यज्ञ विश्व को भारत की अनुपम देन : आचार्य स्वदेश

बबराला । ( ज्योति वसु आर्य )यहां पर आयोजित किए गए विशाल आर्य सम्मेलन में ब्रह्मा के रूप में उपस्थित रहे आचार्य स्वदेश ने कहा कि यज्ञ की परंपरा विश्व के लिए भारत की अनुपम देन है। उन्होंने कहा कि यज्ञ दूसरों के कल्याण के लिए आयोजित किए जाते हैं । यह बिल्कुल वैसे ही है जैसे ईश्वर ने यह सृष्टि प्राणियों के कल्याण के लिए बनाई और अपना संपूर्ण ऐश्वर्य प्राणीमात्र के कल्याण के लिए लगाया । वैसे ही भारत में यज्ञ की परंपरा है । जिसमें मनुष्य अपने संपूर्ण ऐश्वर्य को प्राणीमात्र के कल्याण के लिए लगाने की प्रार्थना और पुरुषार्थ करता है।

आचार्य श्री ने कहा कि इस समय नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है । जिससे समाज में अस्त व्यस्तता है। परिवारों में कलह और कटुता को समाप्त करने के लिए बोलते हुए उन्होंने कहा कि हमें नैतिक शिक्षा को विद्यालयों में अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाना चाहिए। जिससे मानव निर्माण की अपनी संकल्पना को हम साकार कर सकें । आचार्य स्वदेश जी ने कहा कि भारत शिक्षा को संस्कार आधारित करने के लिए जाना जाता रहा है । जिससे मानव निर्माण होता है और राष्ट्र निर्माण की अपनी सोच को हम साकार कर पाते हैं । उन्होंने कहा कि यज्ञ के माध्यम से और शिक्षा को संस्कार आधारित करके ही भारत विश्व गुरु बन सकता है।

आचार्य श्री ने कहा कि वर्तमान समय में भारत का सामाजिक परिवेश फिल्मी कुसंस्कारों से ग्रसित है। जिससे युवा पीढ़ी का विनाश हो रहा है , जो कि भारत के भविष्य के लिए बहुत ही अधिक चिंता का विषय है । इसके लिए हमें अभी से सामूहिक प्रयास करने की आवश्यकता है और हमें देश की युवा पीढ़ी को वैदिक शिक्षा संस्कारों से सुभूषित करने की ओर परिश्रम करना होगा।

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