बहन-बेटी-बीवी-अम्मी… सबको कमरे में बंद कर जला डाला’: बीरभूम का एक पीड़ित

पश्चिम बंगाल के बीरभूम में 8 लोगों की निर्मम हत्या के बाद अब पूरा देश ममता सरकार से सवाल कर रहा है। पीएम मोदी द्वारा घटना पर दुख जताने और कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार से रिपोर्ट माँगने के बीच आज बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी घटनास्थल पर लोगों से मिलने जाएँगी। उनकी पार्टी समर्थकों पर ही इस पूरी हत्या को अंजाम देने के इल्जाम हैं। वहीं राज्य पुलिस पर सही समय पर मदद न करने के आरोप हैं।

आखिर हिन्दू कब अपनी सेकुलरिज्म की नींद से जाग इन बहरूपियों को पहचानेगा? बीरभूम में हिन्दुओं पर हमला कोई पहली बार नहीं हुआ। जब से ममता बनर्जी मुख्यमंत्री बनी है, तभी से निरंतर हिन्दू कट्टरपंथियों के निशाने पर रहे हैं। उसके बावजूद बार-बार ममता के हाथ सत्ता देते रहे, विधानसभा चुनावों में हुए हंगामे के बावजूद भी हिन्दुओं ने अपनी आंखें नहीं खोली, क्या इसी का नाम सेकुलरिज्म है? आखिर कब हिन्दुओं के खून की होली खेलने, इनके मंदिरों पर हमला करने वाले और इनकी मौत का तांडव खेलने वाले और अपनी कुर्सी की खातिर इनको राजनीतिक संरक्षण देने वालों के विरुद्ध लामबंद होंगे?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में पीड़ितों के हवाले से बताया गया है कि वारदात को जब अंजाम दिया गया तब महिलाओं और बच्चे डर से एक कमरे में बंद हो गए थे, लेकिन हमलावरों ने ये जानते हुए भी कमरे में आग लगा दी। पीड़ित परिवार ने दावा किया है कि उनके घर के 8 नहीं बल्कि 10 लोग सोमवार रात जलाकर मारे गए और पुलिस ने शव उन्हें देने की बजाय रात-रात में गाँव में दफना दिए।

रिपोर्ट के अनुसार मिहिलाल शेख ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया “हमारे परिवार के सदस्य, महिलाएँ, बच्चे, हमारी बेटी और दामाद जो हमसे मिलने आए थे, सभी एक कमरे में छिप गए थे, जो घर में सबसे मजबूत था। फिर भी हमलावरों ने उस कमरे में आग लगा दी, उसमें छिपे सभी लोग जलकर मर गए। मेरा परिवार खत्म हो गया है, केवल राख रह गई है। मैं बात करने की भी स्थिति में नहीं हूँ।”

मिहिलाल के मुताबिक, जलाकर मारे गए लोगों में उनकी पत्नी रौशनारा बीबी और उनकी 8 साल की बेटी, उनकी अम्मी नूर नेहर बीबी, बहन रुपाली बीबी, भाई की बीवी जेहनारा बीबी, उनकी बेटी मारिजाना और उनके पति काजी सजीदुर रहमान थे। मिहिलाल की बेटी 5 वीं क्लास की छात्रा थी जबकि मारिजाना का निकाह अभी हाल में हुआ था। वह बीरभूम के ननौर में रहती थी और सोमवार को अपने घर आई थी।

सजीदुर के पिता काजी नुरुल जमाल कहते हैं, “सजीदुर और मारिजाना ने सोमवार को बताया था कि वो लोग पहुँच गए हैं। रात में मेरे बेटे ने अपने दोस्त को फोन किया और कहा कि यहाँ कुछ ठीक नहीं है वो पुलिस को फोन करें। इसके बाद हमने अपने बेटे से संपर्क करने का प्रयास किया पर बात नहीं हुई। सुबह पता चला कि वो मर गए। मैं बस दोषियों को फाँसी देने की माँग करता हूँ।”

घटनास्थल से बरामद सारे शव बुरी तरह जल गए हैं। अगर किसी शव की शिनाख्त हो सकी है तो वो मीना बीबी का है। मिहिलाल से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मीना बीबी दूर के रिश्तेदार फातिख शेख की पत्नी हैं। वह अपने दो पोते के साथ बगल के घर में रहती थीं, जिनकी उम्र 4 और 6 साल थी। मीना ने अस्पताल में दम तोड़ दिया, लेकिन बच्चों का कोई पता नहीं चला। वे कहाँ गए? या, उनके शरीर कहाँ गए?”

मिहिलाल शेख, जो अब डर के कारण घर से दूर रह रहे हैं। उन्होंने पूरी घटना को याद करते हुए कहा कि हमलावरों ने पहले उनके घर पर हमला किया। उन्होंने बताया उस समय वह घर के बाहर ही थे जब सोमवार सुबह आवाज आई कि उप-प्रधान को मार दिया गया। वह कहते हैं, “हर कोई घबरा गया। फिर हमें गाँव में बम के बारे में पता चला । सारे लोग कमरे में छिप गए। बम घर के पास आकर गिरा इसलिए मैं और मेरा भाई बनीरुल घर के अंदर नहीं जा पाए। हमलावरों ने घर तोड़ा फिर कमरे को निशाना बनाया। हमने उन्हें गेट तोड़ने की कोशिश करते देखा। हमें चीखें सुनाई गईं। फिर हमें आग दिखी। मुझे लगता है कि पहले मेरे परिजनों को मारा गया। फिर उन्हें जलाया गया। लेकिन मैं इसे लेकर पक्का नहीं हूँ।”

उप-प्रधान को मारने वाले आरोपों को मिहिलाल शेख और उनके भाई द्वारा नकारा गया। वह बोले कि वो लोग बस टीएमसी समर्थक हैं। ऐसा करने की सोच भी नहीं सकते। उप-प्रधान टीएमसी के थे और नेता थे। उन्होंने टीएमसी ब्लॉक प्रधान अनारुल हुसैन पर इस हमले की साजिश का इल्जाम मढ़ा। हालाँकि अनारुल हुसैन द्वारा ये इल्जाम नकार दिए गए। वहीं पीड़ित परिजनों ने आरोप लगाया कि उनके परिजनों के शव को दफनाने से पहले एक बार बात भी नहीं की गई।

1 thought on “बहन-बेटी-बीवी-अम्मी… सबको कमरे में बंद कर जला डाला’: बीरभूम का एक पीड़ित

Comment: