‘हलाल सर्टिफिकेट’ – भारत को इस्‍लामीकरण की ओर ले जानेवाला आर्थिक जिहाद !

– श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति.

‘स्‍वतंत्र भारत को ‘सेक्‍युलरवाद’ के पाखंड का ग्रहण लग गया है । ‘सेक्‍युलर’ सरकारों द्वारा अल्‍पसंख्‍यकों के मतों के लिए धर्मनिरपेक्षता के नाम पर बहुसंख्‍यक हिन्दुओं के साथ अन्‍याय करनेवाली नीतियां अपनाई जा रही हैं । इसमें चाहे हिन्‍दू मंदिरों का सरकारीकरण हो अथवा हज-जेरूसलेम जैसी धार्मिक यात्राओं के लिए सरकारी अनुदान देने की बात हो; ऐसे संविधानविरोधी कार्य चल रहे हैं । ऐसी स्‍थिति में भी हिन्‍दू अन्‍याय सहन करते हुए सरकारों को कर भुगतान कर रहे हैं; परंतु हिन्दुओं की स्‍थिति में बदलाव आता हुआ दिखाई नहीं देता ।
भारत पर राज्‍य करने का जिनका स्‍वप्‍न है, वे लोग सरकार से एक मांग पूर्ण किए जाने पर संतुष्‍ट न होकर अपनी अगली मांग आगे कर दे रहे हैं । उसमें भी भारत में शरीयत पर आधारित इस्‍लामिक बैंक चालू करने की मांग की जाने लगी; परंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने यह मांग ठुकरा दी । बैंक स्‍थापित करने के लिए सरकारी अनुमति आवश्‍यक होती है; परंतु कोई भी ग्राहक संविधान द्वारा प्रदान की गई धार्मिक स्‍वतंत्रता का लाभ उठाकर अपने धर्म के अनुसार स्‍वीकार्य सामग्री अथवा पदार्थों का आग्रह रख सकता है । इसके आधार पर मुसलमानों द्वारा प्रत्‍येक पदार्थ अथवा वस्‍तु इस्‍लाम के अनुसार वैध अर्थात ‘हलाल’ होने की मांग की जा रही है । उसके लिए ‘हलाल सर्टिफिकेट (प्रमाणपत्र)’ लेना अनिवार्य किया गया । इसके द्वारा इस्‍लामी अर्थव्‍यवस्‍था अर्थात ‘हलाल इकॉनॉमी’ को धर्म का आधार होते हुए भी बहुत ही चतुराई के साथ निधर्मी भारत में लागू किया गया । इसमें आश्‍चर्य की बात यह कि निधर्मी भारत के रेल और एयर इंडिया जैसे सरकारी प्रतिष्‍ठानों में भी हलाल अनिवार्य किया गया । देश में केवल १५ प्रतिशत जनसंख्‍यावाले अल्‍पसंख्‍यक मुसलमान समुदाय को इस्‍लाम आधारित वैध हलाल मांस खाना है; इसलिए शेष ८५ प्रतिशत जनता पर भी यह निर्णय थोपा जाने लगा । अब तो यह हलाल प्रमाणपत्र केवल मांसाहारतक सीमित न रहकर खाद्यपदार्थ, सौंदर्य प्रसाधन, औषधियां, चिकित्‍सालय, गृहसंस्‍थी से संबंधित आस्‍थापन और मॉल के लिए भी आरंभ हो गया है ।
इस्‍लामिक देशों में निर्यात करनेवालों के लिए तो ‘हलाल सर्टिफिकेट (प्रमाणपत्र)’ अनिवार्य ही कर दिया गया है । इस हलाल अर्थव्‍यवस्‍था ने विश्‍वभर में अपना दबदबा बना लिया है । उसने भारत की अर्थव्‍यवस्‍था के जितना अर्थात २ ट्रिलीयन (१ ट्रिलीयन का अर्थ १ पर १२ शून्‍य – १००० अब्‍ज) डॉलर्स का लक्ष्य भी प्राप्‍त किया है । जब समांतर अर्थव्‍यवस्‍था खडी रहती है, तब देश के विविध तंत्रों पर निश्‍चितरूप से उसका परिणाम होता है । यहां तो धर्म के आधार पर एक समांतर अर्थव्‍यवस्‍था बन रही है । उसके कारण निधर्मी भारत भी उससे निश्‍चितरूप से प्रभावित होनेवाला है । इस दृष्‍टि से भविष्‍य में स्‍थानीय व्‍यापारी, पारंपरिक उद्यमी, साथ ही अंततः राष्‍ट्र के लिए क्‍या संकट खडा हो सकता है, इस पर विचार करना आवश्‍यक है । इस विचार को समझने हेतु ही इस लेख का प्रयोजन है । इस लेख को पढकर आप भारत का भविष्‍य सुरक्षित बनाने में सहयोग दें !

