जिहादी जनून का जलजला..          

      

पिछले 7-8 दिनों में पहले जापान के 2 पत्रकारो का सर कलम करके व फिर जॉर्डन के एक पायलट को जिन्दा जला कर उनके वीडियो प्रचारित करके इस्लामिक स्टेट का 6 माह से जारी “जिहादी जनून ” अब मानवता के लिए “जिहादी राक्षस” बन चूका है।
आज  भारत के साथ साथ सम्पूर्ण विश्व इस जिहादी राक्षस के जनून से त्रस्त है।पूरी मानवता शर्मसार हो रही है । कहां है अहिंसा वादी गांधी के समान स्थापित दुनिया में शान्ति के पुजारी।कहां गये धर्म के नाम पर प्रेम व उदारता का पाठ पढ़ाने वाले बड़े बड़े समाज सुधारक व धार्मिक धुरंधर ?  क्यों नहीं कोई इस्लाम धर्म व अन्य किसी भी धर्म का प्रमुख आगे आकर इस्लाम के अनुसार  शान्ति की व्याख्या करता या करने का साहस करता ?
सोचो जरा  कट्टरता का पाठ पढ़ने वाले क्योंकर कभी उदारता ,प्रेम व शान्ति के मार्ग पर चलेंगे? कोई कहता है कि वे डरपोक नहीं होते वे हथियारों से खेलते है ,तो क्या दुनिया में घृणा फैला कर दूसरो को भयभीत करके खूनखराबा करते रहने का उनको लाइसेंस मिल गया है ?
विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय संगठन व एजेन्सियां विश्व को शान्ति व विकास की राह पर चलाने के प्रयास में जुटी हुई है, परंतु धार्मिक कट्टरता से उपजते जिहादी राक्षस को ईश्वर की इस सुंदर कृति पृथ्वी को भी लहुलूहान करके नष्ट करने में भी कोई उफ़ (संकोच) नहीं । उनके लिए तो जन्नत का वास्ता व रास्ता ही काफी है।
कौन है इसका उत्तरदायी , कौन करेगा इसका प्रायश्चित ,कैसे  थमेगा यह जलजला, कैसे होगा इसका समाधान, आज इस प्रकार के अनेक प्रश्न चारो ओर उठ रहे है ? इसी दर्द से द्रवित संवेदनशील जनमानस अनिश्चितता व भय के एक अप्राकृतिक (मानव निर्मित) वातावरण में जीने को विवश है।

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