महंगाई – महंगाई चिल्लाएंगे जनसंख्या नहीं घटाएंगे

🙏बुरा मानो या भला🙏

 

——–मनोज चतुर्वेदी

कांग्रेस, वामपंथी सहित सभी विपक्षी दल गाजा-बाजा बजाते हुए एक सुर में “महंगाई” के गीत गा रहे हैं। उत्तरप्रदेश में महंगाई की सबसे अधिक चिंता कांग्रेस और समाजवादियों को हो रही है। महंगाई को लेकर जगह-जगह धरना-प्रदर्शन हो रहे हैं। यह सही है कि महंगाई पर लगाम लगनी चाहिए और केंद्र व राज्य सरकारों को इस दिशा में कुछ कड़े किंतु सकारात्मक प्रयास करने ही होंगे। परन्तु प्रश्न यह है कि महंगाई के साथ-साथ यह भी तो विचार करना चाहिए कि आख़िर महंगाई बढ़ने के मुख्य कारण क्या हैं।

ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ देखा जाए तो भारत की लगातार बढ़ती जनसंख्या भी महंगाई में हुई वृद्धि का एक बेहद महत्वपूर्ण कारक है। किंतु विडम्बना यह है कि इस अति महत्वपूर्ण विषय पर सम्पूर्ण विपक्ष मौन साध जाता है। यद्यपि एक समय कांग्रेस सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण हेतु नसबंदी जैसा कठोर किंतु उचित कदम उठाया था।परन्तु उसके बाद से आजतक कांग्रेस भी इस मुद्दे पर ख़ामोश है।
जरा सोचिए कि जब किसी शख़्स के घर में 10-11 बच्चों की लाइन लगी हो और 2-3 बीवियां उसकी बगल में दबी हों तो वह व्यक्ति महंगाई, हाय महंगाई ही चिल्लाएगा, वह गांधी जी के भजन तो गायेगा नहीं। जो लोग बच्चों को भगवान/अल्लाह की देन कहते हैं और नसबंदी को गुनाह मानते हों, उन्हें भला आप किस प्रकार से जनसंख्या नियंत्रण के लिए समझा सकते हैं। कुछ लोग यह भी कुतर्क करते हैं कि जिसने पैदा किया है, वही खाने को भी देगा। उन तमाम लकीर के फकीरों से यह पूछा जाना चाहिए कि जब भोजन का इंतज़ाम अल्लाह/भगवान कर देता है तो फिर महंगाई के लिए सरकारों पर दोष लगाने का क्या औचित्य है?

महंगाई को नियंत्रित करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण अनिवार्य है। इस बात से कदापि इंकार नहीं किया जा सकता। भारत से ज्यादा जनसंख्या चीन की है, लेकिन चीन की तरह भारतीय चमगादड़ और छिपकली का सूप नहीं पी सकते और न ही बेजुबान जानवरों/पक्षियों को जिंदा निगल सकते हैं। चीन भी अपनी बढ़ती जनसंख्या को लेकर काफी चिंतित है और निरन्तर उसे नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है।
जनसंख्या नियंत्रण के अतिरिक्त भारत की एक और समस्या है, और वह है अवैध घुसपैठ की। कुछ कथित सेक्युलर दलों ने तुष्टीकरण की राजनीति के चलते भारत को धर्मशाला बनाकर रख दिया है। भारत विदेशी भगोड़ों की शरणस्थली बन गया है और सेक्युरिज्म की आड़ में रोहिंग्या, बांग्लादेशी और पाकिस्तानी घुसपैठियों को मुफ़्त का दानापानी डाला जा रहा है, या यूं कहिये कि सांपों को दूध पिलाया जा रहा है।
केंद्र सरकार को जनसंख्या नियंत्रण और अवैध घुसपैठ को लेकर बेहद कड़े और साहसिक कदम उठाने होंगे। इसमें कोई दो राय नहीं है कि मज़हब के ठेकेदारों और तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले तमाम कथित सेक्युलर दलों द्वारा चौराहों पर छाती पीटी जाएंगी परन्तु भारत का प्रत्येक पढ़ा-लिखा समझदार, राष्ट्रवादी और जागरूक नागरिक सरकार के इस कदम का हृदय से स्वागत अवश्य करेगा। साथ ही यह भी आशा है कि जनसंख्या वृद्धि के दंश को करीब से झेल चुकी कांग्रेस भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी होगी।

🖋️ मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)

*विशेष नोट- उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं।

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