बारिश की नन्ही बूंदों से, तपती धरती कुछ शांत हुई,
जीवों को जीवनदान मिला, चहुं ओर खुशी की बात हुई।

सूखे मुरझाये पौधों में, नव प्राणों का संचार हुआ,
सूखी माटन्ी भी महक उठी, कण-कण में जीवन वास हुआ।

वर्षा की खुशी में नाच उठे, मैढक, मोर, किसान,
बादल देख पपीहा बोले, पीहू पीहू की तान।

खेतिहार मजदूर हुए खुश, बंधी काम की आस,
जन जीवन फूला न समाये, सपने अपने पास।

वन्य जीव पशु पक्षी सभी ने, खुश होली राहत की सांस
हरियाली की चादर फेेली, तान बांसुरी की बिन बांस।

जीव, जंतु सब जश्न मनायें, वर्षा का जादू छाया,
हंसी खुशी गजल बांह मिलें सब, खिले फूल जीवन भाया।

पानी को बर्बाद करें ना, यही समय की मांग,
सबका हित ही अपना हित तो, खीचें ना दूजे की टांग।

वर्षा जल का सदुपयोग ही, भावी पीढ़ी को बचाएगा
जल ना बने युद्घ का कारण, जीवन बच ना पाएगा
-सुरेश चंद नागर

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