हिंदू समाज के दलितों को मुस्लिमों से बढ़ते खतरे

राजस्थान में मुसलमानों ने दलित समुदाय के लोगों को पीटा, दलित लड़के को उसकी शादी पर घोड़ी की सवारी नहीं करने दी गई। लड़के की बहन और मां के जेवर लूट लिए, गंदी गालियां व अभद्र भाषा काबा खूब प्रयोग किया और लाठी-डंडों से पीटकर खूब जलील किया और जान से मारने की धमकी भी दी।

और पंजाब में ब्राह्मणवाद के नाम पर दलितों को ब्राह्मणों से खतरा बताया जाता है

खासकर ब्राह्मणवाद का नारा लगाने वाले लड़के की मां द्वारा दी गई लिखित शिकायत को
पढ़िए लड़के की मां की लिखी याचिका, आपकी रूह कांप जाएगी कि किस प्रकार मुसलमानों ने दलित लड़के को पीटा और उसके परिवार जनों को जलील किया।।

पंजाब के मजीठा के इनाईतपुर गांव में गुर्जर मुसलमानों ने 25 सिख परिवारों के एक गांव पर हमला किया और सिख मुस्लिम भाईचारे की मिसाल कायम करते हुए सिखों को गांव से बाहर निकाल दिया.
लेकिन खतरा तो ब्राह्मणवाद से है।।

मध्य प्रदेश के खरगोन में प्रभु राम की शोभा यात्रा, राजस्थान के करौली और दिल्ली में जहांगीर पुरी में रामनवमी और हनुमान जयंती की शोभा यात्रा पर हमला कर हिंदू-मुस्लिम गंगा जमुनी तहजीब के भाईचारे की की मिसाल कायम की।

लेकिन खतरा ब्राह्मणवाद से है।

यूपी में योगी आदित्यनाथ के आगमन से 2017 से पहले राम नवमी और कांवड़ यात्रा की पूर्व संध्या पर मुस्लिम अपने घरों की छतों से गर्म खौलता पानी डाल कर हिंदू मुस्लिम गंगा जमुनी तहजीब के भाईचारे की मिसाल पेश किया करते थे लेकिन योगी के आने से गंगा जमुनी भाईचारा टूट गया और समाप्त हो गया।
लेकिन खतरा ब्राह्मणवाद से है

आप इतिहास उठाकर देख लीजिए जिस किसी भी राज्य में मुसलमानों की आबादी चालीस प्रतिशत से अधिक हो जाएगी, बाकी धर्मो पंथ का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।

कश्मीर भी से अलग नहीं था और कश्मीर से ब्राह्मणों को भागना पड़ा क्योंकि गंगा जमुनी तहजीब भाईचारा मिसाल पेश करते करते ब्राह्मण कश्मीर छोड़कर भाग आए ,,, क्योंकि मुस्लिम आबादी 40% से अधिक थी।
क्योंकि खतरा ब्राह्मणवाद से था और
परिणामस्वरूप, ब्राह्मणों को कश्मीर से बाहर निकाल दिया गया।

हर राज्य में कॉमरेड वामपंथी लॉबी अलग तरह से काम करती है।
और जिसका बाद में मुस्लिम और ईसाई दलों द्वारा फायदा उठाया जाता है। जातिवाद से असंतुष्ट, हिंदू, सिख और गैर-मुसलमान पंजाब में ईसाई धर्म अपनाना शुरू कर देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि हिंदू धर्म में बहुत जातिवाद है। और उन्हें ऐसा लगता है कि ईसाई धर्म में कोई जातिवाद नहीं है। अंबेडकरवादी विचारधारा, बामसेफ जैसे संगठन पंजाब में और पूरे भारतवर्ष में रविदास समुदाय के लोगों को गुमराह करने के लिए नकली ब्राह्मण वाद का खतरा पैदा करके उकसाने का काम कर रहे हैं। इन लोगों को ब्राह्मणवाद के नकली खतरे में बहला-फुसलाकर, फंसाकर और उन्हें हिंदुओं से अलग करके, वे एक अलग जाति या संप्रदाय को पेश करने की साजिश में हिंदू धर्म को कमजोर कर रहे हैं। यह व्यवस्था गैर-मुसलमानों के लिए इसाई धर्म परिवर्तन के लिए और भी आसान बना देती है। इसके परिणाम निकट भविष्य में रूप में देखे जा सकते हैं
ब्राह्मणवाद का झूठा और नकली खतरा इसलिए पैदा होता है क्योंकि ये वामपंथी कामरेड विचारक सीधे हिंदू धर्म को निशाना नहीं बना सकते क्योंकि हिंदू धर्म को सीधे तौर पर निशाना बनाकर ये समाज बेनकाब और नंगे हो जाते हैं। वे इस तथ्य से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि समाज में समझदार लोग सांप्रदायिक सद्भाव को खराब नहीं करना चाहते हैं। इसलिए, एक गंदा ब्राह्मणवाद के नाम पर हिंदुओं के उच्च वर्ग को बदनाम करके दलितों और ब्राह्मणों के बीच का खेल खेला जा रहा है।

पंजाब के अलावा भारत के अन्य राज्यों में कॉमरेड वामपंथी लॉबी विचारधारा अलग तरह से काम करती है।ठाकुर और दलित,,, राजपूत और दलित,,,,, जाट और दलित जैसे कार्ड खेलती हैं।

सभी हिंदुओं और सिखों को इन चालों को समझना चाहिए और जातिवाद से ऊपर उठकर यह समझना चाहिए कि यह वामपंथी कॉमरेड विचारधारा आपको पहले (उदारवादी सोच) उदार विचारधारा के बारे में सोचने के लिए जातियों को विभाजित करके और फिर इसे ईसाई या इस्लाम से जोड़कर मजबूर करती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन साजिशों के पीछे इस्लामी और ईसाई ताकतें विदेशों में काम कर रही हैं और पिछले दो सौ साल से पंजाब और भारत के हर राज्य में विशेष रूप से हिंदुओं और सिखों को उनके मूल धर्म और संस्कृति से अलग करने के लिए काम कर रही हैं। दुनिया में केवल एक ही देश है जिसे अंग्रेजों धर्म संस्कृति से तोड़कर खत्म नहीं कर पाए लेकिन वे काफी हद तक सफल भी हो रहे हैं।

साभार
VHP

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