1. हलाल क्‍या है ? अरबी शब्‍द ‘हलाल’ का अर्थ है इस्‍लाम के अनुसार वैध और स्‍वीकार्य; तो उसका प्रतिवाचक शब्‍द है ‘हराम’ अर्थात इस्‍लाम के अनुसार अवैध/निषिद्ध/वर्जित । ‘हलाल’ शब्‍द मुख्‍यत: खाद्यान्‍न एवं तरल पदार्थों के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है ।
इस्‍लामी विधियों के अनुसार ५ ‘अहकाम’ (निर्णय अथवा आज्ञाएं) मानी गई हैं । उनमें फर्ज फर्ज (अनिवार्य), मुस्‍तहब (अनुशंसित), मुबाह (तटस्‍थ), मकरूह (निंदनीय) और हराम (निषिद्ध) अंतर्भूत हैं । इनमें से ‘हलाल’ की संकल्‍पना में पहले ३ अथवा ४ आज्ञाएं अंतर्भूत होने के संदर्भ में इस्‍लामी जानकारों में मतभेद हैं ।

‘हलाल’ शब्‍द का मुख्‍य उपयोग मांस प्राप्‍त करने हेतु पशु की हत्‍या करने के संदर्भ में किया जाता है ।

अ. इसमें मुख्‍यरूप से कुरबानी करनेवाला (कसाई) इस्‍लामी विधि का पालन करनेवाला अर्थात मुसलमान होना चाहिए ।
आ. जिस पशु को हलाल करना है, वह पशु स्‍वस्‍थ और सशक्‍त होना चाहिए ।
इ. उसे खुले वातावरण में रखा जाना चाहिए ।
ई. उसे मारते समय (जबिहा करते समय) पहले इस्‍लामी प्रथा के अनुसार ‘बिस्‍मिल्लाह अल्लाहू अकबर’ कहा जाना चाहिए ।
उ. गले से चाकू घूमाते समय उस पशु की गर्दन मक्‍का स्‍थित काबा की दिशा में होनी चाहिए ।
ऊ. तत्‍पश्‍चात धारदार चाकू से पशु की सांसनलिका, रक्‍त को प्रवाहित करनेवाली नसें और गले की नसों को काटकर उस पशु का संपूर्ण रक्‍त बहने देना चाहिए ।
ए. इस पशु को पीडा न हो; इसके लिए पहले उसे बिजली का झटका देना अथवा अचेत करना निषेध माना गया है ।
इसके कारण पाश्‍चात्त्य देशों में इस पद्धति को अमानुषिक माना जाता है; परंतु इस्‍लाम के अनुसार केवल हलाल के मांस को ही पवित्र और वैध माना जाता है । इसके कारण आज अइस्‍लामी देशों में भी ७० से ८० प्रतिशत मांस हलाल पद्धति से अर्थात उक्‍त मापदंडों का पालन कर ही प्राप्‍त किया जाता है । केवल मछलियां और समुद्र में मिलनेवाले जलचरों के लिए हलाल पद्धति आवश्‍यक नहीं है । आज के काल के अनुसार हलाल और हराम ध्‍यान में आए; इसके लिए सरल नियम बनाने की ओर झुकाव है ।

2. ‘हलाल’ में मांस सहित अंतर्भूत अन्‍य पदार्थ

अ. दूध (गाय, भेडी, बकरी और ऊंट का)
आ. शहद
इ. मछलियां
ई. मादक न होनेवाली वनस्‍पतियां
उ. ताजे और सूखे फल
ऊ. काजू-बदाम आदि सूखेमेवे
ए. गेहूं, चावल आदि अनाज

3. हराम अर्थात इस्‍लाम के अनुसार निषिद्ध बातें
इनमें मुख्‍यत: निम्‍मांकित बातें अंतर्भूत हैं ।

