कुबेर — धन-दौलत का देवता ?*

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डाo डी० के० गर्ग की कलम✒️✒️ से..

भाग 1

कुबेर को लेकर अनेको प्रकार के विश्वास और मुहावरे समाज मे प्रचलित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कुबेर नामक एक देवता भी है जिनकी पूजा से खजाना मिलता है ,गरीबी दूर होती है।इसलिए जरुरी है की कुबेर के विषय में वास्तविकता सामने लाकर अंधविश्वास / पाखण्ड को दूर किया जाये ।
पौराणिक मान्यताये : रावण के दो सगे भाईयों के अलावा रावण का एक सौतेले भाई भी था जो की कुबेर थे।
१ कुबेर धन के देवता है और भगवान शिव के द्वारपाल भी है।कुबेर को देवताओं का कोषाध्यक्ष माना गया है। मान्यता है कि कुबेर देवता की मूर्ति घर में लाने से सदैव परिवार पर उनकी कृपा बनी रहती है।
2.कुबेर देवता की बेटी को मीनाक्षी कहते हैं।
3. कथाओं के अनुसार कुबेर ने ब्रह्मा की घोर तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रभावित होकर ब्रह्मा उसके सामने प्रकट हुए और उससे वरदान मांगने को कहा। ब्रह्मा ने कुबेर को विश्व का धन, पुष्पक विमान और सोने के महल सहित लंका का महान शहर दिया।
4.पुष्पक विमान कुबेर जी का वाहन है जिसे उन्होंने बाद में अपने छोटे भाई रावण को भेंट में दे दिया था.
5. कुबेर देव का उदर यानी पेट बड़ा है। इनके शरीर का रंग पीला है। ये किरीट, मुकुट आदि आभूषण धारण करते हैं। एक हाथ में गदा तो दूसरा हाथ धन देने वाली मुद्रा में रहता है।
6.कुबेर को क्रासुला का पौधा अत्यधिक पसंद होता है. इसे घर में लगाने से सदैव उनकी कृपा आप पर बनी रहती है.
7 कुबेर की उपासना से माया यानी धन की प्राप्ति होती है। धनत्रयोदशी तथा दीपावली के दिन इनका खासतौर से पूजन किया जाता है। इसके अलावा फाल्गुन त्रयोदशी से साल भर हर माह शुक्ल त्रयोदशी को कुबेर व्रत करने का विधान है।
8 धन के अधिपति होने के कारण इन्हें मंत्र साधना द्वारा प्रसन्न करने का विधान बताया गया है।कुबेर मंत्र को दक्षिण की ओर मुख करके ही सिद्ध किया जाता है।
कुबेर मंत्र इस प्रकार है- मंत्र- ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:।

पौराणिक मान्यताओं का विश्लेषण :

जितनी भी मान्यताये कुबेर के विषय में मिलती है कोई भी प्रामाणिक ,वैज्ञानिक,और विश्वनीय नहीं है। सभी या तो किसी लेखक की कल्पनाये है या पण्डे पुजारियो की तुक्के बजी l
क्योकि —
–हिन्दू धर्म में जो ३३ प्रकार ( कोटि ) के देवता बताये गए है उनमे कुबेर नाम का कोई देवता नहीं है।
–कुबेर देवता को शरीरधारी व्यक्ति बताया है जो रावण का भाई है ,भगवान शिव का द्वारपाल भी है और देवताओं का कोषाध्यक्ष माना गया है। इनकी बेटी मिनाक्षी भी है।
–आगे कहा है की कुबेर जी ने ब्रह्मा की घोर तपस्या की। उसकी तपस्या से प्रभावित होकर ब्रह्मा उसके सामने प्रकट हुए और उससे वरदान मांगने को कहा। ब्रह्मा ने कुबेर को विश्व का धन, पुष्पक विमान और सोने के महल सहित लंका का महान शहर दिया।
–ये तपस्या कुबेर ने किस तरह की ,इस पर कही चर्चा नही है लेकिन पौराणिक तपस्या का मतलब जैसे की आजकल के बाबा तपस्या के नाम पर एक पैर पर खड़े होकर शरीर को कष्ट देना ,लंबे समय तक भूखे रहना जैसे कि जैन मुनि उपवास के नाम पर स्वयं को पीड़ा देते है और तपस्वी कहलाते है। प्रश्न है कि ऐसी तपस्या कौन सी थी की ब्रह्मा जी मजबूर हो गए और वरदान दे डाला? फिर बेचारे कथाकार और कुबेर मंदिर के पुजारी तपस्या क्यों कही कर लेते ? कृपया ये तो बताये आजकल कुबेर जी ,इनकी बेटी आदि परिवार के सदस्य जीवित है या नहीं ? यदि है तो कहाँ मिलेंगे ? ये कैसी गजब की तुक्केबाजी है ?
कुबेर का सच:
शब्दकोश में कुबेर नाम का अर्थ भगवान, धन के देवता होता है। कुबेर सुख-समृद्धि और धन देने वाले देवता हैं।
भावार्थ :
“कुबि आच्छादने” इस धातु से ‘कुबेर’ शब्द सिद्ध होता है। ‘यः सर्वं कुम्बति स्वव्याप्त्याच्छादयति स कुबेरो जगदीश्वरः’ जो अपनी व्याप्ति से सब का आच्छादन करे, इस से उस परमेश्वर का नाम ‘कुबेर’ है।

