कोठारी बंधुओं का बलिदान नहीं भूलेगा हिंदुस्तान : डॉ राकेश कुमार आर्य

कटक। (श्रीनिवास आर्य) वीर सावरकर फाउंडेशन की ओर से यहां पर आयोजित किए गए राष्ट्रीय पुरस्कार कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि कोठारी बंधुओं ने जिस उद्देश्य और सोच के साथ अपना बलिदान दिया उसे हिंदुस्तान की आने वाली पीढ़ियां कभी भुला नहीं पाएंगी।
डॉ आर्य ने कहा कि राक्षस संस्कृति को समाप्त कर अच्छे लोगों के लिए अच्छा परिवेश सृजित करना भारत के क्षत्रिय लोगों की प्राचीन परंपरा रही है। श्री राम के द्वारा राक्षसों का संहार इसी उद्देश्य से प्रेरित होकर किया गया था। इसी उद्देश्य को लेकर श्री कृष्ण जी ने महाभारत में अर्जुन को युद्ध के लिए उद्यत किया और उसे बताया कि अत्याचार, अनाचार , पापाचार और दूसरों के अधिकारों को छीनने की प्रवृत्ति अपनाने वाले लोगों का संहार करना शासक और क्षत्रिय वर्ग का धर्म है।
उन्होंने कहा कि भारत के लोगों ने अपने इसी धर्म को समझकर विदेशी आक्रमणकारियों का पहले दिन से विरोध और प्रतिरोध किया। श्री आर्य ने कहा कि भारत का स्वाधीनता संग्राम  उतना ही पुराना है जितना पुराना इस देश में विदेशी आक्रमणकारियों का आना है। इसलिए भारत के स्वाधीनता संग्राम को किसी संगठन विशेष या किसी व्यक्ति विशेष के साथ जोड़कर देखा जाना उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि भारत को भारत के दृष्टिकोण से समझने की आवश्यकता है और जब हम भारत को भारत के दृष्टिकोण से समझने लगेंगे तो पता चलेगा कि जिन लोगों ने भारतीय सम्मान को चोट पहुंचाई  उनका विनाश करना और उनके प्रतीकों का विध्वंस करना भी हमारा राष्ट्रीय दायित्व है। बस, इसी उद्देश्य, दायित्व और धर्म के निर्वाह से प्रेरित होकर कोठारी बंधुओं ने अपना सर्वोत्कृष्ट बलिदान दिया। उनका वह बलिदान अभिनंदन, वंदन और नमन के योग्य है। डॉ आर्य ने कहा कि वह माता धन्य है जिसकी कोख से ऐसे वीर सपूत जन्मे।
डॉ आर्य ने मंच पर विराजमान कोठारी बन्धुओं की बहन श्रीमती पूर्णिमा कोठारी की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि भारत की परंपरा रही है कि समय आने पर बहनों ने स्वयं देश व धर्म की रक्षा के लिए भाइयों को युद्ध में भेजा है। पत्नी ने पति को भेजा है तो माता ने बेटे के हाथ में तलवार देकर शत्रुओं के विनाश के लिए भेजा है।  इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए हमें अपने वीर बलिदानियों के लिए आंसू बहा कर किसी प्रकार की कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना है बल्कि उनके तपस्वी जीवन को प्रणाम करते हुए ओजस्वी तेजस्वी राष्ट्र के निर्माण में अपने आपको समर्पित करना है।
इस अवसर पर वीर सावरकर फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रह्लाद खंडेलवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कोठारी बंधुओं ने देश धर्म की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर हम सबके लिए प्रेरणा की दिव्य ज्योति जलाई है । जिसे हम सदा प्रज्वलित रखने का प्रयास करते रहेंगे। जबकि फाउंडेशन के महामंत्री श्री श्याम सुंदर पोद्दार ने कहा कि कोठारी बंधुओं की प्रतिमा कटक में लगाई जाएगी। जिससे उनके तेजस्वी ओजस्वी जीवन से आने वाली पीढ़ियां प्रेरणा ले सकें। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि मुस्लिम आक्रमणकारी बाबर के द्वारा निर्मित मस्जिद के ढांचे को कोठारी बन्धुओं ने समाप्त करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कार्यक्रम के संयोजक नंदकिशोर जोशी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जो जातियां अपने वीर बलिदानियों के इतिहास को सुरक्षित रखती हैं वही संसार में जातियों के संघर्ष में अपने आपको स्थापित किया रखने में सफल हो पाती हैं।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए सुभाष केडिया ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि श्री राम हमारी आस्था का केंद्र ही नहीं बल्कि हमारे राष्ट्रवादी चिंतन के प्रेरणा स्रोत भी हैं। उनका जीवन चरित्र हमें देश, धर्म व राष्ट्र की रक्षा के लिए समर्पित होने की प्रेरणा देता है।

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