्णोद्धार कराकर इतिहास के गौरव के रूप में स्थापित कराने का प्रस्ताव पारित किया गया।

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