फ्रांस में नरेन्द्र मोदी

सेन नदी में नौका विहार

अवधेश कुमार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सेन नदी में नौका विहार पूरा कर लिया। उनके साथ फ्रांस के राष्ट्रपति ओलांद भी थे। यह एक ऐसा दृश्य है जिसके कई मायने हैं। कूटनीति में इसका अर्थ यह है कि भारत का , इसके प्रधानमंत्री का कद दुनिया में बढ़ा है….अन्यथा कौन देश दूसरे देश के प्रधानमंत्री के लिए ऐसी व्यवस्था करता है। वह भी फ्रांस के राष्ट्रपति, वहां के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री सब उस नाव में उनका साथ दें। राष्ट्रपति ओलांद ने स्वयं उनको नौका विहार का निमंत्रण दिया। फ्रांस जैसे महत्वपूर्ण देश में भारतीय प्रधानमंत्री के साथ ऐसे व्यवहार को निश्चय ही दुनिया गहरे नजर से देख रही होगी।

माहौल एकदम सामान्य सा था। ऐसा नहीं लग रहा था कि कोई औपचारिकता बीच में रह गई हो। तो यह फ्रांस के साथ बेहतर रिश्ते का संदेश देना वाला दृश्य था।

लेकिन सेन नदी में यात्रा करते समय कलकलnamo_tea_stall_09102013 करता साफ पानी, किनारों की सफाई आदि को देखते हुए भारत के प्रधानमंत्री के मन में राजधानी दिल्ली में सड़ चुकी यमुना नदी का ध्यान अवश्य आया होगा। गंगा का तो आया ही होगा, जिसकी स्वच्छता के लिए उनकी सरकार ने संकल्प व्यक्त किया है। मोदी सोच रहे होंगे कि काश, मैं भी अपनी राजधानी की नदी में इसी तरह कुछ प्रमुख राष्ट्राध्यक्षों को विहार करा पाउं। जब चीन के राष्ट्रपति आए थे तो उनके स्वागत के लिए गुजरात के साबराती नदी को चुना गया था।

फ्रांस ने संकल्प के साथ अगर अपनी राजधानी की नदी को इतना स्वच्छ बनाया और उसे बनाए रखा है तो हम क्यांें नहीं कर सकते। बिना कहे प्रधानमंत्री ने विवेकशील भारतीयों को यह संदेश दिया है। वैसे तो यमुना की सफाई का कार्यक्रम भी चल रहा है, पर उम्मीद है हम आने वाले समय में यमुना की सफाई का व्यापक कार्यक्रम देख सकेंगे।

लेकिन कूटनीति की ओर लौटें तो मोदी के प्रधानमंत्री बनने के साथ विदेशों में खासकर विश्व के प्रमुख देशाों में भारत को जितना महत्व मिल रहा है, उसके बारे में जिस तरह की धारणा बदली है और उन सबमें मोदी ने द्विपक्षीय अंतरराष्ट्रीय संबंधों के साथ भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति से दुनिया को अवगत कराने तथा भारतवंशियों को भारत के साथ जोड़ने की प्रभावी पहल की है वह निश्चय ही भारत की विदेश में नीति में एक युगांतकारी मोड़ है।

हमने देखा यूनेस्को के मुख्य अतिथि के तौर पर जब वे बोलने के लिए खड़े हुए तो वहां भी भारत माता की जय, वंदे मातरम और जय हिन्द का नारा लगा। वहां उन्होंने योग पर एक वेबसाइट को लौंच किया। इससे हर भारतीय को गर्व महसूस होना चाहिए। जो लोग हर उपलब्धि को, कदमों को केवल राजनीतिक विचार के संकुचित चश्मे से देखते हैं, जिनको लगता है कि मोदी विरोध ही सही सोच और विचार है, उनके लिए कुछ नहीं कहना। वैचारिक मतभेद को राष्ट्र की उपलब्धियों उसमें भी विदेश नीति से बिल्कुल अलग रखना चाहिए। वस्तुतः आम भारतीयों के लिए इन सबसे राष्ट्रीयता और भारत को लेकर गर्व की की भावना पैदा होती है।

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