अ. सुअर, जंगली सुअर, उनकी प्रजाति के अन्‍य पशु तथा उनके अंगों से बनाए जानेवाले जिलेटिन जैसे अन्‍य पदार्थ
आ. नुकीले पंजेवाले तथा नुकीले खांगवाले हिंस्र और मांसाहारी प्राणी-पक्षी, उदा. सिंह, बाघ, वानर, नाग, गरुड, गीदड इत्‍यादि
इ. जिन्‍हें मारना इस्‍लाम के अनुसार निषेध है, उदा. चींटी, मधुमक्‍खियां, कठफोडवे इत्‍यादि
ई. भूमि एवं पानी इन दोनों स्‍थानों पर रहनेवाले उभयचर प्राणी, उदा. मगरमच्‍छ, मेंढक इत्‍यादि
उ. गधा और खच्‍चर, साथ ही सभी प्रकार के विषैले प्राणी
ऊ. गला दबाकर अथवा सिर पर आघात कर मारे गए पशु, साथ ही सामान्‍यरूप से मृत पशु और उनके अवशेष
ए. मनुष्‍य अथवा पशुओं के शरीर के अवकाश से बाहर आनेवाला रक्‍त एवं मल-मूत्र
ऐ. विषैले, साथ ही मादक वनस्‍पतियां
ओ. अल्‍कोहल अंतर्भूत पेय, उदा. मदिरा, स्‍पिरीट एवं सॉसेजेस
औ. विषैले, साथ ही मद उत्‍पन्‍न करनेवाले पेय तथा उनसे बनाए जानेवाले पदार्थ एवं रसायन
अं. ‘बिस्‍मिल्लाह’ न बोलकर इस्‍लामविरोधी पद्धति से बलि चढाए गए पशुओं का मांस

इस सूची से इस्‍लाम के अनुसार हलाल एवं हराम क्‍या है, यह स्‍पष्‍ट हुआ होगा । इस संदर्भ में कुरआन का आदेश होने तथा हराम के पदार्थ खाने से पाप लगने से, साथ ही मृत्‍यु के पश्‍चात दंडित किया जाएगा, इस भय से मुसलमान हलाल अन्‍न का आग्रह रखते हैं । हलाल पदार्थ बनाते समय उसमें हराम माने जानेवाले किसी एक भी घटक को अंतर्भूत किया गया, तो वह अन्‍न हलाल नहीं रहता । इसलिए सभी देशों में हलाल मांस की बडी मात्रा उपलब्‍ध की जाती है । आज भारत गैरइस्‍लामी देश होते हुए भी भारत से निर्यात किया जानेवाला मांस हलाल पद्धति का ही होता है । हलाल मांस होने की आश्‍वस्‍तता न होने पर मुसलमानों ने संबंधित लोगों पर धर्मभ्रष्‍ट किए जाने के अभियोग प्रविष्‍ट कर बडे-बडे प्रतिष्‍ठानों को करोडों रुपए की हानि-भरपाई का भुगतान करने के लिए बाध्‍य बनाया है । इसके कारण भी ‘हलाल’ संकल्‍पना को महत्त्व प्राप्‍त हुआ है ।

4. इस्‍लामिक बैंक एवं हलाल अर्थव्‍यवस्‍था

इस्‍लामिक बैंक एवं हलाल अर्थव्‍यवस्‍था में अंतर नहीं है । ये दोनों बातें समान इस्‍लामी विचारों पर आधारित हैं । इस्‍लामी अर्थसहायता के बल पर हलाल उत्‍पादों को बाजार में उतारा जा रहा है । शरीयत विधि के अनुसार ब्‍याज लेने पर प्रतिबंध होने से इस मान्‍यता के आधार पर इस्‍लामिक बैंक की स्‍थापना की गई । मलेशिया में वर्ष १९८३ में ‘इस्‍लामिक बैंकिंग एक्‍ट’ के अनुसार ‘इस्‍लामिक बैंकिंग एन्‍ड फाईनान्‍स’ (IBF) बैंक का आरंभ हुआ । यह बैंक धार्मिक परंपराओं पे आधार पर होने से उसे भारत जैसे अनेक गैरइस्‍लामी देशों में स्‍वीकारा नहीं गया । हलाल उत्‍पाद पहले से ही उपयोग में थे । वर्ष २०११ में मलेशिया की सरकार ने स्‍थानीय वाणिज्‍य मंत्रालय के द्वारा ‘हलाल प्रॉडक्‍ट इंडस्‍ट्री’ (HPI) आरंभ की । वर्ष २०१३ में क्‍वालालंपूर में ‘वर्ल्‍ड हलाल रिसर्च’ एवं ‘वर्ल्‍ड हलाल फोरम’ के अधिवेशन में हलाल अर्थव्‍यवस्‍था की संकल्‍पना रखी गई । इससे ‘हलाल प्रॉडक्‍ट इंडस्‍ट्री’ (HPI) एवं ‘इस्‍लामिक बैंकिंग एन्‍ड फाईनान्‍स’ (IBF) इनमें समन्‍वय बनाकर उन्‍हें बल देना सुनिश्‍चित किया गया । इसके प्रसार के लिए निजी निवेश के द्वारा ‘सोशल एक्‍सेप्‍टेबल मार्केट इन्‍वेस्‍टमेंट (SAMI) हलाल फूड इंडेक्‍स’ आरंभ किया गया । विश्‍व में इस प्रकार का यह पहला प्रयास था । इसका अच्‍छा प्रत्‍युत्तर भी मिला ।

