स्वामी श्रद्धानंद जी के बलिदान दिवस पर उनके साहित्य पर विशेष छूट

ओ३म्

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हितकारी प्रकाशन समिति, हिण्डोन सिटी-राजस्थान आर्यजगत के प्रमुख प्रकाशक हैं। इस संस्थान का संचालन प्रसिद्ध ऋषिभक्त श्री प्रभाकरदेव आर्य जी करते हैं। इस संस्था का इतिहास लगभग तीन दशकों का है। इस अवधि में श्री प्रभाकर जी ने लगभग 350 छोटे-बड़े ग्रन्थों का प्रकाशन किया है। वर्तमान में लगभग 200 से कुछ अधिक ग्रन्थ विक्रयार्थ उपलब्ध हैं। अनेक ग्रन्थ जो प्रकाशित हुए वह समाप्त हो जाने के कारण पुनः मुद्रित व प्रकाशित नहीं हुवे।

हितकारी प्रकाशन समिति से नये नये ग्रन्थों का प्रकाशन निरन्तर होता रहता है। कुछ समय पूर्व ही प्रकाशन समिति से ‘‘कुशवाह-ग्रन्थावली” के तीन भागों में से एक भाग अग्रिम ग्राहकों को उपलब्ध कराया गया है। शेष भाग सम्पादित होकर शीघ्र प्राप्त होने की सम्भावना है। इसके साथ पाठकों को ‘कविरत्न श्री मेधाव्रत आचार्य जी रचित दयानन्द दिग्विजय महाकाव्य का समालोचनात्मक अध्ययन’ लेखक डा. प्रदीपकुमार चतुर्वेदी जी की पुस्तक निःशुल्क प्रदान की गई थी। इसके बाद प्रकाशन योजना से चार वेदों की मन्त्र संहिताओं का चार खण्डों में भव्य प्रकाशन हुआ है। यह सभी ग्रन्थ दिसम्बर, 2020 में ही अग्रिम ग्राहकों को भेजे गये हैं। इसके साथ भी डा. सोमदेव शास्त्री, मुम्बई की 650 पृष्ठों की महत्वपूर्ण पुस्तक ‘वेदों का दिव्य सन्देश’ निःशुल्क प्रदान की गई है। महात्मा नारायण स्वामी जी के अनेक ग्रन्थों का प्रकाशन भी हितकारी प्रकाशन योजना ने इस वर्ष किया है। भविष्य में भी प्रकाशन समिति की ओर से प्रकाशन की महत्वाकांक्षी योजनायें तैयार हैं। आशा है ईश्वर श्री प्रभाकरदेव आर्य जी की सभी योजनाओं को पूरा करेंगे। इसके लिए हम ईश्वर से प्रार्थना व कामना करते हैं।

23 दिसम्बर, 2020 को स्वामी श्रद्धानन्द जी का बलिदान दिवस मनाया गया है। इस उपलक्ष्य में हितकारी प्रकाशन समिति, हिण्डोनसिटी ने स्वामी श्रद्धानन्द जी के जीवन चरित सहित उनके कुल तीन ग्रन्थों को छूट एवं उपहार के साथ आर्य साहित्य के पाठकों को प्रदान करने की योजना प्रस्तुत की है। इस योजना में स्वामी श्रद्धानन्द जी विषयक निम्न तीन ग्रन्थ सम्मिलित हैं:

1- स्वामी श्रद्धानन्द (जीवनी) लेखक पं. सत्यदेव विद्यालंकार। पुस्तक पर मूल्य अंकित नहीं है। यह 448 पृष्ठों का महत्वपूर्ण ग्रन्थ है। इस जीवनी का महत्व इसे पढ़कर ही लगाया जा सकता है। सभी पाठकों को इस ग्रन्थ को एक बार अवश्य पढ़ना चाहिये।

2- धर्मोपदेश-मंजरी। इस ग्रन्थ में महात्मा मुंशीराम/स्वामी श्रद्धानन्द जी की लेखनी से लिखे उपदेशों का संकलन किया गया है। संकलनकर्ता श्री लब्भूराम नैय्यड़ हैं। सम्पादक डा. विनोदचन्द्र विद्यालंकार जी हैं। सम्पादक जी गुरुकुल कांगड़ी के यशस्वी स्नातक थे। आपको ग्रन्थ लेखन व सम्पादक का दीर्घकालीन अनुभव था। पुस्तक की पृष्ठ संख्या 304 है तथा मुद्रित मूल्य रुपए 150 है।

