भारत की बेटी शिखा कुमारी ने जर्मनी की जमीन पर बढ़ाया हिंदी का मान

★ मातृभाषा के प्रति अगाध लगाव से विदेशी धरती पर पाई सफलता
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राकेश छोकर / नई दिल्ली
……………………………………………… अपनी संस्कृति, अपने देश के प्रति अगाध प्रेम का ही परिणाम है कि शिखा कुमारी पुत्री बनवारी लाल बटार, गांव ढाणी पाल हांसी, जिला हिसार ने फ्रैंकफर्ट जर्मनी में कॉन्सुलेट ऑफ इंडिया के द्वारा विश्व हिन्दी दिवस पर आयोजित प्रतियोगिता में निबंध में द्वितीय व क्विज़ में सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया है।


विदित हो कि शिखा फ्रैंकफर्ट में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। वहां पर रहते हुए मातृभाषा के प्रति उनका लगाव ने ही उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है। इससे पहले भी वे लेखन कार्य करती रही है। 2020 में उनकी एक पुस्तक ‘आशाओं की शिखा’ प्रकाशित हुई थी, जिसका विमोचन हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जी ने किया था। इस पुस्तक में उन्होंने बड़ी संवेदनशीलता से समसामयिक विषयों को लेकर कविताएं लिखी हैं। जिसमें उनकी बहन डॉक्टर संजीव कुमारी भी सह कवयित्री है। विदेशी धरती पर अपने देश की संस्कृति एवं भाषा का परचम लहरा कर गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाया है। इस अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि से क्षेत्र में हर्ष का माहौल है व उनके घर ढाणी पाल में बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।
सामाजिक संघठनो, जनप्रतिनिधियों, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उनकी इस अंतराष्ट्रीय उपलब्धि को देश औऱ संस्कृति की गौरवशाली उपलब्धि बताते हुए बधाइयां दी है।

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