5. हलाल अर्थव्‍यवस्‍था को धार्मिक आधार !

इस्‍लामी धर्मग्रंथ कुरआन में हलाल अर्थव्‍यवस्‍था के संदर्भ में कहीं पर भी स्‍पष्‍टता से उल्लेख नहीं है; परंतु उसमें ‘कौन सी बातें हलाल हैं’ और ‘कौन सी हराम’, इसका उल्लेख मिलता है । कुरआन के ५६ आयतों में ‘हलाल’ शब्‍द का उल्लेख आया है, तो २१ आयतों में आहार के संदर्भ में उल्लेख है । ‘हदीस’ ग्रंथ में भी हलाल का विविध प्रकार से कैसे उपयोग किया जा सकता है, इसका उल्लेख आया है, साथ ही उसमें ‘हराम पदार्थ लेने से कितना पाप लगेगा और कितना आर्थिक दंड होगा’, इसका भी उल्लेख है । इसके आधार पर आज के इस्‍लामी जानकारों ने हलाल अर्थव्‍यवस्‍था को स्‍थापित करने और उसे मुसलमानों के मन पर अंकित करने का प्रयास आरंभ किया है ।

6. हलाल के द्वारा विश्‍वस्‍तर के बाजार पर नियंत्रण स्‍थापित करने का प्रयास !

हलाल आय की मूल संकल्‍पना खेत से उपभोक्‍तातक सीमित थी । उसमें उत्‍पादन करनेवाले से लेकर उपभोक्‍तातक की कडी ही बनाई गई थी । जिस समय हलाल अर्थव्‍यवस्‍था का विचार बढने लगा, तब ‘खेत से लेकर उपभोक्‍ता और उससे आर्थिक नियोजन’ का विचार रखा जाने लगा । HSBC (बहुराष्‍ट्रीय निवेश अधिकोष) अमाना मलेशिया के कार्यकारी अधिकारी रेफ हनीफ ने स्‍पष्‍टता से कहा कि यदि हमें हलाल अर्थव्‍यवस्‍था की ओर अग्रसर होना हो, तो हमें व्‍यापक विचार करना चाहिए और अर्थनियोजन से लेकर उत्‍पादनतक की संपूर्ण कडी को ही हलाल बनाने का प्रयास करना होगा । हलाल उत्‍पादों से लाभ अर्जित करना और उस आर्थिक लाभ को इस्‍लामिक बैंक के द्वारा उत्‍पादों की वृद्धि के लिए उपयोग करना, साथ ही इस्‍लामिक बैंक से हलाल उत्‍पाद बनानेवालों को आर्थिक सहायता उपलब्‍ध करा देना और वैश्‍विक बाजार पर नियंत्रण स्‍थापित करने का प्रयास करना । ऐसा करने से संपूर्ण शृंखला पर उनका नियंत्रण स्‍थापित हो जाने से इस्‍लामिक बैंक की स्‍थिति में लक्षणीय बदलाव आया । बैंक की संपत्ति, जो वर्ष २००० में ६.९ प्रतिशत थी, वह वर्ष २०११ मध्‍ये २२ प्रतिशत बढी । आज विश्‍वभर में ‘हलाल इंडस्‍ट्री’ सर्वाधिक तीव्र गति से बढनेवाली व्‍यवस्‍था बन गई है । संक्षेप में कहा जाए, तो इस्‍लाम के आधार पर ‘हलाल इंडस्‍ट्री’ और हलाल अर्थव्‍यवस्‍था के आधार पर ‘इस्‍लामिक बैंक’ बडी ही बनती जा रही हैं ।

7. पुराने नियमों को तोड-मरोडकर हलाल संकल्‍पना को व्‍यापक बनाना !

