मुसलमानों के असली दुश्मन सेकुलर लोग हैं

नोट -यह लेख 4 अक्टूबर 2010 को भारतीय देशप्रेमी मुस्लिमों के लिए बनाया था ,इसमें दिए गए कुरान के हवाले मदरसों में पढ़ने के योग्य हैं क्योंकि मौलवी यह आयतें लोगों को नहीं बताते है
यह बड़े ही आश्चर्य की बात है कि आजतक देश के मुसलमान अपने असली दुश्मनों को नही पहिचान सके हैं.क्या वह नह्हीं जानते कि पिछली आधी सदी से अबतक एक तथाकथित सेकुलर खानदान देश पर लगातार हुकूमत कर रहा है .जो मुसलमानों को एक इंसान नहीं सिर्फ वोटर मानता है .मुसलमान इमानदारी से अपने दिल पर हाथ रखकर विचार करें कि इन लोगों ने मुसलमानों के लिए क्या किया है .इनका इतिहास है कि इन्होने आजतक किसी भी समस्या का पुरी तरह से निराकरण नहीं किया .चाहे वह कश्मीर हो ,चाहे कावेरी जल विवाद हो ,चाहे बेलगाम की समस्या हो .आजतक इसका फैसला नहीं हो पाया .

इसीतरह अयोध्या मामले को उलझाने में इन्हीं लोगों का हाथ था .लोग गलती से सेकुलर उनको मानते हैं ,जो सभी धर्मों को सामान रूप से मानता हो .लेकिन हकीकत यह है कि सेकुलर किसी धर्म को नहीं मानते .इनका धर्म सिर्फ सत्ता हासिल करना है .पाहिले केवल कांग्रेस ने ही सेकुलरवाद का ठेका ले रखा था .लेकिन सता के लोभ से कई नए सेकुलर पैदा हो गए .जैसे समाजवादी ,कम्यूनिस्ट ,राजद के लालू आदि .फिर इनकी बीमारी मीडिया को भी लग गयी .जो सामान्य सी बात को साम्प्रदायिक रूप देने लगे .
असल में ऐसे लोगों को ही वर्ण संकर या दोगला कहा जाताहै .जब भी किसी विवाद का हल होने लगता है ,यह लोग अचानक प्रकट हो कर अपनी कुटिल बातों से मामला उलझा देते है .और मुसलमानों के हमदर्द बन जाते है .लेकिन इनकी नजर समस्या के समाधान पर नहीं मुसलमानों के वोट पर रहती है
इन्हें इस्लामी परिभाषा में “मुनाफिक “कहा जाता है .इनके बारे में कुरआन में यह लिखा है –

1 -मुनाफिक (secular )का चरित्र

“और जब उन लोगों से कहा जाता है ,कि जमीन पर फसाद मत फैलाओ तो वे कहते है हम तो शान्ति कराने वाले (peace maker )और सुलह कराने वाले हैं .जान लो वास्तव में यही लोग फसाद कराने वाले हैं.परन्तु तुम नहीं जानते .-
सूरा अल बकरा 2 :11 -12

2 -सेकुलरों की चाल

“यह लोग जब ईमान वालों के पास जाते है ,तो कहते हैं हम भी तुम्हारी तरह ईमान रखते हैं .लेकिन जब अपने शैतानों “नेताओं “से मिलते हैं ,तो कहते हैं हम तुम्हारे साथ हैं .हम तो ईमान वालों से मजाक कर रहे थे .सूरा -अल बकरा 2 :14

3 -इस्लाम अन्य धर्म के संतों का आदर करता है

उस समय अरब में यहूदी ,और ईसाई थे जो नेक थे कुरान ने ऐसे लोगों के बारे में कहा है

“तुम ईमान वालों (मुसलमानों )के साथ सबसे निकट उन लोगों को पाओगे जो “नसारा “यानी ईसाई संत है .उनमे अक्सर विद्वान् ,उपासक और संसार से त्यागी पाए जाते हैं .जो घंड नहीं करते .सूरा -मायदा 5 :82

4 -आपस में मिलकर हल निकालो

कुरान हमेशा लोगों को आपस में मिलजुल कर विवाद का हल निकालने को कहता है -देखिये

“ही ईमान वालो !उस फैसले की ओर आओ ,जो हमारे और तुम्हारे बीच सामान रूप से मान्य और सिद्ध हो जाए,……फिर यदि कोई इस पर अपना मुंह मोड़ ले तो ,कहदो ,”गवाह रहो हम तो मुस्लिम हैं “सूरा -आले इमरान 3 :64

5 -इकरार करने के बाद वादा न तोड़ो

“जब तुमने कोई इकरार कर लिया हो तो ,अपनी कसम को पूरा करो ,और करने के बाद न तोड़ो .सूरा -नहल 16 :91

6 – कसम के साथ छल न करो

“तुम अपनी कसमों को आपस में छल कपट का साधन नहीं बना लेना .
सूरा अन नहल 16 :94

7 -दूसरों की अमानत वापस कर दो

“अल्लाह तुम्हें हुक्म देता है ,कि दूसरों की अमानातें उनके मालिकों को दी दिया करो ,और जो भी फैसला करो तो न्याय पूर्वक निर्णय किया करो .बेशक अल्लाह सुननेऔर देखने वाला है .सूरा -अन निसा 4 :58

8 -अल्लाह दूसरों के धर्म स्थल तोड़ने से रोकता है

“अगर अल्लाह एक दूसरों को ऐसा करने से नहीं रोकता तो ,सभी संतों ,सन्यासियों के उपासना स्थल ,और आश्रम ,गिरजा और यहूदिओं के सिनेगोग ,मस्जिदें कबकी ढहा दी गयी होतीं ,जिनमे अल्लाह का जिक्र होता है .सूरा अल हज्ज 22 :40

9 -दूसरों के उपस्यों को गाली मत दो

“और जो लोग अल्लाह के अलावा दूसरों को पुकारते हैं ,उनको गाली मत दो .कहीं ऐसा न हो वे अल्लाह को गाली दें .सूरा अन आम 6 :109
मेरा यह लेख लोगों को वास्तविक तथ्यों से अवगत कराना है .

अंत में मैं एक फारसी का शेर दे रहा हूँ ”
“हाफिजा गर वस्ल ख्वाही ,सुलह कुन बा खासो आम ,
बा मुसलमां अल्लाह अल्लाह ,हिंदुआं रा राम राम ”

बृजनंदन शर्मा

Comment: