28 मई 1883 वीर सावरकर के जन्म दिन पर विशेष

महान देशभक्त अखंड भारतवर्ष की आजादी के लिए क्रांतिकारियों के प्रेरणा स्त्रोत काला पानी सेल्यूलर जेल के हीरो एक साथ कवि लेखक और क्रांतिकारी वीर विनायक दामोदर सावरकर भारत की आजादी के पहले देशभक्त क्रांतिकारी थे जिन्होंने जान हथेली पर लेकर अथाह समुद्र में आजादी की छलांग लगाई थी I
8 जुलाई को उनके राष्ट्र प्रेम की उस छलांग को शत-शत नमन I सावरकर को 1 जुलाई 1910 को इंग्लैंड से मोरिया जलयान द्धारा भारत की ओर रवाना कर दिया गया I जहाज पर गोरों का बड़ा सख्त पहरा था I वीर सावरकर के मस्तिष्क में छत्रपति शिवाजी द्धारा औरंगजेब की कारागार से मुक्त होने की योजना घूम गई I 8 जुलाई 1910 को फ़्रांस की मार्शल बंदरगाह के निकट जहाज पहुंचने में कुछ मिल की दूरी थी कि सावरकर शौच के बहाने जहाज के शौचालय में जाकर बड़ी फुर्ती से उछलकर स्वतंत्र भारत की जय बोलकर समुद्र में कूद पड़े I सावरकर तैरते हुए किनारे की ओर बढ़ने लगे I गोरे सावरकर पर गोलियों की बौछार कर रहे थे फिर भी सावरकर विजयी तैराक की भांति मीलो तैरने के बाद फ्रांस के सागर तट पर आ गए I फ्रांस की पुलिस के पास जाकर सावरकर ने खुद को फ्रांस के हवाले कर दिया फिर भी अंग्रेजों के दबाव में आकर फ्रांस की पुलिस ने उनको अंग्रेजों के हवाले कर दिया I सावरकर के अदम्य साहस की रोमांचितकारी घटना समस्त विश्व में बिजली की तरह फैल गई I ब्रिटिश साम्राज्य के ही नहीं अपितु विश्व भर के सभी प्रमुख समाचार पत्रों में मुख्य पृष्ठ पर प्रमुख रूप से इस रोमांचकारी समाचार को प्रकाशित किया I अनेक पत्रों ने एक भारतीय युवक के इस अदम्य साहस को दैविक घटना तक लिखा कि “सावरकर जब फ्रांस की सीमा में पहुंच गए तो उन्हें पुन: गिरफ्तार करने का अंग्रेजों का कोई अधिकार नहीं था I अंग्रेजों ने यह अवैधानिक किया है I’’ मामला हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण में पहुचा फ्रांस की भूमि पर पकड़े जाने पर सावरकर पर किसका अधिकार ? इस दिलचस्प घटना ने विश्वभर में काफी लोकप्रियता प्राप्त की I मैडम कामा श्री वी.वी.एस. अय्यर,श्री श्याम कृष्ण वर्मा आदि ने फ्रांस के प्रख्यात समाजवादी नेता तथा मासोई के मेयर एम जारेस से भेंट कर सावरकर को ब्रिटिश सरकार से वापस लिए जाने की मांग की I विश्व भर के समाचार पत्र में 29 जुलाई 1910 को प्रकाशित हुआ “ फ्रांस की सरकार ने ब्रिटिश सरकार से आग्रह किया कि तब तक सावरकर के मुकदमे की स्थगित रखा जाए जब तक इस संबंध में पूरी जानकारी प्राप्त नहीं कर ली जाए ‘’ ब्रिटेन में अनेक नेताओं व संस्थाओं तथा कानून शास्त्रीयों ने तर्क देकर सावरकर को फ़्रांस सरकार को लौटाने की मांग की I ब्रिटिश पार्लियामेंट के सदस्य केर हांड़ी ने 6 सितम्बर को कोपेनहेगेन में हुये अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मलेन में सावरकर को फ़्रांस को सोपे जाने की जोरदार मांग की I डेली मेल ‘लंदन टाइम्स ‘तथा एंड मॉर्निंग पोस्ट जैसे प्रमुख ब्रिटिश पत्रों ने सम्पादकीय लिखकर इस मांग का समर्थन किया I मुंबई के विशेष अदालत में सावरकर पर मुकदमा चल रहा था उन्हें फ्रांस को सोपे जाने की मांग जोर पकड़ती जा रही थी I अंत में 25 अक्टूबर को ब्रिटेन व फ़्रांस के विदेश सचिवों ने छह सूत्री संधि की जिसके अंतर्गत निर्णय हुआ कि हेग में एक पंच परिषद द्वरा यह निर्णय लिया जाये कि सावरकर को अंतरराष्ट्रीय शरण सिद्धांत के अनुसार ब्रिटिश सरकार फ्रांस सरकार को वापस करें या नहीं ? इस अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण में श्री ऍम बर्न्ट( बेल्जियम के भूतपूर्व प्रधानमंत्री ) अध्यक्ष तथा ऍम ग्राहम (नार्वे के भूतपूर्व मंत्री ) जनिक्यर लोमन अल ऑफ डेजर्ट तथा ऍम लुई रेनाल्टद सदस्य नियुक्त हुए I हेग के अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की पहली बैठक 16 फरवरी 1911 को हुई I 24 फरवरी को निर्णय दे दिया कि सावरकर को फ्रांस को सौंपने की कोई आवश्यकता नहीं है I इस निर्णय को विश्वभर में पक्षपातपूर्ण बताकर कड़ी भर्त्सना की गई I इस निर्णय ने विश्वभर में प्रभाव डाला I इंग्लैंड के मॉर्निंग पोस्ट डेली न्यूज़ तथा जर्मनी के पोस्ट जेसे परख्यात पत्रों ने न्यायाधिकरण के निर्णय को राजनीतिक शरण के अधिकार पर आघात करने वाला बातकर कटु आलोचना की I पत्रों ने फ्रांस के प्रधानमंत्री ऍम ब्रियाण्ड की ढुलमुल व ब्रिटेन से डरने वाली नीति को इसके लिए जिम्मेवार ठहराया I फ़्रांस में प्रधानमंत्री के विरुद्ध एक आंदोलन भी प्रारम्भ हो गया I इस निर्णय के 3 दिन बाद ही ‘ चेम्ब आफ डेप्युटीज ’ की बैठक होनी वाली थी I बैठक में प्रधानमंत्री की छिछालेदर करने की तैयारिया विरोधी सदस्यों ने प्रारम्भ कर दी I प्रधानमंत्री श्री ब्रियाण्डI आलोचनाओं से इतने घबरा गए कि उन्हें पद से त्यागपत्र देने को मजबूर होना पड़ा I वीर सावरकर के इस अंतरराष्ट्रीय मुकदमे ने फ़्रांस के प्रधानमंत्री को सता से हटवा दिया I ऐसे महान क्रांतिकारी वीर सावरकर का आजादी का जम्प इतिहास की एक महान कथा बन गई I
संस्थापक ;- श्रीनिवास शर्मा शास्त्री
अखिल भारतीय वीर सावरकर विचार मंच रेवाड़ी हरियाणा

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