राष्ट्रीय पर्वों पर मदिरालय बंद रखने का
जब से सरकार ने कानून बनाया है
तब से लोगों ने पीने का,
नया ही ढंग अपनाया है।
दो चार रोज पहले, बोतलें ले आते हैं।
और समारोह में ही जाम टकराते हैं।।
पीते हैं तो क्या, शहीदों को भी देते हैं दुआ।
हे भारत के अमर सपूतों, आजादी के अवधूतो।
हम तुम्हारे आभारी हूं,
क्योंकि तुम्हारे बलिदान से ही
देश को आजादी मिल पाई है।
तभी तो आज बोतल भी, मदिरालय की
गुलामी से छुटकारा पाकर, समारोह में आई है।।

गाफिल स्वामी

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