मिट्टी चिकित्सा ब्रह्मास्त्र है*

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लेखक आर्य सागर खारी 🖋️

हमारे शरीर का निर्माण जिन पंचतत्व से हुआ है उन में सर्वाधिक प्रधानता पृथ्वी तत्व अर्थात मिट्टी की है यही कारण है इस शरीर को माटी का पुतला कहा गया है| अर्थववेद में अनेक सूक्त में मिट्टी के आयुरविज्ञान सम्मत ,रोग नाशक गुणों का उल्लेख किया गया है| लोक में एक कहावत भी प्रचलित है “सब रोगों की एक दवाई, हवा पानी मिट्टी मेरे भाई” कैंसर से लेकर ट्यूबरक्लोसिस अर्थात TB सर दर्द ,पेट रोग , पक्षाघात, हाई ब्लड प्रेशर भयंकर कब्ज आदि कोई ऐसा रोग नहीं है जो मिट्टी के उचित उपयोग से ठीक ना होता हो | बचपन में हमने देखा है खेलते हुए चोट लग जाती थी तो माता बहने बच्चों को चोटिल स्थान पर मिट्टी लगा देती थी घाव बहुत जल्दी भर जाता था मिट्टी के अंदर जबरदस्त एंटीसेप्टिक गुण होते हैं ,खेत में किसान चोटिल हो जाते थे तो वह मिट्टी की पट्टी बांध लेते थे|

मिट्टी में घाव के भरने की जबरदस्त क्षमता है जिसे हीलिंग पावर कहते हैं जो दुनिया की किसी महंगी से महंगी दवाई में नहीं है|

मिट्टी के इन गुणों से प्रभावित होकर जर्मनी के डॉक्टर वॉक्समैंन मिट्टी पर अनुसंधान किया था मिट्टी पर अनुसंधान के लिए उन्हें 1952 में मेडिसिन का नोबेल मिला था एंटीबायोटिक दवाई streptomycin की खोज की जो मिट्टी में प्राकृतिक तौर पर मौजूद रहती है | उन्होंने देखा क्षय रोग के बैक्टीरिया को मिट्टी में दबा देने से उसके कीटाणु हमेशा के लिए नष्ट हो जाते हैं| अखाड़े में आपने देखा होगा पहलवान मिट्टी मैं लेट लगाते थे जिससे मांसपेशियों की थकान दूर हो जाती थी पहलवानों की त्वचा चमक उठती थी |

मिट्टी पर नंगे पैर चलना ,मिट्टी पर नंगे बदन सोना ?सूर्य तप्त रेत में स्नान ,तालाब की मिट्टी को शरीर पर मल ना, मिट्टी की पट्टी को नाभि के ऊपर रखना आदि बहुत से क्रियाएं हैं जो मिट्टी चिकित्सा में की जाती हैं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्रों में |पाचन क्रिया स्वस्थ हो जाती है मिट्टी की पट्टी से यदि उसे नियमित पेट नाभि केंद्र के ऊपर सुबह शाम 15:15 मिनट रखा जाए |यह आंतों के वर्षों पुराने जमे हुए मल विजातीय पदार्थ को सोख लेती है जो लगभग हजारों बीमारियों का कारण होता है | शरीर की कोई ऐसी व्याधि नहीं जो मिट्टी चिकित्सा से दूर ना होती हो| मिट्टी चिकित्सा भारत के ऋषियों की विश्व को प्रदत अनुपम देन है| हमें परमात्मा के बनाए पदार्थों से उपकार लेना चाहिए था लेकिन महाभारत काल के पश्चात जब अविद्या ने डेरा जमाया भारत देश में तो हम मिट्टी का अलग ही व्यर्थ उपयोग करने लगे…|

सबसे आश्चर्य की बात यह है आज यह मिट्टी चिकित्सा मड थेरेपी जापान, अमेरिका, यूरोप, थाईलैंड आदि देशों में प्रमुखता से प्रचलित है लेकिन जिस विश्व गुरु भारत देश ने इसे जन्म दिया वहां आज यह विद्या लुप्त प्राय बहुत कम प्रचलन में है यद्यपि कुछ दक्षिण भारत के संस्थान अच्छा कार्य कर रहे हैं इस क्षेत्र में|

मिट्टी चिकित्सा पर चर्चा अगले अंक तक जारी रहेगी …

आर्य सागर ✒✒✒

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