3- तीसरी पुस्तक है “कल्याण मार्ग के पथिक”। यह स्वामी श्रद्धानन्द जी की आत्मकथा है। यह एक ऐतिहासिक दस्तावेज है। इसमें स्वामी जी के जीवन सहित उनके नास्तिक बनने और ऋषि दयानन्द के सत्संग से आस्तिक बनने की कथा वणित है। स्वामी श्रद्धानन्द जी द्वारा किये गये वेद प्रचार का विवरण भी इसमें है। इस ग्रन्थ की भूमिका भी पढ़ने और स्मरण करने योग्य है। इस पुस्तक का मूल्याकंन तो पाठक इसे पढ़कर ही कर सकते हैं। भव्य रूप में इस ग्रन्थ का प्रकाशन किया गया है। हमने भी इसे प्रेषित करने के लिये प्रकाशक जी को निवेदन किया है। आप इस ग्रन्थ को देेखेंगे और पढ़ेंगे तो आपको सन्तोष होगा। इस ग्रन्थ को पढ़कर मनुष्य गिरी हुई अवस्था से उठकर एक सच्चा मनुष्य बन सकता है। गांधी जी ने भी इस आत्मकथा को पढ़ा था। उन्हें स्वामी श्रद्धानन्द जी के जीवन व शहीद के रूप में मृत्यु से ईर्ष्या हुई थी। ऐसा हमने कहीं पढ़ा है। पुस्तक का मूल्य हमें ज्ञात नहीं है। ग्रन्थ की विशेषता यह है कि इसका सम्पादन वैदिक विद्वान डा. ज्वलन्त कुमार शास्त्री, अमेठी जी ने किया है तथा ग्रन्थ में शताधिक महत्वपूर्ण पाद टिप्पणियां दी हैं। इससे पुस्तक का महत्व बढ़ गया है।

इन तीनों पुस्तकों का सैट छूट के साथ मात्र चार सौ रुपये में दिया जा रहा है। प्रेषण शुल्क भी प्रकाशक महोदय वहन करेंगे। पुस्तकें मंगाने की कोई समय सीमा नहीं है। आप चाहें दिसम्बर, 2020 व जनवरी, 2021 में भी इन पुस्तकों को मंगा सकते हैं। यह स्वर्णिम अवसर इस महत्वपूर्ण साहित्य को प्राप्त करने का है। क्रमांक 1 व 2 के ग्रंथों के प्रकाशक तो श्री प्रभाकरदेव आर्य, हितकारी प्रकाशन समिति ही हैं। अन्य किसी प्रकाशक द्वारा इनका प्रकाशन नहीं किया गया है। अतः अन्य किसी प्रकाशक से यह ग्रन्थ आपको प्राप्त नही हो सकते। अतः इन ग्रंथों का ऋषिभक्तों को लाभ उठाना चाहिये।

तीनों पुस्तकों की कुल पृष्ठ संख्या 1000 है। उपर्युक्त तीन पुस्तकों का सैट लेने पर छूट के लाभ के साथ प्रकाशक महोदय की ओर से ग्राहकों को एक अन्य ग्रन्थ उपहार में दिया जायेगा।

पुस्तकें मंगाने के लिये प्रकाशक ‘हितकारी प्रकाशन योजना’ के खाते में 400 रुपये की धनराशि जमा करनी है। खाता HDFC में है। खाता संख्या 50200027920292 है।IFS कोड HDFC0002589 है तथा बैंक शाखा स्टेशन रोड, हिण्डोन सिटी है। पुस्तक मंगाने के लिये बैंक में धनराशि जमा कर श्री प्रभाकरदेव जी को उनके मोबाईल नं. 7014248035 पर व्हटशप मैसेज करना है जिसमें पैसे भेजने की जानकारी तथा अपना डाक पता तथा मोबाईल नं. सूचित करना है। ऐसा करने पर आपको तीन पुस्तकें व उपहार ग्रन्थ कुछ ही दिनों में प्राप्त हो जायेगा। ऐसा करने पर आप वैदिक धर्म के प्रचार प्रसार में सहयोगी बनेंगे और इससे इन ग्रन्थों के प्रकाशक का भी उत्साहवर्धन होगा। स्वामी श्रद्धानन्द जी का वास्तविक श्राद्ध भी आपके ग्रन्थ को मंगाने व पढ़ने से होगा।

हम श्री प्रभाकर देव आर्य जी को वैदिक धर्म एवं आर्यसमाज विषयक साहित्य प्रकाशन एवं उसके प्रचार द्वारा वैदिक धर्म की सेवा करने के लिए बधाई देते हैं। ईश्वर उन्हें अच्छा स्वास्थ्य एवं दीर्घायु प्रदान करें। ओ३म् शम्।

-मनमोहन कुमार आर्य

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