कुबेर शब्द का वैदिक अर्थ:
कुबेर शब्द यजुर्वेद में ईश्वर के लिए आया है –
तस्याः कुबेरो वैश्रवणो वत्स आसीदामपात्रं पात्रम्।यजुर्वेद ८/१०/१०
(कुबेरः) कुबेर [विद्वान् पुरुष]
(कुबेर:) = [कुबि आच्छादने] शरीर में शक्ति को आच्छादित करनेवाला
“कुबि आच्छादने” इस धातु से ‘कुबेर’ शब्द सिद्ध होता है। ‘यः सर्वं कुम्बति स्वव्याप्त्याच्छादयति स कुबेरो जगदीश्वरः’ जो अपनी व्याप्ति से सब का आच्छादन करे, इस से उस परमेश्वर का नाम ‘कुबेर’ है।
वास्तविक भावार्थ

स्पष्ट है की धनवान कौन है ? जो अति बुद्धिमान है ,दोष रहित है, सर्वदा आनंदमय है, बलशाली है, द्रव्यों को बनाने वाला ,जिसने भूमि के अंदर ,बाहर और अन्य लोको में भी खनिजों की रचना की है ,जो जगत का स्वामी सर्वगुण संपन्न है। इसके अतिरिक्त ये गुण दूसरो को देकर उनको भी संपन्न करने वाला है यानी जो शरीर धारी व्यक्ति ईश्वर के गुणों को धारण करे वह भी कुबेर हो सकता है।
मान्यता में जो बात कही गई है कि कुबेर ने तपस्या की और फिर विष्णु से वरदान प्राप्ति से अपार धन का स्वामी हो गया में एक स्पष्ट संदेश छिपा हुआ है की ईश्वर के गुणों को धारण करना ही एक काठोर तपस्या है क्योंकि काम,क्रोध ,लोभ, मोह, अहंकार आदि को मानव के मुख्य पांच दोष है उनको त्यागना पड़ेगा और सही मार्ग पर चलकर कर्तव्य का पालन करना पड़ेगा । यही वास्तविक तपस्या है।
विष्णु कहते हैं परमात्मा को, यानी कि परमात्मा का आशीर्वाद या कहो वरदान केवल उसी मानव को प्राप्त होगा और वही मानव धन, बल, बुद्धि और ऐश्वर्व का स्वामी यानी कि वही कुबेर हो जायेगा जो इस प्रकार की तपस्या करेगा।
जहां तक शिव के द्वारपाल की बात है, यह भी एक अलंकारिक भाषा है, ईश्वर का एक नाम शिव भी है , क्योंकि वह ईश्वर कल्याणकारी है ,जब मानव कुबेर हो जाता है तो ईश्वर के द्वारा कल्याण की समस्त योजनाएं उसको स्वत मिलनी शुरु हो जाती है, वह एक शांति पूर्वक, निरोगी, बुद्धिमान ,धनवान, बलवान व्यक्ति की भांति जीवन व्यतीत करने लगता है।
मीनाक्षी का अर्थ है – सुंदर आंखो वाला , दूसरा अर्थ है दुर्गा । मीनाक्षी कुबेर की बेटी का नाम है,
यहां भी अलंकार की भाषा का प्रयोग हुआ है क्योंकि जो मानव कुबेर हो जाता है उसकी दुनिया सुंदर दिखने लगती है और वह दुर्ग के समान अभेद हो जाता है, उसको कोई नही हरा सकता ।

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