हलाल मांस से आरंभ हलाल व्‍यवसाय की संकल्‍पना तीव्र गति से व्‍यापक बनती जा रही है । हलाल की संकल्‍पना में स्‍थानीय स्‍थिति के अनुसार, साथ ही पंथों के आधार पर बदलाव किए जाने से कुछ वर्ष पूर्व हराम मानी जानेवाली बातों को आज हलाल प्रमाणित किया जा रहा है ।
जैसे कुछ वर्ष पहले नमाज के लिए दी जानेवाली अजान की पुकार को पवित्र ध्‍वनि मानकर ध्‍वनियंत्र का उपयोग कर अजान देना ‘हराम’ माना जाता था; परंतु इस्‍लाम के प्रसार की दृष्‍टि से ध्‍वनियंत्र सहायक हो सकता है, इसे ध्‍यान में लेकर कुछ समय पश्‍चात उसे स्‍वीकारा गया । आज प्रत्‍येक मस्‍जिद से गूंजनेवाली ऊंची आवाज के कारण सामाजिक शांति भंग होने की स्‍थिति बन गई है । इसी प्रकार इस्‍लामी अर्थव्‍यवस्‍था बनाने हेतु पुराने नियम तोड-मरोडकर हलाल संकल्‍पना को व्‍यापक बनाया जा रहा है । कुछ वर्ष पूर्व शृंगार (मेकअप) करना भी हराम माना जाता था; परंतु अब सौंदर्यप्रसाधनों को हलाल प्रमाणित किया जा रहा है । इस व्‍यापकता को ध्‍यान में आने हेतु आगे कुछ उदाहरण दिए गए हैं ।

अ. मांसाहारी से शाकाहारी पदार्थ : सुप्रसिद्ध ‘हल्‍दीराम’ का शुद्ध शाकाहारी नमकीन भी अब हलाल प्रमाणित हो चुका है । सूखे फल, मिठाई, चॉकलेट भी इसमें अंतर्भूत हैं ।
आ. खाद्यपदाथ से लेकर सौंदर्यप्रसाधनतक : अनाज, तेल से लेकर साबुन, शैम्‍पू, टूथपेस्‍ट, काजल, नेलपॉलिश, लिपस्‍टिक आदि सौंदर्यप्रसाधन भी हलाल में अंतर्भूत हैं ।
इ. औषधियां : युनानी, आयुर्वेदिक इत्‍यादि औषधियां और शहद में भी हलाल की संकल्‍पना आ गई है ।
ई. पाश्‍चात्त्य अंतरराष्‍ट्रीय खाद्यपदार्थ : अब मैकडोनाल्‍ड का बर्गर, डॉमिनोज का पिज्‍जा जैसे अधिकांश सभी विमानों में मिलनेवाला भोजन हलाल प्रमाणित हुआ है ।
उ. हलाल गृहसंकुल : केरल राज्‍य के कोची नगर में शरीयत नियमों के आधार पर हलाल प्रमाणित पहला गृहसंकुल बन रहा है । इसमें महिला और पुरुष के लिए अलग-अलग स्‍वीमिंग पूल, अलग-अलग प्रार्थनाघर, नमाज के समय दिखानेवाली घडियां, प्रत्‍येक घर में नमाज सुनाई देने की व्‍यवस्‍था आदि विविध सुविधाओं तथा शरीयत के नियमों का उन्‍होंने उल्लेख किया है ।
ऊ. हलाल चिकित्‍सालय : तमिलनाडू के चेन्‍नई नगर में स्‍थित ‘ग्‍लोबल हेल्‍थ सिटी’ चिकित्‍सालय को हलाल प्रमाणित घोषित किया गया है । उनका यह दावा है कि वे इस्‍लाम में बताए अनुसार अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर की स्‍वच्‍छता और आहार देते हैं ।

ए. ‘हलाल डेटिंग वेबसाईट’ : संकेतस्‍थलों पर युवक-युवतियों का एक-दूसरे से परिचय करानेवाले, उनसे मित्रता और भेंट करानेवाले अनेक संकेतस्‍थल हैं । इसमें भी शरीयत के आधार पर ‘हलाल डेटिंग वेबसाईट्‌स’ (संकेतस्‍थल) चालू किए गए हैं । इसमें ‘मिंगल’ एक मुख्‍य संकेतस्‍थल है । ( दिव्य रश्मि से साभार )