असदुद्दीन ओवैसी के बयान पर हिंदू महासभा ने किया तीखा वार , कहा – प्रधानमंत्री श्री मोदी का भूमि पूजन में सम्मिलित होना पूर्णतया संवैधानिक

नई दिल्ली ( विशेष संवाददाता ) अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संदीप कालिया ने कहा है कि आगामी 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण हेतु किए जा रहे भूमि पूजन में प्रधानमंत्री श्री मोदी का उपस्थित होना पूर्णतया संविधानिक है । श्री कालिया ने असदुद्दीन ओवैसी के उस बयान की तीखी आलोचना की जिसमें उन्होंने भूमि पूजन में प्रधानमंत्री का उपस्थित होना असंवैधानिक बताया था । श्री कालिया ने कहा कि पिछले 70 -72 वर्ष में क्या संविधानिक और क्या असंवैधानिक होता रहा है इसको ओवैसी भली प्रकार जानते हैं । पर अब छद्म धर्मनिरपेक्षता के दिन लग चुके हैं ।

संविधान की मूल भावना के अनुसार देश में रामराज्य स्थापित करना हमारा संवैधानिक कर्तव्य है । जिस संविधान सभा ने देश के निर्माण के लिए रामराज्य को आदर्श माना था ,आज हिंदू महासभा के बहुत बड़े संघर्ष के पश्चात वह दिन देखने को मिल रहा है जब हम राम मंदिर के रूप में अपनी विश्व विरासत को संभालने और संवारने जा रहे हैं।
श्री कालिया ने कहा कि इस अवसर पर हम देश के उन करोड़ों जनों का हृदय से आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने 1949 में हिंदू महासभा के द्वारा शुरू की गई इस जंग को फतेह करने में अपना अप्रतिम योगदान दिया । हिंदू महासभा नेता ने कहा कि 1528 से लेकर आज तक उन लाखों बलिदानों के बलिदान का भी हम सम्मान करते हैं जिन्होंने श्री राम जी के मंदिर के लिए अपने प्राण गवाएं ।
उन्होंने कहा कि अखिल भारत हिंदू महासभा प्रधानमंत्री श्री मोदी से यह भी मांग करती है कि वह भूमि पूजन के समय इस मंदिर के प्रांगण में एक स्मारक भी तैयार कराएं जो हमारे उन बलिदानियों के सम्मान में हो जिन्होंने राम मंदिर के लिए अपने प्राण गंवाए ।
ज्ञात रहे कि एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने रामलला मंदिर के शिलान्यास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा का विरोध किया है। ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का रामलला मंदिर के लिए अयोध्या दौरे पर जाना प्रधानमंत्री के संवैधानिक शपथ का उल्लंघन होगा। देश के संविधान का अहम हिस्सा है धर्मनिरपेक्षता।
ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, ‘’आधिकारिक रूप से भूमि पूजन में शामिल होना पीएम की संवैधानिक शपथ का उल्लंघन होगा. धर्मनिरपेक्षता संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है। हम यह नहीं भूल सकते कि बाबरी 400 साल से ज्यादा समय तक अयोध्या में रही और 1992 में आपराधिक भीड़ द्वारा इसे ध्वस्त कर दिया गया।
हिंदू महासभा के नेता श्री कालिया ने कहा कि हमारा संविधान सामासिक संस्कृति के उत्थान और उद्धार की बात करता है । साथ ही भारत के आदर्श श्री राम जी का फोटो मूल संविधान की प्रति में सम्मिलित कर संविधान निर्माताओं ने उनके प्रति न केवल अपने श्रद्धा प्रकट की बल्कि रामराज्य का आदर्श लेकर चलने वाले गांधी जी ने आजाद भारत के लिए आदर्श भी स्थापित किया कि शासन के मामलों में श्रीराम ही हमारे आदर्श होंगे । श्रीराम से बढ़कर कोई पंथनिरपेक्ष व्यक्ति नहीं हुआ ।
उन्होंने इस बात के लिए श्री ओवैसी की तीखी आलोचना की कि वे छद्म धर्मनिरपेक्षता को ही इस देश का मौलिक संस्कार मानते हैं । जबकि हिंदू महासभा पंथनिरपेक्षता को इस देश का मौलिक संस्कार मानती है और हमारे संविधान की मूल भावना भी यही है । उन्होंने कहा कि श्री ओवैसी को भारत के इतिहास में पंथनिरपेक्षता की अवधारणा को यदि समझना है तो वह हिंदू शासकों के शासन को भली प्रकार समझें । किसी अकबर से उन्हें यब शिक्षा नहीं मिल सकती है । यदि वह ऐसी शिक्षा लेना चाहते हैं तो शिवाजी से उन्हें पंथनिरपेक्षता का पाठ पढ़ने को मिल सकता है।

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